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आध्यात्म

भस्‍मासुर को मारने के लिए भगवान विष्णु ने रचा मोहिनी रूप

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भस्‍मासुर को मिला था भस्म करने का वरदान, भगवान विष्णु ने रचा मोहिनी रूप, भस्मासुर ने की शिव की कठोर तपस्या, भगवान विष्णु‍ जगत्पालक

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भस्‍मासुर को मिला था किसी को भी भस्‍म करने का वरदान

भगवान विष्‍णु को जगत्पालक कहा जाता है. जगत कल्‍याण के लिए उन्‍होंने कई रूप धारण किए इन्‍हीं में से एक है मोहिनी रूप, जिसे भगवान विष्‍णु ने भस्‍मासुर नाम के राक्षस को मारने के लिए रचा था।

भस्‍मासुर को मिला था भस्म करने का वरदान, भगवान विष्णु ने रचा मोहिनी रूप, भस्मासुर ने की शिव की कठोर तपस्या, भगवान विष्णु‍ जगत्पालक

mohini avatar of lord vishnu

इसकी कथा के अनुसार पूर्व काल में भस्‍मासुर नाम का एक राक्षस हुआ करता था। उसको समस्त विश्व पर राज करना था। अपने इसी प्रयोजन को सिद्ध करने हेतु वह शिव की कठोर तपस्या करता है। अंत में भोलेनाथ उसकी बरसों की गहन तपस्या से प्रसन्न हो कर उस के सामने प्रकट होते हैं।

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शिव उसे वरदान मांगने के लिए कहते हैं। तब भस्मासुर अमरत्व का वरदान मांगता है। अमर होने का वरदान सृष्टि विरुद्ध विधान होने के कारण शंकर भगवान उसकी यह मांग नकार देते हैं। तब भस्मासुर अपनी मांग बदल कर यह वरदान मांगता है कि वह जिसके भी सिर पर हाथ रखे वह भस्म हो जाए।

शिवजी उसे यह वरदान दे देते हैं। तब भस्मासुर शिवजी को ही भस्म करने उसके पीछे दौड़ पड़ता है। जैसे-तैसे अपनी जान बचा कर भोलेनाथ शंकर भगवान विष्णु की शरण में जाते हैं और उन्हे पूरी बात बताते हैं। भगवान विष्णु फिर भस्मासुर का अंत करने के लिए मोहिनी रूप रचते हैं।

भस्‍मासुर जब भटक-भटक कर शिवजी को भस्म करने के लिए ढूंढ रहा होता है तब मोहिनी उसके समीप प्रकट हो आती है। उसकी सुंदरता से मुग्ध हो कर भस्मासुर वहीं रुक जाता है।

वह मोहिनी से विवाह का प्रस्ताव रख देता है। मोहिनी जवाब में कहती है कि वह सिर्फ उसी युवक से विवाह करेगी जो उसकी तरह नृत्य में प्रवीण हो।

भस्‍मासुर को नृत्य आता नहीं था तो उसने इस कार्य में मोहिनी से मदद मांगी। मोहिनी तुरंत तैयार हो गई। नृत्य सिखाते-सिखाते मोहिनी ने अपना हाथ अपने सिर पर रखा और उसकी देखा-देखी भस्मासुर भी शिव का वरदान भूल कर अपना ही हाथ अपने सिर पर रख बैठा और खुद ही भस्म हो गया।

इस तरह विष्णु भगवान की सहायता से भोलेनाथ की विकट समस्या का हल हो गया। भस्मासुर से बचने के लिए भगवान महादेव जी जिस गुफा में छुपे उसे गुप्तधाम के नाम से जाना जाता है ।

कथा का सार- ज्ञान और दान सुपात्र को ही देना चाहिए।        

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आध्यात्म

महापर्व छठ पूजा का आज तीसरा दिन, सीएम योगी ने दी बधाई

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लखनऊ ।लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा का आज तीसरा दिन है. आज के दिन डूबते सूर्य को सायंकालीन अर्घ्य दिया जाएगा और इसकी तैयारियां जोरों पर हैं. आज नदी किनारे बने हुए छठ घाट पर शाम के समय व्रती महिलाएं पूरी निष्ठा भाव से भगवान भास्कर की उपासना करती हैं. व्रती पानी में खड़े होकर ठेकुआ, गन्ना समेत अन्य प्रसाद सामग्री से सूर्यदेव को अर्घ्य देती हैं और अपने परिवार, संतान की सुख समृद्धि की प्रार्थना करती हैं।

यूपी के मुख्यमंत्री ने भी दी बधाई।

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