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खेल-कूद

भारतीय महिलाओं को खेलों में जाने के लिए प्रेरित नहीं किया जाता : सायना

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राधिका भिरानी

नई दिल्ली। ग्रैंड स्लैम विंबलडन में सानिया मिर्जा की हालिया सफलता इस बात का प्रतीक है कि भारतीय महिलाएं क्या-क्या हासिल कर सकती हैं लेकिन बैडमिंटन स्टार सायना नेहवाल का मानना है कि अधिकांश महिलाओं को देश में खेलों के क्षेत्र में जाने को लेकर बढ़ावा नहीं मिलता।

बीते समय में सानिया, दीपिका पाल्लीकल (स्क्वॉश), सायना, ज्वाला गुट्टा व अश्विनी पोनप्पा (सभी बैडमिंटन) ने अपनी शानदार उपलब्धियों के जरिए खेलों के क्षेत्र में देश का नाम रोशन किया है। विश्व की दूसरी वरीयता प्राप्त खिलाड़ी सायना हालांकि स्वीकार करती हैं कि वैश्विक स्तर पर भारतीय महिलाओं की सफलता के बावजूद देश में लड़कियों को खेलों के क्षेत्र में जाने देने को लेकर उत्साह में कमी है। एक कार्यक्रम के दौरान सायना ने कहा, “बदलाव आ रहा है और लड़कियों ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया है लेकिन खेलों के मामले में लड़कियों को अभी काफी लम्बा रास्ता तय करना है क्योंकि उन्हें इस क्षेत्र में आगे आने के लिए खुलकर बढ़ावा नहीं मिलता।”

सायना मानती हैं कि महिलाओं की शिक्षा को लेकर समाज के हर वर्ग में जागरुकता आई है लेकिन जहां तक खेलों की बात है तो पेशेवर स्तर पर लड़कियों को आगे लाने को लेकर उत्साह में कमी है। सायना ने कहा, “इसका एक सबसे बड़ा कारण यह है कि खेल लड़कियों के लिए पेशा नहीं हो सकता और पढ़ाई के दौरान खेलों के साथ आगे बढ़ने से पढ़ाई पर प्रभाव पड़ता है। मेरा अनुभव है कि मैं अपने जीवन में कई ऐसी लड़कियों से मिली हूं, जो खेल और पढ़ाई में बराबर इच्छुक रही हैं लेकिन उचित मार्गदर्शन के बिना वे खासकर खेलों के क्षेत्र मे कुछ नहीं कर पातीं।”

“द्वितीय और तृतीय दर्जे के शहरों में खासकर लोगों की सोच लड़कियों को पेशेवर बनाने की ओर बढ़ी है लेकिन उन्हें पेशेवर खिलाड़ी बनाने को लेकर सोच में बदलाव नहीं आया है। ऐसे शहरों में हालांकि लड़कियों को अधिक मौके भी नहीं मिलते। हमें खेलों के क्षेत्र में ऐसी महिलाओं की जरूरत है, जो देश का नाम रोशन कर सकें।” सायना मानती हैं कि उनके असल जीवन की कहानी निश्चित तौर पर लाखों लड़कियों को खेलों के क्षेत्र में आने के लिए प्रेरित करेगी। सायना ने कहा, “मैं मानती हूं कि मेरी कहानी से लोग इतनी सीख जरूर लेंगे कि अपनी लड़कियों को वे पारंपरिक पेशे से अलग हटकर नया पेशा अपनाने के लिए प्रेरित करेंगे।”

खेल-कूद

विराट कोहली ने की है 12वीं तक पढ़ाई, इस सब्जेक्ट का नाम सुनकर ही आ जाता था पसीना

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नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली आज अपना 36वां जन्मदिन मना रहे हैं। अपने 16 साल के करियर में विराट इतने आगे निकल गए हैं कि उनके रिकार्ड्स को तोड़ना लगभग नामुमकिन सा लगता है। आज विराट के जन्मदिन के मौके पर हम आपको ऐसी बात बताने जा रहे हैं जो आपने शायद पहले कभी नहीं सुनी होगी। आज हम आपको बताएंगे कि मैदान पर अपनी बल्लेबाजी से गेंदबाजों को डराने वाले विराट किससे डरा करते थे।

आपको जानकर हैरानी होगी कि मैदान पर रिकॉर्ड्स के अंबार लगाने वाले विराट कोहली ने केवल 12वीं तक की ही पढ़ाई की है। क्रिकेट के प्रति दीवानगी के चलते उन्होंने अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी। विराट ने दिल्ली की ‘विशाल भारती पब्लिक स्कूल’ से पढ़ाई की है। स्कूल की वेबसाइट में भी एल्युमनाई में कोहली का जिक्र है और उनकी तस्वीरें भी लगा रखी है।

दिल्ली के जानेमाने स्कूल में से एक इस स्कूल को कई अवार्ड मिल चुके हैं। विराट का फेवरेट सब्जेक्ट हिस्ट्री था। विराट हमेशा से ही अतीत की बातें सीखने के लिए उत्सुक रहते थे। मैथ्स एक ऐसा सब्जेक्ट था जिसके बारे में सुनकर विराट के पसीने छूट जाते थे। कहा जाता है कि एक बार विराट को मैथ्स में 100 में केवल 3 ही मार्क्स मिले थे।

विराट कोहली की ही कप्तानी में भारतीय टीम ने 2008 का अंडर-19 वर्ल्ड कप जीती थी। यह टूर्नामेंट मलेशिया में खेला गया था। इस शानदार प्रदर्शन के दम पर कोहली ने टीम इंडिया के लिए अपना पहला इंटरनेशनल मैच 18 अगस्त 2008 को श्रीलंका के खिलाफ खेला था।

 

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