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आध्यात्म

भक्ति ही वास्‍तविक मुक्ति है

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kripalu ji maharaj

वस्‍तुतस्‍तु भक्ति ही वास्‍तविक मुक्ति है। यथा-

निश्‍ चला त्‍वयि भक्तिर्या सैव मुक्तिर्जनार्दन   (स्‍कन्‍द पुराण)

अर्थात् श्रीकृष्‍ण भक्ति ही मुक्ति है। या मुक्तिदायिनी है। अस्‍तु भक्ति स्‍वतंत्र है। भक्ति स्‍वतंत्र सकल सुख खानी। यथा-

सर्वाभिलाषिताशून्‍यं ज्ञानकर्माद्यनावृतम् ।

आनुकूल्‍येन कृष्‍णानुशीलनं भक्तिरुत्‍तमा।।

(भ. र. सिं.)

सर्वोपाधि विनिर्मुक्‍तं तत्‍परत्‍वेन निर्मलम् ।

हृषीकेण हृषीकेश सेवनं भक्तिरुच्‍यते।।

(नारद पांचरात्र)

’लोकवेदव्‍यापारन्‍यासः’   (ना. भ. सू. 8)

’फल रूपत्‍वात् ‘    (ना. भ. सू. 26)

भक्ति मुख निरीक्षक कर्मयोग ज्ञान   (चै. च.)

सारांश यह है कि कर्म योग ज्ञान सब परतंत्र हैं। केवल भक्ति ही स्‍वतंत्र है। भगवान् भी भक्ति के परतंत्र है। अब भक्ति सम्‍बन्‍धी विशेष वैलक्षण्‍य पर विचार कर लीजिये।

  1. भक्ति समस्‍त वेदों शास्‍त्रों में है। यथा-

भगवान् ब्रह्म कात्‍ स्‍ र्न्‍येन त्रिरन्‍वीक्ष्‍य  मनीषया।

तदध्‍यवस्‍यत् कूटस्‍थो रतिरात्‍मन् यतो भवेत् ।।

(भाग. 2-2-34)

  1. भक्ति समस्‍त कर्ताओं में है। यथा-

मां हि पार्थ व्‍यपा‍ि‍ श्रत्‍य येऽपि स्‍युः पापयोनयः।

स्त्रियो वैश्‍यास्‍तथा शूद्रास्‍तेऽपि यान्ति परां गतिम् ।।

(गीता 9-32)

आध्यात्म

महापर्व छठ पूजा का आज तीसरा दिन, सीएम योगी ने दी बधाई

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लखनऊ ।लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा का आज तीसरा दिन है. आज के दिन डूबते सूर्य को सायंकालीन अर्घ्य दिया जाएगा और इसकी तैयारियां जोरों पर हैं. आज नदी किनारे बने हुए छठ घाट पर शाम के समय व्रती महिलाएं पूरी निष्ठा भाव से भगवान भास्कर की उपासना करती हैं. व्रती पानी में खड़े होकर ठेकुआ, गन्ना समेत अन्य प्रसाद सामग्री से सूर्यदेव को अर्घ्य देती हैं और अपने परिवार, संतान की सुख समृद्धि की प्रार्थना करती हैं।

यूपी के मुख्यमंत्री ने भी दी बधाई।

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