प्रादेशिक
मांझी के लिए संकट का पहाड़ है जदयू को विपक्ष का दर्जा मिलना
नई दिल्ली/पटना। बिहार में विधानमंडल सत्र के शुरू होने से ऐन एक दिन पहले नीतीश समर्थक गुट को विपक्ष का दर्जा मिल जाना मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के सामने संकट का पहाड़ साबित हो सकता है। उनके सामने समर्थन जुटाने के साथ ही अपनी विधानसभा सदस्यता बचाने की चुनौती आ खड़ी हुई है। विपक्षी पार्टी में ताजा हेरफेर से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में भी खलबली है। भाजपा के प्रवक्ता शाहनवाज ने बिहार विधानभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी के फैसले की तीव्र आलोचना की है। पार्टी के विधायकों ने बिहार विधानसभा के प्रांगण में विरोध प्रदर्शन भी किया है।
पहले से ही राज्य में सत्ता की साझीदार से विपक्षी पार्टी बनी भाजपा चेतावनी दे रही थी कि यदि जनता दल (यूनाइटेड) को विपक्षी पार्टी का दर्जा दिया गया तो वह उच्च न्यायालय में चुनौती देगी। विधानसभा अध्यक्ष ने गुरुवार को यह फैसला ही इतनी देर से लिया कि मामला दायर तो किया जा सकता है, लेकिन विश्वास मत पर मतदान तक उस पर कोई फैसला या सुनवाई संभव होने की गारंटी नहीं है। इस फैसले का ऊपरी तौर पर कोई महत्व रहे न रहे पर यह भाजपा के नहले पर जदयू का दहला है।
जदयू की मांग अनसुनी कर राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी ने अपने संबोधन के बाद मांझी को विश्वास मत हासिल करने का आदेश दिया था। इस बात से नाराज जदयू इसका तोड़ तलाशने में जुटा था और उसे एकमात्र इलाज भाजपा को विपक्ष से धकियाना लगा। यही कारण है कि उसने मांझी को निष्कासित घोषित कर खुद को विपक्षी दल बनाने की मांग कर दी। कायदे से जदयू का यह धड़ा सरकार विरोधी है और ऐसे में वह विपक्ष है। भाजपा सरकार समर्थक होने जा रही है और इसीलिए उसका विपक्षी दल का दर्जा जायज नहीं है।
इस फैसले से मांझी के सामने सबसे बड़ी मुसीबत यह है कि उनकी ओर से जारी व्हिप का पार्टी विधायकों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। विरोधी खेमे का व्हिप असरदार रहेगा। उनके लिए बहुमत जुटाना अब टेढ़ी खीर हो गई है। संख्या बल जुटाने में परिश्रम कर रहे मांझी के सामने दल-बदल निरोधक कानून से बचने का भी कोई उपाय नहीं है क्योंकि वे भी उसी धड़े के निर्वाचित विधायक हैं और इस कानून से बचने के लिए पृथक गुट के पास पर्याप्त संख्या का होना अनिवार्य है। मांझी के पास उतनी संख्या नहीं है। ऐसे में यदि वे उस धड़े के व्हिप का उल्लंघन करते हैं तो उनकी सदस्यता खतरे में पड़ सकती है।
विपक्ष के नए नेता जदयू विधायक विजय कुमार चौधरी बने हैं। मांझी को सरकार को बचाने के लिए 117 विधायकों का समर्थन चाहिए। नीतीश के पास 130 विधायकों के समर्थन का दावा है। बिहार विधानसभा में 243 सदस्य होते हैं और अभी 10 सीटें खाली हैं।
उत्तर प्रदेश
सीएम योगी ने निकाला नया नारा…. ‘जहां दिखे सपाई, वहां बिटिया घबराई’
लखनऊ। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मीरापुर विधानसभा के मोरना क्षेत्र में एक चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए समाजवादी पार्टी और कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। बटेंगे तो कटेंगे के बाद यहां उन्होंने नए नारा देते हुए कहा कि जहां दिखा सपाई, वहां बिटिया घबराई।
उन्होंने जनता को संबोधित करते हुए कहा कि मै यहां भाषण कर रहा था तब पब्लिक के बीच से एक नारा आ रहा था। वह नारा था, 12 से 2017 के बीच में एक नारा चलता था, जिस गाड़ी पर सपा का झण्डा समझो उस पर बैठा है कोई। इसके आगे जनता के बीच से आवाज आई कि ..गुण्डा।
इसके आगे मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि भाईयों बहनों आज मै कह सकता हूं कि जहां दिखे सपाई, वहां बिटिया घबराई। मुख्यमंत्री प्रदेश की उन घटनाओं का जिक्र किया जिसमें बेटियों के साथ बलात्कार हुआ और उसमें सपा से जुड़े लोग आरोपित पाए गए। योगी ने कहा कि आपने इनके कारनामों को देखा होगा। अयोध्या और कन्नौज में यह नजारा देखा होगा। समाजवादी पार्टी का यह नया ब्रांड है। इनको लोकलाज नहीं है। ये आस्था के साथ भी खिलवाड़ करते हैं। यह ऐसे लोग हैं जिनसे पूरे समाज को खतरा है।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री योगी आज पश्चिम उत्तर प्रदेश में तीन जनसभाओं को संबोधित कर रहे हैं। विधान सभा की नौ सीटों पर हो रहे चुनाव में प्रचार की कमान उन्होंने खुद संभाल ली है। उनके साथ दो उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक और यूपी भाजपा के अध्यक्ष समेत अन्य नेता भी चुनाव प्रचार में जुट गए हैं।
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