साइंस
मंगल ग्रह पर आलू की उपज संभव
न्यूयार्क | हॉलीवुड की एक साइंस फिक्शन फिल्म ‘द मार्टिन’ आई थी, जिसमें मंगल ग्रह पर आलू उगाते दिखाया गया था। तब लगा था कि यह बिल्कुल कोरी कल्पना है, लेकिन वैज्ञानिकों ने प्रयोग कर यह साबित किया है कि साल 2015 में इस फिल्म में जो दिखाया गया है, वैसा सचमुच संभव है।
एक प्रयोग के शुरुआती नतीजों से पता चला है कि मंगल ग्रह पर आलू की खेती की जा सकती है। पेरू के लीमा में स्थित अंतर्राष्ट्रीय आलू केंद्र (सीआईपी) ने मंगल ग्रह पर आलू उगाने की संभावनाओं को जानने के लिए कई प्रयोग किए। प्रयोगों से यह भी पता चला कि आलू को अधिक तापमान वाले मौसम में भी उपजाया जा सकता है।
पिछले साल 14 फरवरी से सीआईपी ने मंगल ग्रह जैसी स्थितियों में आलू को विकसित करने के प्रयोग की शुरुआत की थी।
कैलिफोर्निया स्थित नासा के एम्स रिसर्च सेंटर द्वारा उपलब्ध कराए गए डिजाइनों और सलाह के आधार पर लीमा में इंजिनियरिंग और टेक्नोलॉजी (यूटीईसी) के इंजीनियरों द्वारा निर्मित एक विशेष रूप से निर्मित क्यूबसैट में एक कंद लगाया गया था।
यूटीईसी की जूलियो वाल्डिविया-सिल्वा ने बताया, “अगर हमारे प्रयोगशाला में यह फसल उन विपरीत परिस्थितियों को बर्दाश्त कर सकती है, तो वह मंगल ग्रह पर भी अच्छे तरीके से बढ़ सकती है। इसके लिए आलू की कौन सी किस्म सबसे बेहतर होगी, हम यह पता लगाने के लिए कई प्रयोग करेंगे।”
सीआईपी द्वारा जारी एक बयान में उन्होंने कहा, “हम यह जानना चाहते हैं कि आलू की पैदावार के लिए कम से कम कैसी परिस्थितियां होनी चाहिए।”
साइंस
फेमस न्यूक्लियर फिजिस्ट होमी जहांगीर भाभा का आज जन्मदिन, जानें कुछ उनके बारे में
नई दिल्ली। इंडियन न्यूक्लियर प्रोग्राम के जनक और फेमस न्यूक्लियर फिजिस्ट होमी जहांगीर भाभा का आज जन्मदिन है। जे. भाभा, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) के फाउंडिंग डायरेक्टर और फिजिक्स के प्रोफेसर भी थे। होमी जहांगीर भाभा का जन्म 30 अक्टूबर 1909 में एक अमीर पारसी परिवार में हुआ था। होमी जहांगीर भाभा के पिता का नाम जहांगीर होर्मुस्जी भाभा और माता का नाम मेहरबाई भाभा था, इनके पिता एक जाने-माने वकील थे जबकि माँ एक गृहिणी थीं।
होमी भाभा ने 16 साल की आयु में ही सीनियर कैम्ब्रिज परीक्षा पास कर ली थी। फिर वे गोनविले और कैयस कॉलेज में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के लिए कैम्ब्रिज गए। इसके बाद उन्होंने कैम्ब्रिज में कैवेंडिश लैब में रिसर्च करना शुरू किया और उनका पहला रिसर्च पेपर 1933 में प्रकाशित हुआ। दो साल बाद, उन्होंने अपनी पीएचडी हासिल की और 1939 तक कैम्ब्रिज में रहे।होमी भाभा ने छात्र के रूप में कोपेनहेगन में नोबेल पुरस्कार विजेता नील्स बोहर के साथ काम किया और क्वांटम सिद्धांत के विकास में प्रमुख भूमिका निभाई।
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