खेल-कूद
भारतीय हॉकी के लिए वर्ष रहा आशापूर्ण
नई दिल्ली| एशियाई खेलों में 16 साल बाद स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने जहां देश के खेल प्रेमियों को खुशी मनाने का मौका दिया वहीं, यह साल विवादास्पद तरीके से मुख्य कोच टेरी वॉल्श की विदाई के लिए भी याद किया जाएगा।
पिछले साल दिसंबर में पुरुषों के जूनियर विश्व कप में भारतीय जूनियर टीम के खराब प्रदर्शन के बाद साल की शुरुआत भी थोड़ी निराशाजनक रही। आठ देशों की इस हॉकी वर्ल्ड लीग (एचडब्ल्यूएल) टूर्नामेंट में टीम छठे स्थान पर रही।
टूर्नामेंट से एकमात्र सकारात्मक बात भारत की जर्मनी पर 5-4 की जीत रही।
बहरहाल, इसके बाद खिलाड़ी हॉकी इंडिया लीग (एचआईएल) में व्यस्त हो गए जिसे सरदार सिंह के नेतृत्व वाली दिल्ली वेवराइंडर्स टीम ने जीता।
इसके बाद भारतीय टीम विश्व कप की तैयारियों के लिए नीदरलैंड्स गई जहां उसे हार का सामना करना पड़ा। वॉल्श की कोचिंग में भारतीय टीम ने हालांकि शुरुआती सुधार विश्व कप में दिखाए। नतीजे भारतीय टीम के पक्ष में जरूर नहीं रहे।
इंग्लैंड और बेल्जियम के खिलाफ आखिरी मिनटों में हुए गोल की वजह से भारत को हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद स्पेन से ड्रा और विश्व चैम्पियन आस्ट्रेलिया से मिली 0-4 की हार ने हॉकी प्रेमियों को निराश किया।
भारतीय टीम दक्षिण कोरिया को 3-0 से हराने में कामयाब रही और नौवां स्थान हासिल किया।
इसके बाद तमाम आलोचनाओं और संभावनाओं के बीच भारतीय टीम ने राष्ट्रमंडल खेलों में हिस्सा लिया। सेमीफाइनल में भारत ने न्यूजीलैंड को हराया और फाइनल में पहुंची। खिताबी मुकाबले में हालांकि टीम को लगातार दूसरी बार आस्ट्रेलिया के हाथों हार का सामना करना पड़ा। इससे पहले दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों में भी फाइनल में भारत को आस्ट्रेलिया ने ही हराया था।
इसके बाद एक बड़ी बहस उस समय शुरू हुई जब किसी भी हॉकी खिलाड़ी को अर्जुन पुरस्कार के लिए नहीं चुना गया। इस दौरान हॉकी इंडिया (एचआई) के अध्यक्ष नरेंद्र बत्रा और भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) के बीच वाद-विवाद भी मीडिया में छाया रहा।
इन सबके बीच भारतीय टीम ने हालांकि अपना सफर जारी रखा और उसे बड़ी सफलता इंचियोन एशियाई खेलों में मिली। दक्षिण कोरिया में आयोजित हुए टूर्नामेंट के फाइनल में भारतीय हॉकी टीम ने चिर-प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को हराकर 1996 के बाद पहली बार एशियाई खेलों का स्वर्ण पदक जीता।
इस जीत के साथ ही भारतीय हॉकी टीम रियो ओलंपिक के लिए भी क्वालीफाई कर गई।
इंचियोन एशियाई खेलों में मिली सफलता से उत्साहित भारतीय टीम ने इसके बाद आस्ट्रेलिया दौरे पर भी विश्व चैम्पियन को पांच मैचों की श्रृंखला में 3-1 से हराया।
दूसरी ओर अंडर-21 पुरुष टीम भी सुल्तान जोहोर कप खिताब बचाने में कामयाब रही। इन सभी सफलताओं के बाद वह लम्हा भी आया जब भारतीय हॉकी टीम के चौथे विदेशी कोच वॉल्श को पद छोड़ना पड़ा। उन पर आर्थिक अनियमितता का आरोप लगा।
खेल मंत्री सर्वानंद सोनोवाल और साई के प्रयासों के बावजूद वॉल्श भारतीय टीम से अलग हो गए।
एक हद तक इसका असर भुवनेश्वर में आयोजित हुए चैम्पियंस ट्रॉफी में नजर आया। भारत का प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं रहा और उसे जर्मनी और अर्जेटीना से हार का सामना करना पड़ा।
भारत ने हालांकि चैम्पियंस ट्रॉफी में 18 साल बाद नीदरलैंड्स को जरूर हराया। क्वार्टर फाइनल में टीम ने बेल्जियम को मात देकर सेमीफाइनल में जगह बनाई जहां उसे पाकिस्तान से हारकर टूर्नामेंट से बाहर होना पड़ा।
कुल मिलाकर देखें तो यह पूरा साल भारतीय हॉकी के लिए अच्छे-बुरे अनुभव वाला रहा। नए साल में टीम अब नए कोच के नेतृत्व में निश्चित रूप से अपनी सफलता को और आगे ले जाना चाहेगी।
नए कोच पर हालांकि अब भी कोई फैसला नहीं हो सका है।
ऑफ़बीट
IND VS AUS: ताश के पत्तों की तरह बिखरा भारत का बैटिंग आर्डर, पूरी टीम 150 रनों पर ढेर
नई दिल्ली। पर्थ के मैदान पर टीम इंडिया के बल्लेबाजी क्रम की एक बार फिर पोल खुल गई। 49.4 ओवर खेलकर ही भारत की पूरी टीम सिर्फ 150 रन बनाकर ढेर हो गई। टीम के छह बल्लेबाज दहाई का आंकड़ा पार नहीं कर सके। पर्थ की पिच पर ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाजों ने ऐसा कहर बरपाया कि टीम इंडिया का मजबूत बैटिंग ऑर्डर ताश के पत्तों की तरह बिखर गया।
टीम इंडिया की शुरुआत ही बेहद खराब हुई। यशस्वी जायसवाल बिना खाता खोले ही मिचेल स्टार्क की गेंद पर पवेलियन लौट गए। देवदत्त पडिक्कल ने 23 गेंदों का सामना किया, लेकिन वो अपने नाम के आगे एक रन तक नहीं लिखवा सके। नंबर चार पर बल्लेबाजी करने उतरे विराट कोहली से फैन्स को काफी उम्मीदें थीं। हालांकि, विराट का किस्मत ने एक बार फिर साथ नहीं दिया और वह जोश हेजलवुड के हाथ से निकली बेहतरीन गेंद पर अपना विकेट गंवा बैठे। भोजनकाल से पहले 23वें ओवर में मिचेल स्टार्क ने के एल राहुल (26) को आउट कर भारत को बड़ा झटका दिया।
लंच के बाद चार विकेट पर 51 रन के आगे खेलने उतरी भारतीय टीम दूसरे सेशन में 24.4 ओवर में मात्र 99 रन ही जोड़ पाई और बचे हुए बाकी विकेट गवां दिये। 59 के स्कोर पर भारतीय टीम को पांचवां झटका लगा। मिचेल मार्श ने ध्रुव जुरेल को मार्नस लाबुशेन के हाथों कैच आउट कराया। जुरेल 11 रन बनाकर आउट हुए।
इसके बाद वॉशिंगटन सुंदर मात्र चार रन बनाकर मिचेल मार्श की गेंद पर विकेटकीपर एलेक्स कैरी को कैच थमा बैठे। भारत ने छह विकेट गिरने के बाद ऑलराउंडर नीतीश कुमार रेड्डी बल्लेबाजी करने आए और उन्होंने ऋषभ पंत के साथ छठे विकेट के लिए 48 रन जोड़े। भारत को सातवां झटका ऋषभ पंत के रूप में लगा। वह 37 रन बनाकर पैट कमिंंस की गेंद पर दूसरी स्लिप में खड़े स्टीव स्मिथ को कैच थमा बैठे।
इसके बाद हर्षित राणा मात्र 7 रन बनाकर जोश हेजलवुड की गेंद पर मार्नस लॉबुशेन को कैच थमा बैठे। भारत का नौवां विकेट जसप्रीत बुमराह के रूप में गिरा, जो जोश हेजलवुड की गेंद पर विकेटकीपर कैरी को कैच थमा बैठे। वहीं आखिरी विकेट नीतीश रेड्डी का गिरा। रेड्डी को पैट कमिंस ने उस्मान ख्वाजा के हाथों कैच आउट कराया।
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