Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

नेशनल

भारत में लैंगिक समानता घटाएगी खुदकुशी दर?

Published

on

Loading

नई दिल्ली| पुरुषों व महिलाओं के पास अगर फैसले लेने की समान जिम्मेदारी हो तो पुरुषों द्वारा की जा रही खुदकुशी के मामले में कमी की जा सकती है। मनोचिकित्सकों के मुताबिक, लैंगिक समानता के जरिए बहुत से पुरुषों की जिंदगी खुदकुशी से बच सकती है। गृह मंत्रालय के नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के नवीनतम आंकड़े के मुताबिक, 2014 में हर घंटे आत्महत्या करने वाले 15 लोगों में से 10 पुरुष हैं।

एनसीआरबी की रिपोर्ट ‘एक्सीडेंटल डेथ्स एंड सूसाइड इन इंडिया 2014’ में कहा गया, “पिछले एक दशक (2004-2014) के दौरान देश में खुदकुशी के मामलों में 15.8 फीसदी (2004 में 1,13,697 से 2014 में 1,31,000) की बढ़ोतरी दर्ज की गई।”

रिपोर्ट में कहा गया कि 2014 में आत्महत्या करने वालों का कुल पुरुष:महिलाअनुपात 67.7:32.3 था। इसमें 2013 की तुलना में पुरुषों के आत्महत्या मामलों में मामूली बढ़ोतरी और महिलाओं के आत्महत्या के मामलों में मामूली कमी आई।

खुदकुशी निजी और सामाजिक-आर्थिक कारणों का मिला-जुला नतीजा हो सकती है, लेकिन मनोचिकित्सक चेताते हैं कि पितृसत्तात्मक ढांचे को बनाने और बरकरार रखने में मदद करने वाली पौरूष या मर्दानगी की भावना न केवल महिलाओं, बल्कि पुरुषों के जीवन पर भी भारी पड़ सकती है।

मनोचिकित्सक और दिल्ली के तुलसी हेल्थकेयर सेंटर के निदेशक गौरव गुप्ता ने आईएएनएस को बताया, “जी हां, लैंगिक समानता पुरुषों में खुदकुशी के मामलों को कम कर सकती है।”उन्होंने कहा, “अगर वित्तीय और सामाजिक फैसले लेने की जिम्मेदारी केवल उन्हीं के (पुरुषों) कंधों पर ना हो, तो संकट की घड़ी में निर्णय लेने की जिम्मेदारी सामूहिक हो सकती है और ऐसे में असफलता को निजी असफलता के रूप में नहीं देखा जाएगा।”

भारत में 2014 के दौरान प्रति 1,00,000 आबादी पर खुदकुशी दर 10.6 थी।यह भी प्रमाणित हो चुका है कि महिलाओं की तुलना में तलाकशुदा और विधुर पुरुष अपनी जीवनलीला खत्म करने के बारे में ज्यादा सोचते हैं।

2014 में तलाकशुदा और अलग रह रही 733 महिलाओं ने खुदकुशी की, जबकि तलाकशुदा या किसी कारणवश पत्नी से अलग रह रहे 1,150 पुरुषों ने आत्महत्या की। दिल्ली के बीएलके सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल के वरिष्ठ सलाहकार मनोचिकित्सक डॉक्टर (ब्रिगेडियर) एस. सुदर्शनन भी इससे सहमत हैं।

उन्होंने कहा, “मर्दो को अपनी पत्नियों से मिलने वाले असीमित समर्थन, सहूलियत और बेशर्त साथ की आदत होती है। ऐसे में विधुर होने से जीवन में बहुत बड़ा खालीपन आ जाता है, जिससे पुरुषों में आमतौर पर अकेलापन और अवसाद जन्म लेता है।”बेरोजगारी, सिर पर छत न होना और वैवाहिक दिक्कतों की वजह से शहरी क्षेत्रों में खुदकुशी के मामले बढ़े हैं।

2014 में महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और तेलंगाना में ही कुल आत्महत्या मामलों में से 51.1 फीसदी मामले दर्ज किए गए।सुदर्शनन ने यह भी कहा कि पुरुष, महिलाओं की तुलना में दबाव या अवसाद को झेलने के लिहाज से अपेक्षाकृत कम मजबूत होते हैं।उन्होंने कहा, “महिलाएं ज्यादा मजबूत होती हैं और तनाव या अवसाद से ज्यादा बेहतर तरीके से निबट सकती हैं।”

नेशनल

पीएम मोदी पर लिखी किताब के प्रचार के लिए स्मृति ईरानी चार देशों की यात्रा पर

Published

on

Loading

नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी एक नवीनतम पुस्तक ‘मोडायलॉग – कन्वर्सेशन्स फॉर ए विकसित भारत’ के प्रचार के लिए चार देशों की यात्रा पर रवाना हो गई हैं। यह दौरा 20 नवंबर को शुरू हुआ और इसका उद्देश्य ईरानी को मध्य पूर्व, ओमान और ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों से जोड़ना है।

स्मृति ईरानी ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि,

एक बार फिर से आगे बढ़ते हुए, 4 देशों की रोमांचक पुस्तक यात्रा पर निकल पड़े हैं! 🇮🇳 जीवंत भारतीय प्रवासियों से जुड़ने, भारत की अपार संभावनाओं का जश्न मनाने और सार्थक बातचीत में शामिल होने के लिए उत्सुक हूँ। यह यात्रा सिर्फ़ एक किताब के बारे में नहीं है; यह कहानी कहने, विरासत और आकांक्षाओं के बारे में है जो हमें एकजुट करती हैं। बने रहिए क्योंकि मैं आप सभी के साथ इस अविश्वसनीय साहसिक यात्रा की झलकियाँ साझा करता हूँ

कुवैत, दुबई, ओमान और ब्रिटेन जाएंगी स्मृति ईरानी

डॉ. अश्विन फर्नांडिस द्वारा लिखित यह पुस्तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासन दर्शन पर प्रकाश डालती है तथा विकसित भारत के लिए उनके दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करती है। कार्यक्रम के अनुसार ईरानी अपनी यात्रा के पहले चरण में कुवैत, दुबई, फिर ओमान और अंत में ब्रिटेन जाएंगी।

Continue Reading

Trending