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नेशनल

‘भाजपा भगाओ देश बचाओ’ रैली में लालू की राजनीतिक साख दांव पर

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पटना, 25 अगस्त (आईएएनएस)| बिहार की सत्ता से हाल में ही दूर हुए राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की 27 अगस्त को पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में होने वाली ‘भाजपा भगाओ, देश बचाओ’ रैली को न केवल राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा जा रहा है बल्कि इस रैली को उनकी राजनीतिक साख और राजनीतिक पूंजी से जोड़कर भी देखा जा रहा है।

रैली के पूर्व ही भाजपा के विरोधी दलों के कई महत्वपूर्ण नेताओं के इसमें नहीं आने के ऐलान से विरोधी दलों की एकता की मुहिम को झटका लगा है।

महागठबंधन तोड़कर नीतीश कुमार के भाजपा के साथ जा मिलने के बाद पटना में होने वाली राजद की इस रैली में सोनिया गांधी, राहुल गांधी और मायावती के नहीं आने से रैली का राजनीतिक रंग फीका होना तय माना जा रहा है। कांग्रेस की तरफ से राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद और बिहार प्रभारी सी़ पी़ जोशी रैली में शरीक होंगे।

राजद के उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने आईएएनएस से कहा कि यह अभूतपूर्व रैली होगी। उन्होंने कहा कि यह रैली राजद की रैली है, जिसमें एक विचार के दलों को आमंत्रित किया गया है। इन दलों में कई बड़े नेता हैं। सोनिया गांधी और राहुल गांधी बड़े नेता हैं, वे लोग अपना प्रतिनिधि भेज रहे हैं। सिंह ने दावा कि यह विशाल रैली होगी, अगर सभी नेता पहुंच गए, तब क्या होगा?

बिहार के 38 में 19 जिलों के बाढ़ प्रभावित होने से भी रैली में भीड़ जुटने पर सवालिया निशान लगा है। लेकिन, राजद के कार्यकर्ता इस रैली को लेकर काफी उत्साहित हैं। पूर्व उप मुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने भी कई क्षेत्रों में जाकर लोगों को इस रैली में आने का आमंत्रण दिया है।

राजद के प्रवक्ता मनोज झा ने आईएएनएस से कहा कि इस रैली की सफलता को लेकर कोई शंका नहीं होनी चाहिए। इस रैली में ही संभावित 2019 के लोकसभा चुनाव की स्क्रिप्ट लिखी जानी है।

जानकार कहते हैं कि इस रैली में प्रमुख भाजपा विरोधी नेताओं की अनुपस्थिति और बाढ़ के बावजूद अगर राजद भीड़ जुटा लेती है, तब इस रैली को सफल माना जाएगा। बिहार की राजनीति पर नजदीक से नजर रखने वाले पटना के पत्रकार संतोष सिंह कहते हैं, लालू जब-जब मुसीबत में फंसे हैं तब-तब उन्होंने रैली का आयोजन कर सामाजिक न्यास, धर्मनिपेक्षता जैसे मुद्दों को हवा दी है। यह उनका अपना स्टाइल है। एक बार फिर वे भ्रष्टाचार के मामले में घिरे हैं और रैली का आयोजन कर रहे हैं।

सिंह मानते हैं कि यह रैली भी लालू को राजनीतिक संजीवनी देगी। उनका कहना है कि लालू इस रैली के माध्यम से राजनीतिक दलों को भी यह संदेश देने की कोशिश करेंगे कि उनका जनाधार अभी भी कायम है। ऐसे में लालू की राजनीतिक साख इस रैली से जुड़ी है।

रैली में भाजपा विरोधी दलों के नेताओं के मुख्य चेहरों में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, जद (यू) से बागी हुए शरद यादव और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का भाग लेना तय माना जा रहा है।

जद (यू) इस रैली को लेकर राजद पर निशाना साध रहा है। जद (यू) के प्रवक्ता संजय सिंह कहते हैं कि यह रैली भ्रष्टाचार के आरोप में घिरे लालू परिवार के सदस्यों के चेहरों को साफ दिखाने की कोशिश है। उन्होंने कहा कि यह रैली लालू अपने दोनों बेटों को राजनीति में स्थापित करने के लिए बुला रहे हैं।

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उत्तर प्रदेश

संभल में कैसे भड़की हिंसा, किस आधार पर हो रहा दावा, पढ़े पूरी रिपोर्ट

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संभल। संभल में एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन मंदिर होने और भविष्य में कल्कि अवतार के यहां होने के दावे ने हाल ही में काफी सुर्खियां बटोरी हैं. इस दावे के पीछे कई धार्मिक और ऐतिहासिक तथ्य बताए जा रहे है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और उनके मंदिर को लेकर कई दावे पहले से ही किए जा रहे हैं. इसे लेकर धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों के आधार पर गहरी चर्चा हो भी रही है. हिंदू धर्म में कल्कि अवतार को भगवान विष्णु का दसवां और अंतिम अवतार माना गया है. ऐसा माना जाता है कि कलियुग के अंत में जब अधर्म और अन्याय अपने चरम पर होगा तब भगवान कल्कि अवतार लेकर पृथ्वी पर धर्म की स्थापना करेंगे.

कैसे भड़की हिंसा?

24 नवंबर को मस्जिद में हो रहे सर्वे का स्थानीय लोगों ने विरोध किया. पुलिस भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मौके पर थी. सर्वे पूरा होने के बाद जब सर्वे टीम बाहर निकली तो तनाव बढ़ गया. भीड़ ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया, जिसके कारण स्थिति बिगड़ गई और हिंसा भड़क उठी.

दावा क्या है?

हिंदू पक्ष का दावा है कि संभल में स्थित एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन काल में एक मंदिर था. इस मंदिर को बाबर ने तोड़कर मस्जिद बनवाई थी. उनका यह भी दावा है कि भविष्य में कल्कि अवतार इसी स्थान पर होंगे.

किस आधार पर हो रहा है दावा?

दावेदारों का कहना है कि उनके पास प्राचीन नक्शे हैं जिनमें इस स्थान पर मंदिर होने का उल्लेख है. स्थानीय लोगों की मान्यता है कि इस स्थान पर प्राचीन काल से ही पूजा-अर्चना होती थी. कुछ धार्मिक ग्रंथों में इस स्थान के बारे में उल्लेख मिलता है. हिंदू धर्म के अनुसार कल्कि अवतार भविष्य में आएंगे और धर्म की स्थापना करेंगे. दावेदारों का मानना है कि यह स्थान कल्कि अवतार के लिए चुना गया है.

किस आधार पर हो रहा है विरोध?

अभी तक इस दावे के समर्थन में कोई ठोस पुरातात्विक साक्ष्य नहीं मिला है. जो भी ऐतिहासिक रिकॉर्ड्स उपल्बध हैं वो इस बात की पुष्टि करते हैं कि इस स्थान पर एक मस्जिद थी. धार्मिक ग्रंथों की व्याख्या कई तरह से की जा सकती है और इनका उपयोग किसी भी दावे को सिद्ध करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए.

संभल का धार्मिक महत्व

शास्त्रों और पुराणों में यह उल्लेख है कि भगवान विष्णु का कल्कि अवतार उत्तर प्रदेश के संभल नामक स्थान पर होगा. इस आधार पर संभल को कल्कि अवतार का स्थान माना गया है. श्रीमद्भागवत पुराण और अन्य धर्मग्रंथों में कल्कि अवतार का वर्णन विस्तार से मिलता है जिसमें कहा गया है कि कल्कि अवतार संभल ग्राम में विष्णुयश नामक ब्राह्मण के घर जन्म लेंगे.

इसी मान्यता के कारण संभल को कल्कि अवतार से जोड़ा जाता है. संभल में बने कल्कि मंदिर को लेकर यह दावा किया जा रहा है कि यही वह स्थान है जहां भविष्य में भगवान कल्कि का प्रकट होना होगा. मंदिर के पुजारी और भक्तों का कहना है कि यह स्थान धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र है और यहां कल्कि भगवान की उपासना करने से व्यक्ति अधर्म से मुक्ति पा सकता है.

धार्मिक विश्लेषण

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कल्कि अवतार का समय तब होगा जब अधर्म, पाप और अन्याय चरम पर पहुंच जाएंगे. वर्तमान में दुनिया में मौजूद सामाजिक और नैतिक स्थितियों को देखकर कुछ लोग यह मानते हैं कि कल्कि अवतार का समय निकट है. संभल में कल्कि मंदिर को लेकर जो भी दावे किए जा रहे हैं वो सभी पूरी तरह से आस्था पर आधारित हैं. धार्मिक ग्रंथों में वर्णित समय और वर्तमान समय के बीच अभी काफी अंतर हो सकता है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और मंदिर का दावा धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों पर आधारित है. हालांकि, यह दावा प्रमाणिकता के बजाय विश्वास पर आधारित है. यह भक्तों की आस्था है जो इस स्थान को विशेष बनाती है.

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