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आध्यात्म

ब्रह्म का सगुण साकार स्वरूप सृष्टि के पूर्व ही सनातन है

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यह सब कार्य सगुण साकार भगवान् ही कर सकते हैं

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यह सब कार्य सगुण साकार भगवान् ही कर सकते हैं

kripalu ji maharaj

इस ब्रह्मसूत्र के भाष्‍य में भी शंकर ने लिखा है। यथा –

यदा स सशरीरतां संकल्‍पयति तदा सशरीरो भवति। यदा त्‍वशरीरतां तदा त्‍वशरीरः। सत्‍यसंकल्‍पत्‍वात् संकल्‍पवैचि त्र् याच्‍च।

(शांकर भाष्‍य)

अब विचार कीजिये कि अकर्ता, सत्‍तामात्र, प्रकाश पुंज भला संकल्‍प कैसे करेगा? अतः ब्रह्म का सगुण साकार स्‍वरूप सृष्टि के पूर्व ही सनातन है। जब असमर्थ जीव ही निराकार होकर भी साकार शरीर धारण कर रहा है तो सर्वसमर्थ अघटित घटना पटियान् भगवान् के लिये क्‍या असंभव है?

फिर वेदों ने तो स्‍पष्‍ट कहा है। यथा-

‘अजायमानो बहुधा विजायते’ (यजुर्वेद 31-19)

पुनः वेद ने तो शरीर का स्‍वरूप भी बताया है। यथा-

’द्विभुजं ज्ञान मुद्राढ्यं वनमालिनमीश्‍ वरं,

तथा-

‘कृष्‍ण एव परोदेवः।  (गो. ता. उ.)

इस मंत्र में नाम भी बता दिया। पुनः

कः परमो देवः कुतो मृत्‍युर्विभेति, कस्‍यविज्ञानेनाखिलं विज्ञातं भवति ।

(गो. ता. उ.)

‘कृष्‍णो ह वै परमं दैवतम् गोविन्‍दान्‍मृत्‍युर्विभेति।

गोपीजनवल्‍लभज्ञानेनाखिलं तज्‍ ज्ञातं भवति।

तस्‍मात्‍कृष्‍ण एव परो देवस्‍तं ध्‍यायेत् तं रसयेत् तं भजेत्।

(गो. ता. उ.)

पुनः-

कृष्‍णो ह वै हरिः परमो देवः षढ्विधैश्र्वर्यपरिपूर्णो भगवान् गोपीगोपसेव्‍यो वृन्‍दाऽऽराधितो वृन्‍दावनाधिनाथः स एक एवेश्‍वरः।

(ऋग्‍वेदीय राधिकोपनिषद् )

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आध्यात्म

महापर्व छठ पूजा का आज तीसरा दिन, सीएम योगी ने दी बधाई

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लखनऊ ।लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा का आज तीसरा दिन है. आज के दिन डूबते सूर्य को सायंकालीन अर्घ्य दिया जाएगा और इसकी तैयारियां जोरों पर हैं. आज नदी किनारे बने हुए छठ घाट पर शाम के समय व्रती महिलाएं पूरी निष्ठा भाव से भगवान भास्कर की उपासना करती हैं. व्रती पानी में खड़े होकर ठेकुआ, गन्ना समेत अन्य प्रसाद सामग्री से सूर्यदेव को अर्घ्य देती हैं और अपने परिवार, संतान की सुख समृद्धि की प्रार्थना करती हैं।

यूपी के मुख्यमंत्री ने भी दी बधाई।

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