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बिजनेस

भारतीय महिला बैंक का एसबीआई में विलय होगा

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नई दिल्ली। सरकार ने सोमवार को कहा कि भारतीय महिला बैंक (बीएमबी) का भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) में विलय किया जाएगा, ताकि ज्यादा से ज्यादा महिलाओं के लिए बेहतर बैंकिंग सुविधाएं सुनिश्चित की जा सकें।

वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “यह फैसला एसबीआई के बड़े नेटवर्क के लाभ को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। एसबीआई की पहले से ही 126 एक्सक्लूसिव महिला शाखाएं है, जबकि बीएमबी की केवल सात हैं।”

इसमें कहा गया है, “बीएमबी में एसबीआई जितना कवरेज प्राप्त करने की प्रबंधकीय और प्रशासनिक लागत कहीं ज्यादा है। इसी लागत में एसबीआई के माध्यम से महिलाओं को कहीं ज्यादा ऋण मुहैया कराए जा सकेंगे।”

बीएमबी का गठन 2013 में किया गया था। पिछले तीन सालों में इस बैंक ने महिलाओं को कुल 192 करोड़ रुपये का ऋण बांटा। जबकि एसबीआई समूह ने इसी अवधि में कुल 46,000 करोड़ रुपये का ऋण महिलाओं को दिया।

एसबीआई की 20,000 से अधिक शाखाएं है। इसमें करीब 2 लाख कर्मचारी काम करते हैं जिसमें 22 फीसदी महिलाएं हैं।

बिजनेस

जेट एयरवेज की संपत्तियों की होगी बिक्री

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश को रद्द करते हुए दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के अनुसार निष्क्रिय जेट एयरवेज के परिसमापन का आदेश दिया। एनसीएलएटी ने पहले कॉरपोरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के हिस्से के रूप में जालान कालरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को एयरलाइन के स्वामित्व के हस्तांतरण को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी करते हुए कहा कि जेकेसी संकल्प का पालन करने में विफल रहा क्योंकि वह 150 करोड़ रुपये देने में विफल रहा, जो श्रमिकों के बकाया और अन्य आवश्यक लागतों के बीच हवाई अड्डे के बकाया को चुकाने के लिए 350 करोड़ रुपये की पहली राशि थी। नवीनतम निर्णय एयरलाइन के खुद को पुनर्जीवित करने के संघर्ष के अंत का प्रतीक है।

NCLT को लगाई फटकार

पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति पारदीवाला ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ एसबीआई तथा अन्य ऋणदाताओं की याचिका को स्वीकार कर लिया। याचिका में जेकेसी के पक्ष में जेट एयरवेज की समाधान योजना को बरकरार रखने के फैसले का विरोध किया गया है। न्यायालय ने कहा कि विमानन कंपनी का परिसमापन लेनदारों, श्रमिकों और अन्य हितधारकों के हित में है। परिसमापन की प्रक्रिया में कंपनी की संपत्तियों को बेचकर प्राप्त धन से ऋणों का भुगतान किया जाता है। पीठ ने एनसीएलएटी को, उसके फैसले के लिए फटकार भी लगाई।

शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल किया, जो उसे अपने समक्ष लंबित किसी भी मामले या मामले में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए आदेश तथा डिक्री जारी करने का अधिकार देता है। एनसीएलएटी ने बंद हो चुकी विमानन कंपनी की समाधान योजना को 12 मार्च को बरकरार रखा था और इसके स्वामित्व को जेकेसी को हस्तांतरित करने की मंजूरी दी थी। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और जेसी फ्लावर्स एसेट रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ अदालत का रुख किया था।

 

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