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बिजनेस

भारत से इस साल 65-70 लाख गांठ रूई निर्यात के आसार

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नई दिल्ली, 29 मार्च (आईएएनएस)| दुनिया का सबसे बड़ा रूई उत्पादक भारत इस साल पिछले साल से ज्यादा रूई का निर्यात कर सकता है। रूई कारोबारियों के शीर्ष संगठन कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीआईए) के मुताबिक, चालू रूई उत्पादन व विपणन वर्ष 2017-18 (अक्टूबर-सितंबर) के प्रथम छमाही में देश 53-55 लाख गांठ (170 किलो प्रति गांठ) रूई का निर्यात हो चुका है और अगले दो महीने में निर्यात के लिए तकरीबन 10 लाख गांठ के सौदे हो चुके हैं।

सीएआई के प्रेसिडेंट अतुल गंतरा ने गुरुवार को आईएएनएस से मुंबई से फोन पर बातचीत में कहा कि पिछले साल भारत ने 63 लाख गांठ रूई का निर्यात किया था, मगर इस साल 65-70 लाख गांठ रूई निर्यात होने की संभावना है।

उन्होंने बताया कि इसके साथ पिछले साल के मुकाबले देश का आयात काफी कम रहेगा। पिछले साल जहां आयात 27 लाख गांठ हुआ था, वहां इस साल महज 20 लाख गांठ रहेगा।

गंतरा ने कहा कि इस साल तो नहीं, लेकिन अगले साल चीन की आयात मांग रूई में बढ़ सकती है, क्योंकि अगले साल उसके पास स्टॉक कम होगा। चीन में इस समय सरकारी भंडार से रूई की नीलामी चल रही है। उन्होंने कहा कि अमेरिका से अगर चीन रूई खरीदना कम करेगा तो निस्संदेह भारत से ज्यादा खरीदेगा, जो भारत के लिए लाभकारी स्थिति होगी।

गंतरा ने कहा कि भारत की रूई दुनिया में सबसे सस्ती है, इसलिए इसकी मांग ज्यादा है। उन्होंने बताया कि मार्च महीने तक भारत का रूई निर्यात बांग्लादेश को 17 लाख गांठ, पाकिस्तान को 11 लाख गांठ, वियतनाम को 10 लाख गांठ, चीन को सात लाख गांठ, इंडोनेशिया और ताइवान को सात लाख गांठ और अन्य देशों को तीन लाख गांठ हो चुका है।

सीएआई के पिछले अनुमान के मुताबिक, भारत का रूई उत्पादन इस साल 362 लाख गांठ (170 किलो प्रति गांठ) है, जबकि पिछले साल देश में रूई का उत्पादन 337 लाख गांठ हुआ था। सीएआई ने इस साल घरेलू मिलों की खपत 330 लाख गांठ आंकी है। पिछले साल का बचा हुआ स्टॉक 30 लाख गांठ और आयात 20 लाख गांठ होने से कुल आपूर्ति 412 लाख गांठ है। इसी महीने नौ मार्च को जारी अनुमान में सीएआई ने कुल मांग 390 लाख गांठ आंकी थी और 22 लाख गांठ का स्टॉक इस साल के अंत यानी 30 सितंबर 2018 को बचने के बारे में बताया था। इस तरह अगर आगे निर्यात बढ़ता है तो बचा हुआ स्टॉक कम हो जाएगा।

वर्धमान टेक्सटाइल्स के महाप्रबंधक आई.जी. धूरिया ने बताया कि भारत इस समय दुनिया में भारत की रूई की मांग बढ़ गई है। खास तौर से बांग्लादेश और पाकिस्तान से काफी रूई की खरीद हो रही है। उन्होंने कहा कि अगर व्यापारिक हितों के टकराव से चीन अमेरिका से रूई खरीदना कम करेगा तो भारत में उसकी खरीद बढ़ सकती है और रूई ही नहीं, कॉटन यार्न की भी मांग बढ़ सकती है।

धूरिया के मुताबिक, फरवरी तक भारत से हुए रूई निर्यात में 40 फीसदी हिस्सेदारी बांग्लादेश की थी। वहीं, पाकिस्तान और वियतनाम को कुल निर्यात का क्रमश: 18 फीसदी माल गया था। चीन की हिस्सेदारी इसमें महज 10 फीसदी थी, जबकि इंडोनेशिया को छह प्रतिशत रूई गई थी।

दुनिया के पांच सबसे बड़े रूई उत्पादक देश और उत्पादन का आंकड़ा :

भारत : 365 लाख गांठ

चीन : 353 लाख गांठ

अमेरिका :273 लाख गांठ

पाकिस्तान : 105 लाख गांठ

ब्राजील : 103 लाख गांठ

दुनिया के प्रमुख रूई निर्यातक देश और निर्यात का आंकड़ा :

अमेरिका : 186 लाख गांठ

आस्ट्रेलिया : 56 लाख गांठ

ब्राजील : 54 लाख गांठ

भारत : 54 लाख गांठ

उज्बेकिस्तान : 15 लाख गांठ

दुनिया के सबसे ज्यादा रूई की खपत वाले देश और खपत का आंकड़ा :

चीन : 513 लाख गांठ

भारत : 314 लाख गांठ

पाकिस्तान : 134 लाख गांठ तुर्की 134 लाख गांठ

दुनिया के प्रमुख रूई आयातक देश और आयात का आंकड़ा :

बांग्लादेश : 93 लाख गांठ

वियतनाम : 85 लाख गांठ

चीन : 64 लाख गांठ

इंडोनेशिया : 45 लाख गांठ

तुर्की 45 लाख गांठ

(एक गांठ में 170 किलोग्राम। ये आंकड़े यूएसडीए के अनुसार)

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नेशनल

ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप को मनमानी करने पर 103 के बदले देने पड़ेंगे 35,453 रु, जानें क्या है पूरा मामला

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हैदराबाद। ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप स्विगी को ग्राहक के साथ मनमानी करना भारी पड़ गया। कंपनी की इस मनमानी पर एक कोर्ट ने स्विगी पर तगड़ा जुर्माना ठोक दिया। हैदराबाद के निवासी एम्माडी सुरेश बाबू की शिकायत पर उपभोक्ता आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है। बाबू ने आरोप लगाया था कि स्विगी ने उनके स्विगी वन मेंबरशिप के लाभों का उल्लंघन किया और डिलीवरी Food Delivery की दूरी को जानबूझकर बढ़ाकर उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूला

क्या है पूरा मामला ?

सुरेश बाबू ने 1 नवंबर, 2023 को स्विगी से खाना ऑर्डर किया था। सुरेश के लोकेशन और रेस्टॉरेंट की दूरी 9.7 किमी थी, जिसे स्विगी ने बढ़ाकर 14 किमी कर दिया था। दूरी में बढ़ोतरी की वजह से सुरेश को स्विगी का मेंबरशिप होने के बावजूद 103 रुपये का डिलीवरी चार्ज देना पड़ा। सुरेश ने आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि स्विगी वन मेंबरशिप के तहत कंपनी 10 किमी तक की रेंज में फ्री डिलीवरी करने का वादा किया था।कोर्ट ने बाबू द्वारा दिए गए गूगल मैप के स्क्रीनशॉट्स और बाकी सबूतों की समीक्षा की और पाया कि दूरी में काफी बढ़ोतरी की गई है।

कोर्ट ने स्विगी को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी पाया और कंपनी को आदेश दिया कि वे सुरेश बाबू को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 350.48 रुपये के खाने का रिफंड, डिलीवरी के 103 रुपये, मानसिक परेशानी और असुविधा के लिए 5000 रुपये, मुकदमे की लागत के लिए 5000 रुपए समेत कुल 35,453 रुपये का भुगतान करे।

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