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बिजनेस

मारुति सुजुकी की बिक्री 8.7 फीसदी बढ़ी

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नई दिल्ली| देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी ने सोमवार को कहा कि उसकी बिक्री फरवरी महीने में साल-दर-साल आधार पर 8.7 फीसदी बढ़ी, जिसमें निर्यात का आंकड़ा भी शामिल है। कंपनी ने अपने एक बयान में कहा कि उसकी बिक्री फरवरी 2015 में 1,18,551 रही, जो एक साल पहले समान अवधि में 1,09,104 थी।

घरेलू बाजार में कंपनी की बिक्री साल-दर-साल आधार पर 8.2 फीसदी बढ़कर 1,07,892 रही, जो एक साल पहले समान अवधि में 99,758 थी।

निर्यात इसी अवधि में 14 फीसदी बढ़कर 10,659 रहा, जो एक साल पहले समान अवधि में 9,346 थी।

अल्टो, वैगनआर, स्विफ्ट, रिट्ज, डिजायर, डिजायर टुअर सिलेरियो, एसएक्स4 और सियाज वाली यात्री श्रेणी में बिक्री 7.2 फीसदी अधिक 90,728 रही, जो एक साल पहले समान अवधि में 84,595 थी।

जिप्सी, ग्रैंड विटारा और एर्टिगा जैसी उपयोगिता वाहन श्रेणी में बिक्री इसी अवधि में 12.1 फीसदी अधिक 5,863 रही, जो एक साल पहले समान अवधि में 5,231 थी।

ओम्नी और ईको वाली वैन श्रेणी में बिक्री 13.8 फीसदी अधिक 11,301 वाहनों की रही, जो एक साल पहले समान अवधि में 9,932 थी।

 

बिजनेस

जेट एयरवेज की संपत्तियों की होगी बिक्री

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश को रद्द करते हुए दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के अनुसार निष्क्रिय जेट एयरवेज के परिसमापन का आदेश दिया। एनसीएलएटी ने पहले कॉरपोरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के हिस्से के रूप में जालान कालरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को एयरलाइन के स्वामित्व के हस्तांतरण को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी करते हुए कहा कि जेकेसी संकल्प का पालन करने में विफल रहा क्योंकि वह 150 करोड़ रुपये देने में विफल रहा, जो श्रमिकों के बकाया और अन्य आवश्यक लागतों के बीच हवाई अड्डे के बकाया को चुकाने के लिए 350 करोड़ रुपये की पहली राशि थी। नवीनतम निर्णय एयरलाइन के खुद को पुनर्जीवित करने के संघर्ष के अंत का प्रतीक है।

NCLT को लगाई फटकार

पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति पारदीवाला ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ एसबीआई तथा अन्य ऋणदाताओं की याचिका को स्वीकार कर लिया। याचिका में जेकेसी के पक्ष में जेट एयरवेज की समाधान योजना को बरकरार रखने के फैसले का विरोध किया गया है। न्यायालय ने कहा कि विमानन कंपनी का परिसमापन लेनदारों, श्रमिकों और अन्य हितधारकों के हित में है। परिसमापन की प्रक्रिया में कंपनी की संपत्तियों को बेचकर प्राप्त धन से ऋणों का भुगतान किया जाता है। पीठ ने एनसीएलएटी को, उसके फैसले के लिए फटकार भी लगाई।

शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल किया, जो उसे अपने समक्ष लंबित किसी भी मामले या मामले में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए आदेश तथा डिक्री जारी करने का अधिकार देता है। एनसीएलएटी ने बंद हो चुकी विमानन कंपनी की समाधान योजना को 12 मार्च को बरकरार रखा था और इसके स्वामित्व को जेकेसी को हस्तांतरित करने की मंजूरी दी थी। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और जेसी फ्लावर्स एसेट रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ अदालत का रुख किया था।

 

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