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उत्तराखंड

मुख्यमंत्री ने चैत्र नवरात्रि पर प्रदेशवासियों को बधाई और शुभकामनाएं दी

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देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने चैत्र नवरात्रि, विक्रम संवत, चेटी चंद के अवसर पर प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दी है।

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चैत्र नवरात्रि की पूर्व संध्या पर जारी अपने संदेश में मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि हमारी भारतीय संस्कृति में श्रद्धा, भक्ति और शक्ति की देवी मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की उपासना के इस महापर्व का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। यह पर्व हमारी संस्कृति में नारी शक्ति के प्रति सम्मान प्रकट करने का भी महापर्व है।

मुख्यमंत्री रावत ने नव वर्ष प्रतिपदा की शुभकामनाएं देते हुए कामना की है कि नया वर्ष (विक्रम संवत) प्रदेश के सभी नागरिकों क लिए मंगलमय जीवन और सुख-समृद्धि लेकर आएगा।

उत्तराखंड

शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद

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उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।

बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.

उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।

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