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विपक्ष के हंगामे के बीच लोकसभा में भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक पेश

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नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने मंगलवार को लोकसभा में भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक पेश किया। सदन में ग्रामीण विकास मंत्री ने बिल पेश किया। पीएम ने अध्यादेश को बेहतरीन बताया और कहा कि इस पर पीछे हटने की जरूरत नहीं है। हालांकि उन्होंने कहा कि सदन में हुई चर्चा के दौरान सलाह का स्वागत किया जाएगा। बिल के विरोध में विपक्ष ने सदन से वॉकआउट किया।

केंद्र सरकार ने मंगलवार को विपक्ष के हंगामे व विरोध के बीच लोकसभा में भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक पेश किया। लोकसभा में विधेयक पेश करते हुए केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री बीरेंद्र सिंह ने कहा कि मुझे सदस्यों की ओर से आपत्ति मिली है, लेकिन इस पर चर्चा की जा सकती है। उचित मुआवजा और भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास एवं पुनस्र्थापन में पारदर्शिता का अधिकार (संशोधन) विधयेक 2015 उस अध्यादेश का स्थान लेगा, जिसे केंद्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने पिछले साल 30 दिसंबर को जारी किया था।

कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दलों ने सदन में भूमि अधिग्रहण विधेयक का पुरजोर विरोध किया। कांग्रेस सदन से बहिर्गमन कर गई। विपक्ष की तरफ से कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि विरोध के बावजूद राजग सरकार द्वारा विधेयक पेश करना ठीक नहीं है। इसने विधेयक को न तो स्थायी समिति और न ही प्रवर समिति को भेजा। तृणमूल कांग्रेस के सांसद सौगत रॉय ने कहा कि उनकी पार्टी विधेयक के खिलाफ है। सौगत ने कहा कि यह बिल्कुल किसान विरोधी व संभवत: गरीब विरोधी कानून है। सरकार ने एक झटके में एक हिस्सा जोड़ दिया है, जिसमें चार-पांच अलग-अलग किस्म की परियोजनाएं शामिल हैं…इसमें सामाजिक प्रभाव आंकलन प्रावधान हटा दिया गया है।” सौगत ने कहा कि यह उन कंपनियों के लिए एक बहुत बड़ी मदद होगी, जो गरीब किसानों की जमीन हड़पना चाहती हैं। बीजू जनता दल के सांसद बी. महताब ने कहा कि उनकी पार्टी मूल अधिनियम में दो बदलावों के खिलाफ है।

विपक्ष के आरोपों के जवाब में संसदीय मामलों के केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि अल्पमत वाले बहुमत को निर्देश नहीं दे सकते। हम कोई बुलडोजर नहीं चला रहे हैं। वेंकैया ने कहा कि विपक्ष चर्चा नहीं चाहता। अगर किसी को कोई आपत्ति है, तो वे चर्चा करें। हम किसानों के साथ हैं।

इससे पहले विपक्ष का सामना करने के लिए भाजपा संसदीय दल की मंगलवार सुबह बैठक आयोजित की गई। बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक को ‘किसानों के हित में’ करार देते हुए अपनी पार्टी के सांसदों से इस विधेयक का आक्रामकता के साथ बचाव करने के लिए कहा। पीएम नरेंद्र मोदी ने भूमि अधिग्रहण अध्यादेश को बेहतरीन बताते हुए कहा कि बिल पर पीछे हटने की जरूरत नहीं है। हां, अगर कुछ अच्छे सुझाव आते हैं तो हम इसमें संशोधन को तैयार है।

राज्यसभा में भूमि अधिग्रहण अध्यादेश पर शोरशराबा

राज्यसभा में भी भूमि अधिग्रहण अध्यादेश पर जमकर हंगामा हुआ। इस दौरान विपक्ष ने कार्यवाही स्थगित कर विधेयक पर चर्चा कराए जाने की मांग की। सत्ता और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक हुई और विपक्ष ने सरकार पर संसद की उपेक्षा करने का आरोप लगाया, जबकि सरकार ने इसे खारिज कर दिया। समाजवादी पार्टी नेता नरेश अग्रवाल ने कहा, “हमने नोटिस दिया है। पूरा देश अध्यादेश का विरोध कर रहा है, दिल्ली में प्रदर्शन हो रहे हैं।” राज्यसभा के उपसभापति पी.जे.कुरियन ने सदस्यों से अपील की कि अध्यादेश पर विधेयक सदन में पेश होने के बाद वे इस पर चर्चा करें। उन्होंने कहा, “विधेयक अध्यादेश का स्थान लेगा। जब विधेयक पेश होगा, तब आप चर्चा कर सकते हैं।”

राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा ने सरकार पर संसद की उपेक्षा करने का आरोप लगाया। शर्मा ने कहा कि हमने नियम 267 के तहत नोटिस दिया है। यह मामला इतना गंभीर है कि इसके लिए कार्यवाही स्थगित की जानी चाहिए। संसद के दोनों सदनों में पारित हो चुके इस विधेयक में किया गया संशोधन किसानों के हितों के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि हम वैधानिक समीक्षा के संसद के अधिकार की अवहेलना करते हुए अध्यादेश के माध्यम से सरकार चलाने को स्वीकार नहीं करेंगे।

केंद्रीय वित्त मंत्री और सदन के नेता अरुण जेटली ने कहा कि यह कहना अनुचित है कि सरकार संसद की उपेक्षा कर रही है। जेटली ने कहा, “कोई भी कानून सदन की उपेक्षा नहीं कर सकता। मेरे मित्र को 636 अध्यादेशों को याद रखना चाहिए, ,जिसमें से 80 फीसदी आनंद शर्मा की पार्टी की सरकार में आए थे।” वित्त मंत्री ने कहा, “भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की सरकार में 70 अध्यादेश लाए गए थे। जब मेरे कम्युनिस्ट मित्रों की संयुक्त मोर्चा सरकार थी, तब 18 महीने में 77 अध्यादेश लाए गए। इसलिए संसद की उपेक्षा की बात करना अनुचित है।”

कांग्रेस नेता शर्मा ने हालांकि, यह दलील दी कि संयुक्त प्रगतिशील गंठबंधन (संप्रग) सरकार के दौरान लाया गया अध्यादेश जनता के अनुकूल था।

जब ऐसा लगा कि कुरियन सदस्यों के सदन में इस मुद्दे पर चर्चा करने देने को लेकर तैयार हो गए, तब जेटली ने कहा कि विधेयक पेश होने के बाद ही चर्चा कराई जानी चाहिए। कुरियन ने कहा, “सदन में विधेयक आ रहा है या नहीं यह सिर्फ पूर्वानुमान है। सदन के नेता ने दूसरे सदन में कहा, यह हो सकता है, लेकिन इस सदन के अध्यक्ष को इसकी जानकारी नहीं है। इसलिए इस चर्चा में कोई हानि नहीं है।” उन्होंने कहा, “मैं सिर्फ शून्यकाल का वक्त दे रहा हूं।” इसके बाद सदन के सदस्यों को मुद्दे पर बोलने की इजाजत दी गई।

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पीएम मोदी पर लिखी किताब के प्रचार के लिए स्मृति ईरानी चार देशों की यात्रा पर

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नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी एक नवीनतम पुस्तक ‘मोडायलॉग – कन्वर्सेशन्स फॉर ए विकसित भारत’ के प्रचार के लिए चार देशों की यात्रा पर रवाना हो गई हैं। यह दौरा 20 नवंबर को शुरू हुआ और इसका उद्देश्य ईरानी को मध्य पूर्व, ओमान और ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों से जोड़ना है।

स्मृति ईरानी ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि,

एक बार फिर से आगे बढ़ते हुए, 4 देशों की रोमांचक पुस्तक यात्रा पर निकल पड़े हैं! 🇮🇳 जीवंत भारतीय प्रवासियों से जुड़ने, भारत की अपार संभावनाओं का जश्न मनाने और सार्थक बातचीत में शामिल होने के लिए उत्सुक हूँ। यह यात्रा सिर्फ़ एक किताब के बारे में नहीं है; यह कहानी कहने, विरासत और आकांक्षाओं के बारे में है जो हमें एकजुट करती हैं। बने रहिए क्योंकि मैं आप सभी के साथ इस अविश्वसनीय साहसिक यात्रा की झलकियाँ साझा करता हूँ

कुवैत, दुबई, ओमान और ब्रिटेन जाएंगी स्मृति ईरानी

डॉ. अश्विन फर्नांडिस द्वारा लिखित यह पुस्तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासन दर्शन पर प्रकाश डालती है तथा विकसित भारत के लिए उनके दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करती है। कार्यक्रम के अनुसार ईरानी अपनी यात्रा के पहले चरण में कुवैत, दुबई, फिर ओमान और अंत में ब्रिटेन जाएंगी।

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