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माइक्रोसॉफ्ट ने इंटेलीजेंट नेटवर्क फॉर आईकेयर लांच किया

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माइक्रोसॉफ्ट इंडिया, माइक्रोसॉफ्ट, एमआईएनई, प्रौद्योगिकी, वाणिज्यिक कंपनियों

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माइक्रोसॉफ्ट इंडिया, माइक्रोसॉफ्ट, एमआईएनई, प्रौद्योगिकी, वाणिज्यिक कंपनियोंहैदराबाद | माइक्रोसॉफ्ट इंडिया ने एल. वी. प्रसाद आई इंस्टीट्यूट के साथ मिलकर सोमवार को माइक्रोसॉफ्ट इंटेलीजेंट नेटवर्क फॉर आईकेयर (एमआईएनई) लांच किया।  सेवा भावना के तहत शुरू की गई इस परियोजना के लिए वाणिज्यिक कंपनियों, शोध और शिक्षण संस्थानों ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता के प्रयोग से अंधापन टालने और नेत्र देखभाल सेवाओं के दुनिया भर में वितरण में मदद करने के लिए हाथ मिलाया है।

इस परियोजना में भाग लेनेवाले संगठनों में बॉसकॉम पाल्मर- मियामी विश्वविद्यालय, फ्लॉम आई इंस्टीट्यूट- रोचेस्टर विश्वविद्यालय (अमेरिका), साओपाओलो फेडरल विश्वविद्यालय (ब्राजील) और ब्रायन होल्डेन विजन इंस्टीट्यूट (ऑस्ट्रेलिया) शामिल हैं।  वर्तमान में दुनियाभर में 28.5 करोड़ लोग नेत्रहीनता के शिकार हैं, जिनमें से 5.5 करोड़ लोग भारत में रहते हैं।

माइक्रोसॉफ्ट ने नेत्रहीनों की मदद के लिए उन्नत विश्लेषण के लिए और आईकेयर के लिए कृत्रिम बुद्धिमता मॉडल बनाने के लिए अपने प्रमुख क्लाउड प्लेटफार्म प्रौद्योगिकी कोर्टाना इंटेलीजेंट सूइट की तैनाती की है।

माइक्रोसॉफ्ट इंडिया के प्रबंध निदेशक अनिल भंसाली ने बताया, “एमआईएनई एक वैश्विक भागीदारी कार्यक्रम है जो डेटा, क्लाउड और उन्नत विश्लेषण की संयुक्त शक्ति में माइक्रोसॉफ्ट के विश्वास की पुष्टि करता है। हम मिलकर प्रिवेंटिव (पूर्व सर्तकता) अंधापन के उन्मूलन के लिए एमआईएनई की मदद से काम करेंगे।”

एल.वी. प्रसाद संस्थान के संस्थापक-अध्यक्ष जी. एन. राव ने कहा कि वे मरीजों के परिणाम में सुधार के लिए माइक्रोसॉफ्ट के अजूरे मशीन लर्निग और पॉवर बीआई का प्रयोग करते हैं।  उन्होंने कहा, “हमें भरोसा है कि इस भागीदारी से कई नेत्र रोगों के निदान में प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल का रास्ता खुलेगा।”

 

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फेमस न्यूक्लियर फिजिस्ट होमी जहांगीर भाभा का आज जन्मदिन, जानें कुछ उनके बारे में

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नई दिल्ली। इंडियन न्यूक्लियर प्रोग्राम के जनक और फेमस न्यूक्लियर फिजिस्ट होमी जहांगीर भाभा का आज जन्मदिन है। जे. भाभा, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) के फाउंडिंग डायरेक्टर और फिजिक्स के प्रोफेसर भी थे। होमी जहांगीर भाभा का जन्म 30 अक्टूबर 1909 में एक अमीर पारसी परिवार में हुआ था। होमी जहांगीर भाभा के पिता का नाम जहांगीर होर्मुस्जी भाभा और माता का नाम मेहरबाई भाभा था, इनके पिता एक जाने-माने वकील थे जबकि माँ एक गृहिणी थीं।

होमी भाभा ने 16 साल की आयु में ही सीनियर कैम्ब्रिज परीक्षा पास कर ली थी। फिर वे गोनविले और कैयस कॉलेज में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के लिए कैम्ब्रिज गए। इसके बाद उन्होंने कैम्ब्रिज में कैवेंडिश लैब में रिसर्च करना शुरू किया और उनका पहला रिसर्च पेपर 1933 में प्रकाशित हुआ। दो साल बाद, उन्होंने अपनी पीएचडी हासिल की और 1939 तक कैम्ब्रिज में रहे।होमी भाभा ने छात्र के रूप में कोपेनहेगन में नोबेल पुरस्कार विजेता नील्स बोहर के साथ काम किया और क्वांटम सिद्धांत के विकास में प्रमुख भूमिका निभाई।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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