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प्रादेशिक

मध्य प्रदेश : आओ ‘उपवास-उपवास’ खेलें

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भोपाल। मध्य प्रदेश में किसान आंदोलन अब उपवास ‘दंगल’ में तब्दील हो गया है। एक तरफ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान उपवास पर हैं, तो दूसरी ओर किसान भी उपवास पर बैठ गए हैं। चौहान शांति बहाली के लिए उपवास कर रहे हैं, तो किसान कर्ज माफी के लिए। दोनों उपवास स्थल आमने-सामने हैं।

राज्य में किसान एक जून से कर्ज माफी व फसल की बाजिव कीमत के लिए आंदोलनरत हैं। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार शनिवार आंदोलन का अंतिम दिन था। इससे पहले राज्य में भडक़ी हिंसा में मालवा-निमांड अंचल में भारी नुकसान हुआ। मंदसौर में पुलिस गोलीबारी में छह किसानों की जान चली गई।

इस हिंसा के बाद राज्य के मुख्यमंत्री चौहान ने शुक्रवार को वरिष्ठ नेताओं और अफसरों के साथ बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन में ऐलान किया कि वह हिंसा से व्यथित हैं, इसलिए शांति बहाली के लिए शनिवार से भेल के दशहरा मैदान में अनिश्चितकालीन उपवास करेंगे। चौहान के इस उपवास को किसान आंदोलन से हुए डैमेज कंट्रोल के तौर पर देखा जा रहा था। शनिवार को उपवास शुरू भी हो गया।

चौहान ने उपवास के दौरान किसानों को चर्चा के लिए बुलाया था। चर्चा के दौरान शिवराज ने कर्ज माफी की किसानों की मांग मानने से इंकार कर दिया। नाराज किसानों ने चौहान के मंच के सामने ही उपवास शुरू कर दिया। किसानों के उपवास ने मुख्यमंत्री से लेकर संगठन तक की चिंता बढ़ा दी है, क्योंकि अगर किसानों को खदेड़ा जाता है, गिरफ्तारी होती है तो गलत संदेश जाएगा। ऐसे में कोई बीच का रास्ता निकाला जाए और उसके देर रात से प्रयास भी शुरू हो गए हैं।

वरिष्ठ पत्रकार भारत शर्मा मानते हैं, “मुख्यमंत्री को उपवास पर नहीं बैठना चाहिए, बल्कि किसानों के बीच जाकर बात करनी चाहिए। किसानों की मांगें जायज हैं और वही है, जिनका भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में वादा किया था। राज्य का किसान जितना भोला है उतना ही अडय़िल भी है, अगर वह उपवास की ठान चुका है तो उसे मांगें पूरी करने से पहले मनाना आसान नहीं है।”

यहां महत्वपूर्ण बात यह है कि भाजपा के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने भी किसानों की समस्याएं सुनने के लिए इंदौर में दरबार लगाया था। उन्होंने संवाददाताओं से चर्चा में माना कि किसानों को कई विभागों से परेशानी है। मुख्यमंत्री व सरकार तो अच्छी नीति बनाते हैं, मगर नौकरशाही उस पर अमल नहीं करती, इसके साथ ही भ्रष्टाचार भी निचले स्तर पर फैला हुआ है।

एक तरफ किसान उपवास पर बैठे हैं, तो दूसरी ओर पार्टी के बड़े नेता ने ही सवाल उठा दिए हैं। विपक्षी कांग्रेस आक्रामक हो गई है। कांग्रेस विधायक रामनिवास रावत का कहना है कि राज्य में किसान परेशान हैं, यही कारण है कि वे आत्महत्या जैसे कदम उठाने को मजबूर हैं और सरकार किसानों की आत्महत्या को अपने तरीके से पेश करती है।

भोपाल का भेल दशहरा मैदान शनिवार रात उपवास के दंगल का अखाड़ा बना हुआ है। रविवार को स्थितियां राजनीतिक तौर पर दिलचस्प हो सकती हैं, क्योंकि भाजपा कोई ऐसा बहाना ढूंढऩे की कोशिश में होगी कि सरकार का किसान विरोधी या किसान के दवाब में आने का संदेश न जाए और मुख्यमंत्री या किसान में से किसी एक का उपवास तुड़वा दिया जाए।

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हेयर ड्रायर चालू करते ही ब्लास्ट, महिला का दोनों हाथ बुरी तरह घायल

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बागलकोट। कर्नाटक के बागलकोट जिले से एक हैरान करने वाली घटना सामने आई है, जहां एक हेयर ड्रायर के धमाके में एक महिला के हाथों की हथेलियां और उंगलियां बुरी तरह से घायल हो गईं। यह हादसा इल्कल शहर में हुआ, जहां मृतक सैनिक की पत्नी ने अपने पड़ोसी का कूरियर पार्सल लिया था। जब महिला ने हेयर ड्रायर को चालू किया, तो वह धमाके से फट गया और महिला की दोनों हाथों की गंभीर चोटें आईं। महिला को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों को मजबूरी में उसके हाथ काटने पड़े।

हेयर ड्रायर में धमका, महिला की उड़ी उंगलियां

बता दें कि इस घटना के बाद महिला को इलाज के लिए स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है। घटना 15 नवंबर की है, जिसकी जानकारी बुधवार को सामने आई। पुलिस सूत्रों ने कहा कि घायल महिला की पहचान 37 वर्षीय बसवराजेश्वरी यरनाल के रूप में हुई है, जो पूर्व सैन्यकर्मी पापन्ना यरनाल की पत्नी थी। जिनकी 2017 में जम्मू और कश्मीर में मौत हो गई थी। जांच अधिकारियों के मुताबिक, विस्फोट बिजली के शॉर्ट सर्किट के कारण हुआ था। हेयर ड्रायर जैसे उपकरणों का उपयोग करने के लिए 2 वॉट के विद्युत कनेक्शन की आवश्यकता होती है। जिस स्विच में हेयर ड्रायर को डाला गया, तो उसकी क्षमता इतनी अधिक नहीं थी, जिसके कारण यह दुर्घटना हुई। विस्फोट की आवाज सुनकर कुछ पड़ोसी दौड़े और उन्होंने बसवराजेश्वरी की हथेलियां और उंगलियां कटी हुई पाईं। उन्हें तुरंत पास के एक निजी अस्पताल में ले जाया गया। हालांकि शशिकला ने दावा किया कि उन्होंने ऑनलाइन कोई उत्पाद नहीं मंगवाया था

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