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खेल-कूद

ब्राजील की छवि बदल देगा रियो ओलम्पिक

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रियो डी जनेरियो। ब्राजीलियाई शहर रियो में ओलम्पिक के आयोजन में एक वर्ष का समय रह गया है और टेस्ट इवेंट्स के लिए रियो अभी भी व्यस्त हो गया है। रियो के स्थानीय निवासी फुटबाल के अलावा अन्य खेलों का भी अभ्यास कर रहे हैं और ओलम्पिक पार्क वाले बारा जिले में अभी भी बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य चल रहा है।

ब्राजील को पूरी दुनिया में फुटबाल के धुरंधर देश के रूप में जाना जाता है। लेकिन अब ओलम्पिक मेजबान देश के रूप में ब्राजील का लक्ष्य सभी खेलों के प्रतिनिधि देश के रूप में खुद को स्थापित करना है। इससे पूर्व तक ब्राजील फुटबाल पर सर्वाधिक ध्यान देता रहा है। अन्य खेलों के ब्राजीलियाई खिलाड़ी अपने-अपने खेलों में निवेश पर ध्यान न दिए जाने का आरोप लगाते रहे हैं।

ब्राजील के खेल पत्रकार ह्यूगो टोनी का कहना है कि लोगों की पहली पसंद सिर्फ फुटबाल है और अन्य खेलों के मामले में वे सिर्फ बड़े सितारों को याद रखते हैं। ब्राजील के एक अन्य खेल पत्रकार मारियो फर्नाडीज ने भी कहा कि फुटबाल सबसे ऊपर है, वॉलीबॉल दूसरे नंबर पर है, जबकि बास्केटबॉल, तैराकी जैसे अन्य खेल लोकप्रियता के लिए तरस रहे हैं। रियो को ओलम्पिक की मेजबानी मिलते ही हालांकि स्थितियां बदलने लगीं। 2009 में रियो को ओलम्पिक-2016 की मेजबानी मिलने के बाद से सरकार ने अन्य ओलम्पिक खेलों में अधिक निवेश किया है।

मेजबान देश अमूमन घरेलू धरती पर बेहतर प्रदर्शन करती हैं। बीजिंग ओलम्पिक-2008 में चीन पदक तालिका में शीर्ष पर रहा था, जबकि लंदन ओलम्पिक-2012 में ब्रिटेन ने शीर्ष स्थान हासिल किया। ब्राजीलियाई ओलम्पिक समिति ने हालांकि रियो ओलम्पिक में पिछली बार की तुलना में अपने पदकों की संख्या दोगुनी करते हुए शीर्ष-10 में जगह बनाने को अपना लक्ष्य बनाया है। ब्राजील ने लंदन ओलम्पिक में 17 पदक जीता था। एक हालिया सर्वेक्षण के अनुसार, 67 फीसदी ब्राजीलवासी ओलम्पिक के पक्ष में हैं। पिछले वर्ष ब्राजील की मेजबानी में हुए फीफा विश्व कप की अपेक्षा इस बार हालांकि परिस्थितियां काफी बदली हुई लग रही हैं। फीफा विश्व कप को लेकर ब्राजील में काफी जन विरोध हुए थे।

रियो ओलम्पिक आयोजन समिति के उप मुख्य कार्यकारी लियोनाडरे ग्रायनर ने कहा, “हम इसे लेकर काफी उत्सुक हैं कि ओलम्पिक विरोध की आवाज तो नहीं उठ रही। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है। लोग इन खेलों से होने वाले लाभ को समझ चुके हैं।”

खेल-कूद

विराट कोहली ने की है 12वीं तक पढ़ाई, इस सब्जेक्ट का नाम सुनकर ही आ जाता था पसीना

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नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली आज अपना 36वां जन्मदिन मना रहे हैं। अपने 16 साल के करियर में विराट इतने आगे निकल गए हैं कि उनके रिकार्ड्स को तोड़ना लगभग नामुमकिन सा लगता है। आज विराट के जन्मदिन के मौके पर हम आपको ऐसी बात बताने जा रहे हैं जो आपने शायद पहले कभी नहीं सुनी होगी। आज हम आपको बताएंगे कि मैदान पर अपनी बल्लेबाजी से गेंदबाजों को डराने वाले विराट किससे डरा करते थे।

आपको जानकर हैरानी होगी कि मैदान पर रिकॉर्ड्स के अंबार लगाने वाले विराट कोहली ने केवल 12वीं तक की ही पढ़ाई की है। क्रिकेट के प्रति दीवानगी के चलते उन्होंने अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी। विराट ने दिल्ली की ‘विशाल भारती पब्लिक स्कूल’ से पढ़ाई की है। स्कूल की वेबसाइट में भी एल्युमनाई में कोहली का जिक्र है और उनकी तस्वीरें भी लगा रखी है।

दिल्ली के जानेमाने स्कूल में से एक इस स्कूल को कई अवार्ड मिल चुके हैं। विराट का फेवरेट सब्जेक्ट हिस्ट्री था। विराट हमेशा से ही अतीत की बातें सीखने के लिए उत्सुक रहते थे। मैथ्स एक ऐसा सब्जेक्ट था जिसके बारे में सुनकर विराट के पसीने छूट जाते थे। कहा जाता है कि एक बार विराट को मैथ्स में 100 में केवल 3 ही मार्क्स मिले थे।

विराट कोहली की ही कप्तानी में भारतीय टीम ने 2008 का अंडर-19 वर्ल्ड कप जीती थी। यह टूर्नामेंट मलेशिया में खेला गया था। इस शानदार प्रदर्शन के दम पर कोहली ने टीम इंडिया के लिए अपना पहला इंटरनेशनल मैच 18 अगस्त 2008 को श्रीलंका के खिलाफ खेला था।

 

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