प्रादेशिक
महिला शिक्षा और समाजसेवा में जेकेपी का योगदान अनुकरणीय : केशव प्रसाद मौर्या
कुंडा (प्रतापगढ़)। जगद्गुरु कृपालु परिषत् (जेकेपी) की ओर से संचालित कृपालु महिला महाविद्यालय के आठवें वार्षिकोत्सव ‘उत्थान’ में कॉलेज की छात्राओं ने रंगारंग प्रस्तुतियों से दर्शकों का दिल जीत लिया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में ऑल इंडिया एंटी टेररिस्ट फ्रंट (एआईएटीएफ) प्रमुख मनिंदरजीत सिंह बिट्टा मौजूद रहे। उन्होंने बालिका शिक्षा के क्षेत्र में जेकेपी के प्रयासों की मुक्त कंठ से सराहना की।
यूपी के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या को कृपालु महिला महाविद्यालय के आठवें वार्षिकोत्सव में आना पूर्व निश्चित था, लेकिन ऐन समय पर उनका यहां आने का कार्यक्रम रद्द हो गया। हालांकि उन्होंने मोबाइल फोन से संबोधन कर वार्षिकोत्सव में मौजूद गणमान्य अतिथियों और छात्राओं का मनोबल बढ़ाया।
उन्होंने अपने संक्षिप्त भाषण में जगद्गुरु कृपालु परिषत् के सामाजिक कार्यों की सराहना की। डिप्टी सीएम मौर्या ने कहा कि परिषत् ने अध्यात्म और समाजसेवा का जो उदाहरण दुनिया के सामने प्रस्तुत किया है, वास्तव में वह अनुकरणीय है। बालिका शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में परिषत् के कार्य वाकई सराहनीय हैं। यही वजह है कि कुछ महीनों पहले ही डॉ विशाखा त्रिपाठी को विजनरी ऑफ यूपी अवार्ड से भी सम्मानित किया गया था।
ऑल इंडिया एंटी टेररिस्ट फ्रंट (एआईएटीएफ) के प्रमुख मनिंदरजीत सिंह बिट्टा ने अपने संबोधन में कहा कि मुझे बेहद खुशी है कि जगद्गुरु कृपालु परिषत ग्रामीण इलाकों की छात्राओं को उच्च स्तर की मुफ्त शिक्षा देकर मानवता की सेवा कर रहा है।
उन्होंने उम्मीद जताई कि जगद्गुरु कृपालु जी महाराज की प्रेरणा से उनके तीनों शिक्षण संस्थान जिस तरह भावी पीढी को दशा और दिशा देने का कार्य कर रहे हैं, उससे देश निश्चित तौर पर प्रगति के पथ पर बढ़ेगा। बिट्टा ने यह भी कहा कि छात्राओं के संवर्धन की ऐसी पहल उन लोगों को और उत्साहित करेगी, जो अपने कार्यों और प्रतिभा के दम पर प्रदेश का नाम ऊंचा करने का सपना देखते हैं।
इस अवसर पर जेकेपी के सचिव रामपुरी ने बताया कि परिषत् की ओर से मनगढ़ आश्रम में बालिकाओं के लिए प्राइमरी से परास्नातक तक की शिक्षा मुफ्त दी जाती है। इसके तहत छात्राओं को उनके घर से लाने और ले जाने की भी सुविधा दी जाती है।
रामपुरी ने बताया जगद्गुरू कृपालु चिकित्सालय में रोगियों के भी मुफ्त इलाज की व्यवस्था है। हम रोगियों के परिवारीजनों के खाने–पीने और रहने का भी प्रबंध करते हैं। इसके अलावा समय-समय पर मुफ्त नेत्र चिकित्सा शिविर व अन्य चिकित्सा शिविर का आयोजन भी परिषत् की ओर से किया जाता है।
उत्तर प्रदेश
योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच
लखनऊ | योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।
लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़
प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।
कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान
राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।
हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश
टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।
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