साइंस
भारतीय वैज्ञानिक ने बनाया भ्रूण में मस्तिष्क विकास पर नजर रखने वाला 3डी सॉफ्टवेयर
वाशिंगटन। भारतीय मूल के एक वैज्ञानिक ने एक ऐसे 3डी सॉफ्टवेयर का विकास किया है, जिसकी मदद से भ्रूण के बिल्कुल शुरुआती चरण में मस्तिष्क विकास पर निगरानी रखी जा सकेगी। यह ओपन-सोर्स 3डी सॉफ्टवेयर भ्रूण के विकास के दौरान तंत्रिका तंत्र की कोशिकाओं की गतिविधियों पर नजर रखेगा।
इस अध्ययन के लिए वैज्ञानिकों ने कृमि पर परीक्षण किया। ‘सी एलीगेंस’ नाम के इस कृमि में 302 न्यूरॉन कोशिकाएं होती हैं। भ्रूण की अवस्था में कृमि में 202 न्यूरॉन कोशिकाएं पाई गईं। हालांकि वैज्ञानिकों ने कई ऐसे महत्वपूर्ण प्रोटीन की भी पहचान की है जो मस्तिष्क में तंत्रिका तंत्र की कोशिकाओं के बनने की प्रक्रिया का निर्धारण करते हैं।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल इमैजिंग एंड बायोइंजीनियरिंग के वैज्ञानिक और शोध दल के प्रमुख हरी श्राफ के अनुसार, “इस सॉफ्टवेयर द्वारा प्राप्त मस्तिष्क में न्यूरॉन के निर्माण की प्रक्रिया से लेकर गंतव्य तक पहुंचने के उनके मार्ग की जानकारी हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।”
यह नई तकनीक वैज्ञानिकों की अगली परियोजाना, 4डी न्यूरोडेवलपमेंटल ‘वर्म एटलस’ निर्माण, में काफी मददगार साबित होगी। इससे समस्त तंत्रिका तंत्र के विकास संबंधी जानकारी आसानी से प्राप्त हो पाएगी। श्राफ के अनुसार, यह वर्म एटलस मानवों सहित दुनिया के सभी जीवों में तंत्रिका तंत्र निर्माण की क्रियाविधि को समझने में बेहद मददगार साबित होगा।
श्राफ बताते हैं, “अभी तक हम न्यूरोडेवलपमेंट प्रक्रिया को समझ नहीं पाए हैं। लेकिन हम कृमि को एक सामान्य मॉडल के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे हमें यह जानने में मदद मिलेगी कि कैसे सारे कारक एक साथ मिलकर कृमि के मस्तिष्क के विकास में कार्य करते हैं।” हम उम्मीद करते हैं कि इसके बाद हम इस प्रक्रिया को मनुष्य पर भी दोहरा पाएंगे। इस साफ्टवेयर के बारे में शोध पत्रिका ‘ईलाइफ’ में शोध-पत्र प्रकाशित हुआ है।
साइंस
फेमस न्यूक्लियर फिजिस्ट होमी जहांगीर भाभा का आज जन्मदिन, जानें कुछ उनके बारे में
नई दिल्ली। इंडियन न्यूक्लियर प्रोग्राम के जनक और फेमस न्यूक्लियर फिजिस्ट होमी जहांगीर भाभा का आज जन्मदिन है। जे. भाभा, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) के फाउंडिंग डायरेक्टर और फिजिक्स के प्रोफेसर भी थे। होमी जहांगीर भाभा का जन्म 30 अक्टूबर 1909 में एक अमीर पारसी परिवार में हुआ था। होमी जहांगीर भाभा के पिता का नाम जहांगीर होर्मुस्जी भाभा और माता का नाम मेहरबाई भाभा था, इनके पिता एक जाने-माने वकील थे जबकि माँ एक गृहिणी थीं।
होमी भाभा ने 16 साल की आयु में ही सीनियर कैम्ब्रिज परीक्षा पास कर ली थी। फिर वे गोनविले और कैयस कॉलेज में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के लिए कैम्ब्रिज गए। इसके बाद उन्होंने कैम्ब्रिज में कैवेंडिश लैब में रिसर्च करना शुरू किया और उनका पहला रिसर्च पेपर 1933 में प्रकाशित हुआ। दो साल बाद, उन्होंने अपनी पीएचडी हासिल की और 1939 तक कैम्ब्रिज में रहे।होमी भाभा ने छात्र के रूप में कोपेनहेगन में नोबेल पुरस्कार विजेता नील्स बोहर के साथ काम किया और क्वांटम सिद्धांत के विकास में प्रमुख भूमिका निभाई।
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