Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

नेशनल

महाराष्ट्र उपचुनाव : शिवसेना, राकांपा की सीटें बरकरार

Published

on

मुंबई-सांगली,महाराष्ट्र,विधानसभा-उपचुनाव,शिवसेना,राकांपा,एआईएमआईएम,मुख्यमंत्री-आर-आर-पाटिल,कांग्रेस,अशोक-चव्हाण

Loading

मुंबई/सांगली | महाराष्ट्र में दो सीटों पर हुए विधानसभा उपचुनाव में शिवसेना तथा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने अपना कब्जा बरकरार रखा है। बांद्रा सीट पर जहां शिवसेना उम्मीदवार तृप्ति सावंत ने जीत दर्ज की, वहीं सांगली जिले के तासगांव सीट पर राकांपा की सुमन पाटिल ने जीत दर्ज की।

शिवसेना के दिवगंत नेता बाला सावंत की पत्नी तृप्ति ने 19,000 वोटों के अंतर से पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे को हराया। इस सीट पर मजलिस-ए-इत्तेहादुल-मुसलिमीन (एआईएमआईएम) के राजा राहबर खान तीसरे स्थान पर रहे। पूर्व उप मुख्यमंत्री आर.आर.पाटिल की विधवा सुमन पाटिल ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के स्वप्निल पाटिल को 112,000 लाख मतों के अंतर से हराया। बांद्रा पूर्व सीट पर चुनाव शिवसेना के कद्दावर नेता और विधायक बाला सावंत के निधन के कारण आवश्यक हो गया था। वहीं तासगांव सीट पर चुनाव विधायक व पूर्व उप मुख्यमंत्री आर.आर.पाटिल के निधन के कारण आवश्यक हो गया था।

शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा, “हम इस जीत को बांद्रा के लोगों को समर्पित करते हैं।” तीसरे स्थान पर आए एआईएमआईएम के उम्मीदवार की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि यहां तक कि मुसलमान मतदाताओं ने भी वोट बैंक की राजनीति का प्रयास करने वाली उस पार्टी को नकार दिया। चुनाव के नतीजे को राणे के राजनीतिक भविष्य को झटके के रूप में देखा जा रहा है। प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए राणे ने कहा, “मैं लोगों का जनादेश स्वीकार करता हूं। उन्होंने भावनात्मक आधार पर वोट दिया न कि विकास के आधार पर, जो मेरा मुद्दा था। मैं कांग्रेस कार्यकर्ताओं व नेताओं का शुक्रगुजार हूं, जिन्होंने नए उत्साह के साथ मेरा सहयोग किया। हालांकि मुझे किसी को यह सलाह देने की जरूरत नहीं है कि मुझे भविष्य में क्या करना चाहिए।”

महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष अशोक चव्हाण ने हार को महत्व न देते हुए कहा कि राणे मजबूत नेता हैं और हार उन्हें डिगा नहीं सकती। चव्हाण ने कहा, “वह पार्टी के एक वरिष्ठ नेता हैं और भविष्य में हमारा नेतृत्व जारी रखेंगे। चुनाव परिणाम का उनके भविष्य पर प्रभाव डालने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता।” प्रदेश में चव्हाण द्वारा कांग्रेस की पतवार थामने तथा दो महीने पहले ही संजय निरूपम को मुंबई कांग्रेस का अध्यक्ष बनाने के बाद यह चुनाव कांग्रेस के लिए बेहद महत्वपूर्ण था।

उत्तर प्रदेश

संभल में कैसे भड़की हिंसा, किस आधार पर हो रहा दावा, पढ़े पूरी रिपोर्ट

Published

on

Loading

संभल। संभल में एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन मंदिर होने और भविष्य में कल्कि अवतार के यहां होने के दावे ने हाल ही में काफी सुर्खियां बटोरी हैं. इस दावे के पीछे कई धार्मिक और ऐतिहासिक तथ्य बताए जा रहे है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और उनके मंदिर को लेकर कई दावे पहले से ही किए जा रहे हैं. इसे लेकर धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों के आधार पर गहरी चर्चा हो भी रही है. हिंदू धर्म में कल्कि अवतार को भगवान विष्णु का दसवां और अंतिम अवतार माना गया है. ऐसा माना जाता है कि कलियुग के अंत में जब अधर्म और अन्याय अपने चरम पर होगा तब भगवान कल्कि अवतार लेकर पृथ्वी पर धर्म की स्थापना करेंगे.

कैसे भड़की हिंसा?

24 नवंबर को मस्जिद में हो रहे सर्वे का स्थानीय लोगों ने विरोध किया. पुलिस भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मौके पर थी. सर्वे पूरा होने के बाद जब सर्वे टीम बाहर निकली तो तनाव बढ़ गया. भीड़ ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया, जिसके कारण स्थिति बिगड़ गई और हिंसा भड़क उठी.

दावा क्या है?

हिंदू पक्ष का दावा है कि संभल में स्थित एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन काल में एक मंदिर था. इस मंदिर को बाबर ने तोड़कर मस्जिद बनवाई थी. उनका यह भी दावा है कि भविष्य में कल्कि अवतार इसी स्थान पर होंगे.

किस आधार पर हो रहा है दावा?

दावेदारों का कहना है कि उनके पास प्राचीन नक्शे हैं जिनमें इस स्थान पर मंदिर होने का उल्लेख है. स्थानीय लोगों की मान्यता है कि इस स्थान पर प्राचीन काल से ही पूजा-अर्चना होती थी. कुछ धार्मिक ग्रंथों में इस स्थान के बारे में उल्लेख मिलता है. हिंदू धर्म के अनुसार कल्कि अवतार भविष्य में आएंगे और धर्म की स्थापना करेंगे. दावेदारों का मानना है कि यह स्थान कल्कि अवतार के लिए चुना गया है.

किस आधार पर हो रहा है विरोध?

अभी तक इस दावे के समर्थन में कोई ठोस पुरातात्विक साक्ष्य नहीं मिला है. जो भी ऐतिहासिक रिकॉर्ड्स उपल्बध हैं वो इस बात की पुष्टि करते हैं कि इस स्थान पर एक मस्जिद थी. धार्मिक ग्रंथों की व्याख्या कई तरह से की जा सकती है और इनका उपयोग किसी भी दावे को सिद्ध करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए.

संभल का धार्मिक महत्व

शास्त्रों और पुराणों में यह उल्लेख है कि भगवान विष्णु का कल्कि अवतार उत्तर प्रदेश के संभल नामक स्थान पर होगा. इस आधार पर संभल को कल्कि अवतार का स्थान माना गया है. श्रीमद्भागवत पुराण और अन्य धर्मग्रंथों में कल्कि अवतार का वर्णन विस्तार से मिलता है जिसमें कहा गया है कि कल्कि अवतार संभल ग्राम में विष्णुयश नामक ब्राह्मण के घर जन्म लेंगे.

इसी मान्यता के कारण संभल को कल्कि अवतार से जोड़ा जाता है. संभल में बने कल्कि मंदिर को लेकर यह दावा किया जा रहा है कि यही वह स्थान है जहां भविष्य में भगवान कल्कि का प्रकट होना होगा. मंदिर के पुजारी और भक्तों का कहना है कि यह स्थान धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र है और यहां कल्कि भगवान की उपासना करने से व्यक्ति अधर्म से मुक्ति पा सकता है.

धार्मिक विश्लेषण

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कल्कि अवतार का समय तब होगा जब अधर्म, पाप और अन्याय चरम पर पहुंच जाएंगे. वर्तमान में दुनिया में मौजूद सामाजिक और नैतिक स्थितियों को देखकर कुछ लोग यह मानते हैं कि कल्कि अवतार का समय निकट है. संभल में कल्कि मंदिर को लेकर जो भी दावे किए जा रहे हैं वो सभी पूरी तरह से आस्था पर आधारित हैं. धार्मिक ग्रंथों में वर्णित समय और वर्तमान समय के बीच अभी काफी अंतर हो सकता है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और मंदिर का दावा धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों पर आधारित है. हालांकि, यह दावा प्रमाणिकता के बजाय विश्वास पर आधारित है. यह भक्तों की आस्था है जो इस स्थान को विशेष बनाती है.

Continue Reading

Trending