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आध्यात्म

भक्ति अज्ञानी एवं ज्ञानी दोनों के लिये समान

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kripalu ji maharaj

kripalu ji maharaj

3.भक्ति सदाचारी तो करता ही है, किंतु दुराचारी को भी अधिकार है यथा-

अपि चेत्‍सुदुराचारो भजते मामनन्‍यभाक् ।

साधुरेव स मन्‍तव्‍यः सम्‍यग्‍वयवसितो हि सः।।

(गीता. 9-30)

  1. भक्ति अज्ञानी एवं ज्ञानी दोनों के लिये समान है। यथा-

ज्ञात्‍वाज्ञात्‍वाथ ये वै मां यावान् यश्‍ चास्मि याद ृशः।

भजन्‍ त्‍यनन्‍यभावेन ते मे भ‍क्‍ततमा मताः।।

(भाग. 11-11-33)

  1. आसक्‍त एवं विरक्‍त दोनों को भक्ति करनी है। यथा आसक्‍त-

बाध्‍यमानोऽपि मद्भक्‍तो विषयैरजितेन्द्रियः।

प्रायः प्रगलभ्‍या भक्‍ त्‍या विषयैर्नाभिभूयते।।

(भाग. 11-14-18)

विरक्‍त तो भक्ति करता ही है।

  1. मुमुक्षु एवं मुक्ति प्राइज़ परमहंस दोनों के लिये भक्ति है।

यथा मुमुक्षु-

मुमुक्षवो घोररूपान् हित्‍वा भूतपतीनथ।

नारायणकलाः शान्‍ता भजन्ति ह्यनसूयवः।।

(भाग. 1-2-26)

यथा- आत्‍मारामाश्र्च मुनयो निर्ग्रन्‍था अप्‍युरुक्रमे।

कुर्वन्‍ त्‍यहैतुकीं भक्तिमित्‍थम्‍भूतगुणो हरिः।।

(भाग. 1-7-10)

  1. साधक एवं सिद्ध दोनों के लिये भक्ति समान है। साधक यथा-

केचित्‍केवलया भक्‍ त्‍या वासुदेवपरायणाः।

अघं धुन्‍वन्ति कात्‍ स्‍ र्न्‍येन नीहारमिव भास्‍करः।।

(भाग. 6-1-15)

सिद्ध को तो भक्ति करनी ही है। क्‍योंकि-

साधक सिद्ध विमुक्‍त उदासी। कवि कोविद कृतज्ञ सन्‍यासी।।

तरइ न बिनु सेएँ मम स्‍वामी। राम नमामि नमामि नमामि।।

  1. सभी स्‍थानों में भक्ति यथा-

8.न देशनियमस्‍तस्मिन् न कालनियमस्‍तथा।   (पद्म पुराण)

8.9. सभी इंद्रियो से भक्ति यथा-

बिले बतोरुक्रमविक्रमान्‍ये न श्रृण्‍वतः  कर्णपुटे नरस्‍य।

जिह्वासती दार्दुरिकेव सूत न चोपगायत्‍युरुगायगाथाः।।

भारः परं पट्टकिरीटजुष्‍टमप्‍युत्‍तमांगं न नमेन्‍मुकुन्‍दम् ।

शावौ करौ नो कुरुतः सपर्यां हरेर्लसत्‍कांचनकंकणौ वा।।

वर्हायिते ते नयने नराणां लिंगानि विष्‍णोर्न निरीक्षतो ये।

पादौ नृणां तौ द्रुमजन्‍मभाजौ क्षेत्राणि नानुव्रजतो हरेर्यौ।। द्र ु

जीवञ्छवो भागवतांघ्रिरेणुं न जातु मर्त्‍योऽभिलभेत यस्‍तु।

श्रीविष्‍णुपद्यामनुजस्‍तुलस्‍याः श्र्वसञ्छवो यस्‍तु न वेद गंधम् ।।

तदश्‍मसारं हृदयं वतेदं यद् गृह्यमाणैर्हरिनामधेयैः।

न विक्रियेताथ यदा विकारो नेत्रे जलं गात्ररुहेषु हर्षः।।

(भाग. 2-3-20 से 24)

 

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आध्यात्म

महापर्व छठ पूजा का आज तीसरा दिन, सीएम योगी ने दी बधाई

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लखनऊ ।लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा का आज तीसरा दिन है. आज के दिन डूबते सूर्य को सायंकालीन अर्घ्य दिया जाएगा और इसकी तैयारियां जोरों पर हैं. आज नदी किनारे बने हुए छठ घाट पर शाम के समय व्रती महिलाएं पूरी निष्ठा भाव से भगवान भास्कर की उपासना करती हैं. व्रती पानी में खड़े होकर ठेकुआ, गन्ना समेत अन्य प्रसाद सामग्री से सूर्यदेव को अर्घ्य देती हैं और अपने परिवार, संतान की सुख समृद्धि की प्रार्थना करती हैं।

यूपी के मुख्यमंत्री ने भी दी बधाई।

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