Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

साइंस

भाषाई समझ के मामले में अनूठा नहीं मानव मस्तिष्क

Published

on

Loading

लंदन| मानव मस्तिष्क में भाषा को समझने की क्षमता अनूठी नहीं है, क्योंकि इससे संबंधित मस्तिष्क के कुछ हिस्से मानवों के साथ ही बंदर सहित प्राइमेट के मस्तिष्क में भी पाए गए हैं। एक नए अध्ययन में यह खुलासा हुआ। ब्रिटेन की न्यूकैसल यूनिवर्सिटी में डॉक्टर बेन विल्सन और प्रोफेसर क्रिस पेटकोव के दल ने इमेजिंग तकनीक का इस्तेमाल कर मानव और मकाक प्रजाति के बंदरों में भाषा को समझने के दौरान मस्तिष्क की गतिविधियों का पता लगाने की कोशिश की।

इस शोध में उन्होंने मस्तिष्क के उस हिस्से की पहचान की, जो संज्ञानात्मक कार्यो के मामलों में विकास का परिणाम है और यह समझने और सुव्यवस्थित तरीके से ध्वनियों का मूल्यांकन करने की शक्ति प्रदान करता है।

छोटे बच्चे अपने विकास के साथ-साथ भाषा के नियमों को समझते जाते हैं।

पेटकोव ने कहा, “इसलिए हमने सबसे पहले शिशुओं के अध्ययन के लिए एक ‘मेड अप’ नाम की भाषा का इस्तेमाल किया। इस शोध से पता चलता है कि मानवों की तरह ही बंदरों के अंदर भी भाषा को समझ सकते हैं।”

शोध दल ने मानवों और बंदरों को मेडअप भाषा की कुछ ध्वनियों को सुनाया और उस दौरान उनके मस्तिष्क की गतिविधियों की स्कैनिंग की गई, जिससे पता चला कि दोनों ही प्रजातियों के मस्तिष्क का एक हिस्सा (वेंट्रल फ्रंटल एंड ऑपरकूलर कॉर्टेक्स) भाषा को समझने में समान प्रतिक्रिया दर्शाता है।

इस निष्कर्ष से यह बात सामने आई कि यह फ्रंटल क्षेत्र मानव व प्राइमेट दोनों के मस्तिष्क में होते हैं, जो इसके विकास को दर्शाता है।

 

साइंस

फेमस न्यूक्लियर फिजिस्ट होमी जहांगीर भाभा का आज जन्मदिन, जानें कुछ उनके बारे में

Published

on

By

Loading

नई दिल्ली। इंडियन न्यूक्लियर प्रोग्राम के जनक और फेमस न्यूक्लियर फिजिस्ट होमी जहांगीर भाभा का आज जन्मदिन है। जे. भाभा, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) के फाउंडिंग डायरेक्टर और फिजिक्स के प्रोफेसर भी थे। होमी जहांगीर भाभा का जन्म 30 अक्टूबर 1909 में एक अमीर पारसी परिवार में हुआ था। होमी जहांगीर भाभा के पिता का नाम जहांगीर होर्मुस्जी भाभा और माता का नाम मेहरबाई भाभा था, इनके पिता एक जाने-माने वकील थे जबकि माँ एक गृहिणी थीं।

होमी भाभा ने 16 साल की आयु में ही सीनियर कैम्ब्रिज परीक्षा पास कर ली थी। फिर वे गोनविले और कैयस कॉलेज में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के लिए कैम्ब्रिज गए। इसके बाद उन्होंने कैम्ब्रिज में कैवेंडिश लैब में रिसर्च करना शुरू किया और उनका पहला रिसर्च पेपर 1933 में प्रकाशित हुआ। दो साल बाद, उन्होंने अपनी पीएचडी हासिल की और 1939 तक कैम्ब्रिज में रहे।होमी भाभा ने छात्र के रूप में कोपेनहेगन में नोबेल पुरस्कार विजेता नील्स बोहर के साथ काम किया और क्वांटम सिद्धांत के विकास में प्रमुख भूमिका निभाई।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

Continue Reading

Trending