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ब्लैक मनी के खेल में फंसी हजारों कंपनियां, 13 बैंकों ने सौंपी रिपोर्ट

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नई दिल्ली। देश में ब्लैक मनी को सफेद करने करने वाली हजारों कंपनियों का खुलासा हुआ है। 13 बैंकों ने केंद्र सरकार को एक लिस्ट सौंपी है जिसमें उन कंपनियों के नाम हैं जिन पर ब्लैक मनी को सफेद करने का संदेह है। बैंकों की ओर से 5800 फर्जी कंपनियों की लेन-देन की डिटेल्स जारी की गई है।

कंपनी मामलों के मंत्रालय ने शुक्रवार को जानकारी दी कि उसे उन 2 लाख 9 हजार 32 संदिग्ध कंपनियों में से 5,800 कंपनियों के बैंक ट्रांजैक्शन की जानकारी मिल गई है जिनका रजिस्ट्रेशन कैंसल कर दिया गया है। बैंकों ने सरकार को इन कंपनियों के 13,140 अकाउंट्स की जानकारी मुहैया कराई है।

मंत्रालय के अनुसार, 13 बैंकों ने संदिग्ध कंपनियों की ओर से नोटबंदी के बाद लेनदेन और बैंक अकाउंट ऑपरेशंस से जुड़े अहम आंकड़े दिए हैं। इस साल की शुरुआत में कंपनी रजिस्ट्रार ने इन कंपनियों पर पाबंदी लगा दी थी। पांबदी लगने के बाद इन संदिग्ध कंपनियों के बैंक अकाउंट के ऑपरेशन पर रोक लग जाती है। इसमें केवल देनदारी के पेमेंट की छूट रहती है।

नोटबंदी से पहले इन सभी कंपनियों के खातों में 22 करोड़ रुपया मौजूद था जो कि नोटबंदी के बाद 4573 करोड़ रुपये हो गया। बता दें कि वित्तमंत्री अरुण जेटली ने पहले ही कहा था कि वो फर्जी कंपनियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे।

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कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मुस्लिम आरक्षण को लेकर कही बड़ी बात

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कर्नाटक। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने उन मीडिया रिपोर्टों को खारिज कर दिया जिनमें दावा किया गया था कि राज्य सरकार नौकरियों में मुस्लिम आरक्षण के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। उन्होंने रिपोर्टों को एक और नया झूठ बताया। मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने एक बयान में स्पष्ट किया कि आरक्षण की मांग की गई है लेकिन इस संबंध में सरकार के समक्ष ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। यह स्पष्टीकरण कर्नाटक में मुसलमानों के लिए आरक्षण के मुद्दे पर चल रहे विवाद के बीच आया है।

मुख्यमंत्री कार्यालय ने जारी किया बयान

मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक बयान में कहा, ‘कुछ मीडिया में रिपोर्ट प्रकाशित हुई है कि नौकरियों में मुसलमानों को आरक्षण देने का प्रस्ताव सरकार के समक्ष है। इसमें कहा गया है कि मुस्लिम आरक्षण की मांग की गई है, हालांकि, यह स्पष्ट किया गया है कि इस संबंध में सरकार के समक्ष कोई प्रस्ताव नहीं है।’

4% कोटा, जो श्रेणी-2बी के अंतर्गत आता, सार्वजनिक निर्माण अनुबंधों के लिए समग्र आरक्षण को 47% तक बढ़ा देता। कर्नाटक का वर्तमान आवंटन विशिष्ट सामाजिक समूहों के लिए सरकारी ठेकों का 43% आरक्षित रखता है: एससी/एसटी ठेकेदारों के लिए 24%, श्रेणी-1 ओबीसी के लिए 4%, और श्रेणी-2ए ओबीसी के लिए 15% है।

राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता आर अशोक ने कहा कि सिद्धारमैया के राजनीतिक सचिव, नसीर अहमद, आवास और वक्फ मंत्री बीजे ज़मीर अहमद खान और अन्य मुस्लिम विधायकों के साथ, 24 अगस्त को एक पत्र प्रस्तुत किया था, जिसमें अनुबंधों में मुसलमानों के लिए 4% आरक्षण का अनुरोध किया गया था। उन्होंने आगे कहा कि सिद्धारमैया ने वित्त विभाग को उसी दिन प्रस्ताव की समीक्षा करने का निर्देश दिया था, कथित तौर पर उन्होंने इस मामले से संबंधित कर्नाटक सार्वजनिक खरीद पारदर्शिता (केटीपीपी) अधिनियम में संशोधन का भी समर्थन किया था।

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