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मायावती का मोदी पर प्रहार, बोलीं-धन्नासेठों का तुष्टीकरण कर रही सरकार
लखनऊ । बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा कोयला क्षेत्र का भी निजीकरण कर प्राइवेट कंपनियों को कोयला खदानों में उत्पादन व इस्तेमाल की अनुमति देने के फैसले को ‘धन्नासेठों के तुष्टीकरण की एक और नीति’ बताया है।
उन्होंने कहा है कि कुछ मुठ्ठीभर बड़े-बड़े पूंजीपतियों व धन्नासेठों के हित में तो एक के बाद एक लगातार काम किए जा रहे हैं, लेकिन देश के सवा सौ करोड़ गरीबों, मजदूरों, किसानों, युवाओं, बेरोजगारों व अन्य मेहनतकश लोगों से किए गए ‘अच्छे दिन’ के वादे क्यों नहीं पूरे किए जा रहे हैं, जबकि इनमें ही देश का असली हित निहित है।
मायावती ने कहा कि कोयला जैसी महत्वपूर्ण राष्ट्रीय संपत्ति का भी दोहन करने के लिए इसका निजीकरण करना बड़ी चिंता की बात है।
बसपा प्रमुख ने आईपीएन को भेजे अपने बयान में कहा कि मोदी सरकार हर बड़े व महत्वपूर्ण क्षेत्र का निजीकरण करके एक ऐसे गुप्त एजेंडे पर काम कर रही है, जिससे दलितों व पिछड़े वर्गो के लिए रोजगार में आरक्षण की संवैधानिक व्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित तो हो ही रही है। इससे देश का भी अहित हो रहा है।
उन्होंने कहा कि इसका खामियाजा पूरे देश को काफी लंबे समय तक भुगतना पड़ेगा, क्योंकि पूरा देश खुली आंखों से देख रहा है कि निजी क्षेत्र की कंपनियां देश को लूटने में लगी हुई हैं और भाजपा सरकार अपने कान, आंख सब कुछ बंद किए हुए है।
मायावती ने कहा, “देश लुट रहा है और सेवादार व चौकीदार सब सत्ता के नशे में धुत नजर आ रहे हैं।”
बसपा प्रमुख ने कहा कि कुल मिलाकर देश में कानून-व्यवस्था व अपराध नियंत्रण की तरह आर्थिक जगत में भी पूरी तरह से अराजकता व जंगलराज लागू हो गया लगता है। मोदी सरकार अपने आपको कानून व संविधान से ऊपर मानकर अनुचित व्यवहार कर रही है। उसे लगता है कि भाजपा सरकार द्वारा किए जा रहे हर अनैतिक व आपराधिक कृत्य को देशहित का हवाला देकर जनता को भ्रमित कर लेगी, लेकिन ऐसा नहीं होने दिया जाएगा।
मायावती ने कहा कि मोदी सरकार के लगभग चार वर्ष के कार्यकाल में देश की आम जनता ने यह महसूस कर लिया है कि देश की संपत्ति को लूटने व लुटाने की प्रवृत्ति देश के लिए बहुत ही घातक है।
नेशनल
ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप को मनमानी करने पर 103 के बदले देने पड़ेंगे 35,453 रु, जानें क्या है पूरा मामला
हैदराबाद। ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप स्विगी को ग्राहक के साथ मनमानी करना भारी पड़ गया। कंपनी की इस मनमानी पर एक कोर्ट ने स्विगी पर तगड़ा जुर्माना ठोक दिया। हैदराबाद के निवासी एम्माडी सुरेश बाबू की शिकायत पर उपभोक्ता आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है। बाबू ने आरोप लगाया था कि स्विगी ने उनके स्विगी वन मेंबरशिप के लाभों का उल्लंघन किया और डिलीवरी Food Delivery की दूरी को जानबूझकर बढ़ाकर उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूला
क्या है पूरा मामला ?
सुरेश बाबू ने 1 नवंबर, 2023 को स्विगी से खाना ऑर्डर किया था। सुरेश के लोकेशन और रेस्टॉरेंट की दूरी 9.7 किमी थी, जिसे स्विगी ने बढ़ाकर 14 किमी कर दिया था। दूरी में बढ़ोतरी की वजह से सुरेश को स्विगी का मेंबरशिप होने के बावजूद 103 रुपये का डिलीवरी चार्ज देना पड़ा। सुरेश ने आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि स्विगी वन मेंबरशिप के तहत कंपनी 10 किमी तक की रेंज में फ्री डिलीवरी करने का वादा किया था।कोर्ट ने बाबू द्वारा दिए गए गूगल मैप के स्क्रीनशॉट्स और बाकी सबूतों की समीक्षा की और पाया कि दूरी में काफी बढ़ोतरी की गई है।
कोर्ट ने स्विगी को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी पाया और कंपनी को आदेश दिया कि वे सुरेश बाबू को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 350.48 रुपये के खाने का रिफंड, डिलीवरी के 103 रुपये, मानसिक परेशानी और असुविधा के लिए 5000 रुपये, मुकदमे की लागत के लिए 5000 रुपए समेत कुल 35,453 रुपये का भुगतान करे।
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