Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

साइंस

मंगल ग्रह पर फिर जगी जीवन की आस

Published

on

mars

Loading

न्यूयार्क। शोधकर्ताओं के एक अंतरराष्ट्रीय दल ने मंगल ग्रह के उल्का पिंडों में मिथेन गैस के निशान ढूंढे हैं, जिसके बाद लाल ग्रह की सतह के नीचे जीवन की मौजूदगी की संभावना को नई आस मिली है। शोधकर्ताओं ने मंगल ग्रह पर मौजूद ज्वालामुखी चट्टान से बने छह उल्का पिंडो का विश्लेषण किया। सभी उल्कापिंडों में मिथेन गैस की मात्रा भी पाई गई।

इस खोज के बाद इस संभावना को नई आस मिली है कि मंगल ग्रह की सतह के नीचे मिथेन का इस्तेमाल भोजन के स्त्रोत के रूप में किया जा सकता हो, जैसा कि पृथ्वी के वातावरण में मौजूद रोगाणु अपने जीवित रहने के लिए करते हैं। अमेरिका की येल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर सीन मैकमोहन ने कहा कि हमारी इस खोज से अंतरिक्ष जीव विज्ञानियों को इस बात का पता लगाने में मदद मिलेगी कि क्या मंगल की सतह के नीचे जीवन की संभावना हो सकती है।

उन्होंने कहा, “यदि मंगल ग्रह पर मौजूद मिथेन गैस रोगाणुओं के भोजन का सीध स्त्रोत नहीं भी है, तब भी इस बात के संकेत तो मिलते हैं कि वहां गर्म, नम, रासायनिक रूप से प्रतिकियाशील पर्यावरण है, जहां जीवन की संभावना हो सकती है।” शोधकर्ताओं ने कहा, “हमारे शोध से इस बात के साफ संकेत मिले हैं कि मंगल की चट्टानों में मिथेन प्रचुर मात्रा में मौजूद है।” यह शोध जर्नल नेचर कम्युनिकेशन में प्रकाशित हुई है।

Continue Reading

साइंस

फेमस न्यूक्लियर फिजिस्ट होमी जहांगीर भाभा का आज जन्मदिन, जानें कुछ उनके बारे में

Published

on

By

Loading

नई दिल्ली। इंडियन न्यूक्लियर प्रोग्राम के जनक और फेमस न्यूक्लियर फिजिस्ट होमी जहांगीर भाभा का आज जन्मदिन है। जे. भाभा, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) के फाउंडिंग डायरेक्टर और फिजिक्स के प्रोफेसर भी थे। होमी जहांगीर भाभा का जन्म 30 अक्टूबर 1909 में एक अमीर पारसी परिवार में हुआ था। होमी जहांगीर भाभा के पिता का नाम जहांगीर होर्मुस्जी भाभा और माता का नाम मेहरबाई भाभा था, इनके पिता एक जाने-माने वकील थे जबकि माँ एक गृहिणी थीं।

होमी भाभा ने 16 साल की आयु में ही सीनियर कैम्ब्रिज परीक्षा पास कर ली थी। फिर वे गोनविले और कैयस कॉलेज में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के लिए कैम्ब्रिज गए। इसके बाद उन्होंने कैम्ब्रिज में कैवेंडिश लैब में रिसर्च करना शुरू किया और उनका पहला रिसर्च पेपर 1933 में प्रकाशित हुआ। दो साल बाद, उन्होंने अपनी पीएचडी हासिल की और 1939 तक कैम्ब्रिज में रहे।होमी भाभा ने छात्र के रूप में कोपेनहेगन में नोबेल पुरस्कार विजेता नील्स बोहर के साथ काम किया और क्वांटम सिद्धांत के विकास में प्रमुख भूमिका निभाई।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

Continue Reading

Trending