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महिलाओं को योग से निरोग बना रहीं आनंदी

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नवादा, 25 मार्च (आईएएनएस)। देश-विदेश में भले ही ‘योगगुरु’ के रूप में बाबा रामदेव को प्रसिद्धि मिली हो लेकिन बिहार के नवादा में ‘योगगुरु’ के रूप में एक ऐसी महिला चर्चित हैं जिन्हें बीमारियों के कारण उनके पांच बेटों ने उन्हें छोड़ दिया था। आज यह महिला न केवल योग के कारण पूरी तरह स्वस्थ हैं, बल्कि पिछले सात वर्षो से अन्य महिलाओं को भी योग की शिक्षा देकर उन्हें स्वस्थ रहने के गुर सिखा रही हैं।

बिहार के नवादा जिला मुख्यालय के गोला रोड की रहने वाली 69 वर्षीय आनंदी देवी आईएएनएस ने बताया कि करीब 10-12 वर्ष पूर्व उनका वजन करीब 85 किलोग्राम था। उनके शरीर में कमर दर्द, गठिया, ट्यूमर और कब्ज जैसी बीमारियां घर कर गई थीं। उस समय मोटापे के कारण उन्हें कुछ दूरी तक पैदल चलना भी दूभर हो गया था। इस बीमारी से तंग आनंदी जहां खुद परेशान थीं, वहीं इस हालत में उनके बेटों ने भी उनका साथ छोड़ दिया। इसी दौरान उन्हें किसी ने ‘योग से निरोग’ होने की बात बताई।

उन्होंने बताया, इसी बीच मुझे पटना के गांधी मैदान में योगगुरु बाबा रामदेव के योग शिविर आयोजित होने की जानकारी मिली और वहां जाकर पति दीपनारायण प्रसाद के साथ एक सप्ताह प्राणायाम और योगासन सीखा।

आनंदी कहती हैं कि योग ने उन्हें नई जिंदगी दे दी। पटना के गांधी मैदान में योग सीखकर वे प्रतिदिन प्राणायाम और योगसान सहित कई आसन करने लगीं और धीरे-धीरे उनकी बीमारी भी दूर होती चली गई। वे कहती हैं कि आज न केवल उनका वजन घटा है, बल्कि वह पूरी तरह से निरोग भी हैं।

खुद योग से निरोग हुईं आनंदी इस मूलमंत्र को केवल अपने तक सीमिति नहीं रखना चाहती थीं। इसलिए उन्होंने आसपास की महिलाओं को भी योग सिखाने का बीड़ा उठाया। वे कहती हैं कि जिंदगी के अंतिम क्षण तक वे महिलाओं को योग सिखाती रहेंगी।

उन्होंने कहा, वर्ष 2010 से मैं नवादा शहर और इसके आसपास के मुहल्लों की महिलाओं को मुफ्त में योग सिखा रही हूं। बीमारी से जूझते-जूझते मैं खुद को मरा हुआ मानने लगी थी। लेकिन योग ने मुझे नया जीवन दिया। यह नया जीवन दूसरों के जीवन देने के लिए हैं, इस कारण मैं ज्यादा से ज्यादा लोगों को योग से मदद पहुंचाऊंगी।

आनंदी बताती हैं कि वे अब तक 1500 से ज्यादा महिलाओं को योग सिखा चुकी हैं। वे आज भी प्रतिदिन सुबह दो-तीन घंटे योग सिखाती हैं। उनके शिष्यों में न केवल नवादा के विभिन्न मोहल्लों की कामकाजी महिलाएं हैं, बल्कि इसमें गृहणियां भी शामिल हैं।

वे बताती हैं, प्रारंभ में मैं अकेले योग करती थी। इसके बाद एक-दो और महिलाएं आने लगीं, फिर एक टोली बन गई। अब नवादा के गांधी मैदान में मैं शिविर लगाती हूं, जिसमें न केवल महिलाएं बल्कि पुरुष भी आने लगे हैं।

योग के प्रति इस समर्पण को देखते हुए पतंजलि योग समिति ने आनंदी देवी को महिला पतंजलि योग समिति का सह जिला प्रभारी बनाया है। ‘योगगुरु’ के नाम से चर्चित आनंदी के प्रयास का फल भी आसपास की महिलाओं को मिल रहा है।

गोलारोड की रहने वाली 55 वर्षीय मीना देवी कमर और घुटने के दर्द से परेशान थीं। मीना कहती हैं कि ‘योगगुरु’ आनंदी ने उन्हें योग सिखाया और उन्हें प्रतिदिन योग करने की सलाह दी। आज उनका यह दर्द काफी हद तक कम हो गया है।

उनके पति दीपनारायण भी कहते हैं कि आनंदी के खुद के प्रयास ने परिवार के तिरस्कार को सम्मान में बदलवा दिया है।

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नेशनल

महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की हार पर बोलीं कंगना रनौत, उनका वही हश्र हुआ जो ‘दैत्य’ का हुआ था

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मुंबई। महाराष्ट्र में बीजेपी के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन को मिली प्रचंड जीत ने विपक्षी गठबंधन महा विकास अघाड़ी में शामिल पार्टियों को चारों खाने चित कर दिया है। महाराष्ट्र में पार्टी की प्रचंड जीत पर बीजेपी की सांसद कंगना रनौत काफी खुश हैं। वहीं, उद्धव ठाकरे की हार पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कंगना ने कहा कि महिलाओं का अपमान करने की वजह से उनका ये हश्र हुआ है। मुझे उनकी हार का अनुमान पहले से ही था।

कंगना रनौत ने कहा, “मुझे उद्धव ठाकरे की हार का अनुमान पहले ही था। जो लोग महिलाओं का अपमान करते हैं, वे राक्षस हैं और उनका भी वही हश्र हुआ जो ‘दैत्य’ का हुआ था। वे हार गए, उन्होंने महिलाओं का अपमान किया। मेरा घर तोड़ दिया और मेरे खिलाफ अपशब्दों का भी इस्तेमाल किया, इसलिए यह स्पष्ट है कि वे सही और गलत की समझ खो चुके हैं।

बता दें कि कंगना रनौत और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार के बीच 2020 में तब कड़वाहट भरी झड़प हुई थी, जब तत्कालीन अविभाजित शिवसेना के नेतृत्व वाली बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) ने उनके बांद्रा स्थित बंगले में कथित अवैध निर्माण को ध्वस्त कर दिया था। अपने बंगले में तोड़फोड़ की कार्रवाई से पहले रनौत ने यह भी कहा था कि उन्हें “मूवी माफिया” से ज्यादा मुंबई पुलिस से डर लगता है और उन्होंने महाराष्ट्र की राजधानी की तुलना पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से की थी।

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