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माखनलाल चतुर्वेदी : लेखन के लिए ठुकराया था मुख्यमंत्री पद (जन्मदिन : 4 अप्रैल)

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नई दिल्ली, 3 अप्रैल (आईएएनएस)| वरिष्ठ हिंदी कवि, लेखक और पत्रकार माखनलाल चतुर्वेदी ने शिक्षण और लेखन जारी रखने के लिए मुख्यमंत्री के पद को ठुकरा दिया था। उन्होंने कहा था कि एक साहित्यकार का मुख्यमंत्री बनना उसकी पदावनति होगी।

उनका जन्म 4 अप्रैल, 1889 को मध्य प्रदेश के बावई में हुआ था। राधा वल्लभ संप्रदाय से आने के कारण इन्हें वैष्णव पद कंठस्थ थे। प्राथमिक शिक्षा के बाद ये घर पर ही संस्कृत का अध्ययन करने लगे। 15 वर्ष की अवस्था में इनका विवाह हो गया।

माखनलाल जी के व्यक्तित्व के कई पहलू देखने को मिलते हैं। एक ज्वलंत पत्रकार, जिन्होंने प्रभा, कर्मवीर और प्रताप का संपादन किया, उनकी कविताएं, नाटक, निबंध, कहानी, उनके सम्मोहित करने वाले और प्रभावशाली भाषण, वे आत्मा से एक शिक्षक थे। उन्होंने देश की आजादी के लिए लड़ाई भी लड़ी और वे इसके लिए कई बार जेल गए।

इन्होंने साल 1913 में ‘प्रभा पत्रिका’ का संपादन किया। इसी समय ये स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी के संपर्क में आए, जिनसे ये बेहद प्रभावित हुए। इन्होंने साल 1918 में प्रसिद्ध ‘कृष्णार्जुन युद्ध’ नाटक की रचना की और 1919 में जबलपुर में ‘कर्मयुद्ध’ का प्रकाशन किया। स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के कारण 1921 में इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया, इसके बाद 1922 में ये रिहा हुए। साल 1924 में गणेश शंकर विद्यार्थी की गिरफ्तारी के बाद इन्होंने प्रताप का संपादन किया।

कवयित्री महादेवी वर्मा अपने साथियों को इनका एक किस्सा बताती थीं कि जब भारत स्वतंत्र हुआ तो मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद के लिए इन्हें चुना गया। जब इन्हें इसकी सूचना दी गई तो इन्होंने कहा, शिक्षक और साहित्यकार बनने के बाद मुख्यमंत्री बना तो मेरी पदावनति होगी। इन्होंने मुख्यमंत्री के पद को ठुकरा दिया। इसके बाद रविशंकर शुक्ल को मुख्यमंत्री बनाया गया।

साल 1949 में ‘हिमतरंगिनी’ के लिए इन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। भारत सरकार ने साल 1963 में इन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया। 10 सितंबर, 1967 को ‘राजभाषा संविधान संशोधन विधेयक’ के विरोध में इन्होंने पद्म भूषण लौटा दिया। यह विधेयक राष्ट्रीय भाषा हिंदी का विरोधी था। ‘एक भारतीय आत्मा’ के नाम से कविताएं लिखने के कारण उन्हें ‘एक भारतीय आत्मा’ की उपाधि दी गई थी।

20वीं सदी की शुरुआत में इन्होंने काव्य लेखन शुरू किया था। स्वतंत्रता आंदोलन में वे गरम दल के नेता बाल गंगाधर तिलक के साथ-साथ आजादी के लिए अहिंसा का मार्ग अपनाने वाले महात्मा गांधी से भी बहुत प्रभावित हुए। स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के कारण वे कई बार जेल भी गए।

उन्होंने हिमकिरीटिनी, हिम तरंगिनी, युग चरण, समर्पण, मरण ज्वार, माता, वेणु लो गूंजे धरा, ‘बीजुरी काजल आंज रही’ जैसी प्रमुख कृतियों सहित कई अन्य रचनाएं कीं।

महान साहित्यकार माखनलाल चतुर्वेदी ने 30 जनवरी, 1968 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया था।

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नेशनल

पीएम मोदी पर लिखी किताब के प्रचार के लिए स्मृति ईरानी चार देशों की यात्रा पर

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नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी एक नवीनतम पुस्तक ‘मोडायलॉग – कन्वर्सेशन्स फॉर ए विकसित भारत’ के प्रचार के लिए चार देशों की यात्रा पर रवाना हो गई हैं। यह दौरा 20 नवंबर को शुरू हुआ और इसका उद्देश्य ईरानी को मध्य पूर्व, ओमान और ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों से जोड़ना है।

स्मृति ईरानी ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि,

एक बार फिर से आगे बढ़ते हुए, 4 देशों की रोमांचक पुस्तक यात्रा पर निकल पड़े हैं! 🇮🇳 जीवंत भारतीय प्रवासियों से जुड़ने, भारत की अपार संभावनाओं का जश्न मनाने और सार्थक बातचीत में शामिल होने के लिए उत्सुक हूँ। यह यात्रा सिर्फ़ एक किताब के बारे में नहीं है; यह कहानी कहने, विरासत और आकांक्षाओं के बारे में है जो हमें एकजुट करती हैं। बने रहिए क्योंकि मैं आप सभी के साथ इस अविश्वसनीय साहसिक यात्रा की झलकियाँ साझा करता हूँ

कुवैत, दुबई, ओमान और ब्रिटेन जाएंगी स्मृति ईरानी

डॉ. अश्विन फर्नांडिस द्वारा लिखित यह पुस्तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासन दर्शन पर प्रकाश डालती है तथा विकसित भारत के लिए उनके दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करती है। कार्यक्रम के अनुसार ईरानी अपनी यात्रा के पहले चरण में कुवैत, दुबई, फिर ओमान और अंत में ब्रिटेन जाएंगी।

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