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प्रादेशिक

मप्र में 60 फीसदी जनजाति आबादी अशिक्षित

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मप्र, 60 फीसदी जनजाति आबादी अशिक्षित, जनसंख्या 2011 के आकड़ों,अनुसूचित जनजातीय वर्ग, साक्षरता

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संदीप पौराणिक
भोपाल| मध्य प्रदेश की सरकार भले ही अनुसूचित जनजातीय वर्ग के कल्याण और उत्थान के लिए अनेक योजनाएं चलाने का दावा करे, मगर आकड़ों की हकीकत कुछ और ही बयां करती हैं। आकड़े बताते हैं कि राज्य के जनजातीय वर्ग की लगभग 60 फीसदी आबादी अशिक्षित है। जनसंख्या 2011 के आकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि राज्य की कुल आबादी सात करोड़ 26 लाख है। इसमें से तीन करोड़ 76 लाख पुरुष और तीन करोड़ 50 लाख से अधिक महिलाएं हैं। साक्षरता पर गौर करें, तो पता चलता है कि इसमें से दो करोड़ 97 लाख अशिक्षित हैं। इसमें पुरुष एक करोड़ 24 लाख और एक करोड़ 73 लाख महिलाएं हैं।

शिक्षा के मामले में सबसे बुरा हाल अनुसूचित जनजाति का है। इस वर्ग की कुल आबादी एक करोड़ 53 लाख है, जिसमें से लगभग 60 फीसदी आबादी अशिक्षित है। इसमें से लगभग 40 लाख पुरुष और 50 लाख महिलाएं अनपढ़ हैं। शिक्षा के मामले में जनजातीय वर्ग से अनुसूचित जाति की स्थिति कहीं बेहतर है। इस वर्ग की कुल आबादी एक करोड़ 13 लाख में से 50 लाख अशिक्षित हैं।

बच्चों के लिए काम करने वाली संस्था यूनिसेफ की शिक्षा विशेषज्ञ एफ .ए. जामी ने कहा, “अशिक्षा की चुनौती से निपटने के लिए जरूरत इस बात की है कि स्कूलों में सुधार किया जाए, इसके साथ ही जनजातीय वर्ग के बच्चों को एकरूपता वाली शिक्षा दी जाए। इसके अलावा ऐसी तकनीक विकसित की जाए जिससे जवाबदारी तय हो।” राज्य में आयु वर्ग के आधार पर शिक्षा के आकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि छह वर्ष तक की आयु के एक करोड़ आठ लाख बच्चे हैं, इनमें 56 लाख 36 हजार से ज्यादा बालक और 51 लाख 73 हजार से ज्यादा बालिकाएं हैं। जबकि सात से 14 वर्ष आयु में लगभग साढ़े 15 लाख अशिक्षित हैं। इसमें सात लाख 81 हजार बालिकाएं हैं।

पिछले दिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अलिराजपुर में आयोजित समारोह में राज्य सरकार द्वारा जनजातीय वर्ग और अन्य वर्गो के कल्याण केा लिए चलाई जा रही योजनाओं का जिक्र कर राज्य के शिक्षा के स्तर में आ रहे बदलाव का हवाला दिया और कहा कि राज्य के अनुसूचित जनजातीय वर्ग के छात्रों ने आईआईटी की परीक्षा में भी सफलता पाई है। जनसंख्या के आकड़े तो यही बताते हैं कि अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए योजनाएं चाहे जितनी चल रही हों, मगर हालात अब भी इस वर्ग की ज्यादा नहीं बदले हैं।

IANS News

वसुधैव कुटुंबकम’ भारत का शाश्वत संदेश : योगी आदित्यनाथ

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लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के आदर्श वाक्य के महत्व पर जोर देते हुए इसे भारत की वैश्विक मानवता के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया है। उन्होंने इसे भारत का शाश्वत संदेश बताते हुए कहा कि हमने हमेशा से शांति, सौहार्द और सह-अस्तित्व को प्राथमिकता दी है। सीएम योगी ने यह बात शुक्रवार को एलडीए कॉलोनी, कानपुर रोड स्थित सिटी मॉन्टेसरी स्कूल (सीएमएस) के वर्ल्ड यूनिटी कन्वेंशन सेंटर में विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 25वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करने के दौरान अपने संबोधन में कही। कार्यक्रम में 56 देशों के 178 मुख्य न्यायाधीश और डेलिगेट्स ने भाग लिया।

‘अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक’
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक बताया। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद सम्मानजनक अंतरराष्ट्रीय संबंधों को विकसित करने और संघर्षों को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने के लिए नैतिक मार्ग का अनुसरण करने के लिए हम सभी को प्रेरित करता है। उन्होंने समारोह को प्रेरणादायक बताते हुए कहा कि 26 नवंबर 2024 को संविधान अंगीकरण के 75 वर्ष पूरे होंगे। यह संविधान के अंगीकृत होने के अमृत महोत्सव वर्ष की शुरुआत के दौरान आयोजित हो रहा है।

‘युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है’
योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संयुक्त राष्ट्र के ‘समिट ऑफ दि फ्यूचर’ में दिये गये संबोधन की चर्चा करते हुए कहा कि युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है। युद्ध ने दुनिया के ढाई अरब बच्चों के भविष्य को खतरे में डाला है। उन्होंने दुनिया के नेताओं से आग्रह किया कि वे एकजुट होकर आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ, सुरक्षित और भयमुक्त समाज का निर्माण करें। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सम्मेलन को वैश्विक संवाद और सहयोग का मंच बताते हुए विश्वास व्यक्त किया कि अनुच्छेद 51 की भावना के अनुरूप यह आयोजन विश्व कल्याण के मार्ग को प्रशस्त करेगा। उन्होंने दुनिया भर के न्यायाधीशों से इस दिशा में सक्रिय योगदान देने का भी आह्वान किया।

‘भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध’
मुख्यमंत्री ने संविधान के अनुच्छेद 51 की चर्चा करते हुए कहा कि यह वैश्विक शांति और सौहार्द की दिशा में भारत की सोच को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद संघर्षों के शांतिपूर्ण समाधान और सभी देशों के बीच सम्मानजनक संबंधों को बढ़ावा देने का संदेश देता है। मुख्यमंत्री ने भारत की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की सक्रिय भागीदारी से यह स्पष्ट होता है कि भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध है।

सीएमएस के संस्थापक को दी श्रद्धांजलि
सीएमएस के संस्थापक डॉ. जगदीश गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी दूरदृष्टि और प्रयासों से यह सम्मेलन एक महत्वपूर्ण मंच बना है। उन्होंने डॉ. भारती गांधी और गीता गांधी को इस कार्यक्रम को अनवरत जारी रखने के लिए धन्यवाद दिया।

इस अवसर पर हंगरी की पूर्व राष्ट्रपति, हैती रिपब्लिक के पूर्व प्रधानमंत्री सहित दुनिया के 56 देशों से आए हुए न्यायमूर्तिगण, सीएमएस की संस्थापक निदेशक डॉ भारती गांधी, प्रबंधक गीता गांधी किंगडन समेत स्कूली बच्चे और अभिभावकगण मौजूद रहे।

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