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मैगी जैसे कई नसों में घोल रहे जहर
बड़ी-बड़ी कंपनियां किस तरह लोगों की सेहत से खिलवाड़ करती हैं, मैगी इसका एक प्रमुख उदाहरण है। मैगी में सीसे की मिलावट मानकों से कहीं ज्यादा मिलने की पुष्टि हो चुकी है और एक स्थानीय अदालत ने मैगी बनाने वाली कंपनी नेस्ले के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज करने का आदेश दे दिया है। मैगी के बाद एक अन्य प्रमुख कंपनी यप्पी नूडल्स की गुणवत्ता पर भी सवाल उठने लग गए हैं। एफडीए (फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन) ने यप्पी नूडल्स के पांच हजार नूडल्स के पैकेट सील किए हैं।
कुल मिलाकर ये सभी मामले तो एक बानगी भर है। मिलावटखोरों के हौसले इस कदर बुलंद हो चुके हैं कि वह बेखटके लोगों की नसों में जहर घोलने में जुटे हुए है। खाने-पीने की सभी चीजों, सौंदर्य प्रसाधनों और रोजमर्रा की जरूरतों की सभी चीजों को मिलावट खोखला करने में जुटी है। इसके लिए कहीं न कहीं हम व्यवस्था ही जिम्मेदार है। देश में मिलावट रोकने के लिए कई कानून और विभाग कार्यरत हैं लेकिन उनका प्रभाव कितना सीमित है, इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।
मिलावट पकड़े जाने पर दोषी को मिलने वाली सजा या जुर्माना बेहद सीमित या कम है। पकड़े जाने पर दोषी कुछ समय बाद ही फिर छूट जाते हैं और फिर मिलावट का गोरखधंधा शुरू कर देते हैं। देश में मिलावट करने वालों पर कानूनी कार्रवाई कछुआ गति से होती है। देश की सर्वोच्च अदालत तक ने मिलावटी दूध तैयार करने और इसकी बिक्री करने वालों को उम्रकैद की सजा देने की पैरवी की थी। कोर्ट ने राज्य सरकारों से कहा कि इस संबंध में कानून में उचित संशोधन किया जाए लेकिन ऐसा अभी तक न हो सका। हर साल दीपावली या होली पर तो ऐसे मामलों की बाढ़ आ जाती है। कुछ दिनों तक कार्रवाई की खानापूर्ति होती है और फिर नतीजा ढाक के तीन पात। उत्तर भारत के कई राज्यों में दूध में सिंथेटिक पदार्थ मिलाकर नकली दूध का निर्माण धड़ल्ले से जारी है। इससे लोगों के स्वास्थ्य व जीवन पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। आक्सीटोसिन से लेकर खतरनाक रसायनों का घोल रोजाना हमारे शरीर में घुलता जा रहा है।
मिलावट के दौर में कोई भी खाने-पीने की सामग्री शुद्ध नहीं है। बोतल बंद पानी और कोल्ड ड्रिंक को भी खतरनाक कैमिकल मिलाये बिना नहीं बनाया जाता। जिससे हमारे शरीर में थोडा-थोडा जहर रोज पहुंचता रहता है। समस्या बहुत बड़ी है और निदान बहुत जरूरी है। इसके बावजूद खाद्य पदार्थों में गुणवत्ता सुनिश्चित करने वाली नियामक संस्थाओं में पर्याप्त स्टाफ मौजूद नहीं है। नई दिल्ली में सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायर्नमेंट (सीएसई) की एक सदस्य कहती हैं कि कई देशों में मिलावट करने पर फांसी की सजा तक का प्रावधान है लेकिन हमारे देश में नियम बेहद शिथिल हैं ऐसे में मिलावटखोरों का डर लगेगा भी कैसे?
लेकिन यह सब किसी भी राजनीतिक पार्टी को नहीं दिखता और उन्हें इससे कोई सरोकार नहीं है। इस स्लो प्वाइजन के खिलाफ अभियान और नए नियम बनाने का एजेंडा किसी के घोषणापत्र में नहीं है। यह रसायनिक हमला भारत की सवा सौ करोड़ जनता पर रोजाना चल रहा है। इसकी एक बड़ी वजह यह भी है कि केंद्र और सरकारों के पास मिलावट रोकने के लिये पर्याप्त संसाधन अभी तक नहीं है। लेकिन इससे निपटने का रास्ता भी उन्हें ही निकालना होगा। मिलावटखोरों के खिलाफ मामलों को तेजी से निपटाने के लिए अलग से कोर्ट का गठन किया जाए और सजा के प्रावधान बेहद सख्त हों तभी कुछ बात बन सकती है।
उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग का प्रस्ताव- पुरुष दर्जी नहीं ले सकेंगे महिलाओं की माप, जिम में महिला ट्रेनर जरुरी
लखनऊ। अगर आप महिला हैं तो ये खबर आपके लिए है। दरअसल, यूपी में महिलाओं की सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए उ.प्र. राज्य महिला आयोग ने कुछ अहम फैसले लिए हैं जिसे जानना आपके लिए बेहद ज़रूरी हैं। शुक्रवार को आयोग की बैठक सम्पन्न हुई। इस दौरान महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कई अहम फैसले लिए गए। जो की इस प्रकार हैं।
1- महिला जिम/योगा सेन्टर में, महिला ट्रेनर होना चाहिए तथा ट्रेनर एवं महिला जिम का सत्यापन अवश्य करा लिया जाये।
2-महिला जिम/योगा सेन्टर में प्रवेश के समय अभ्यर्थी के आधार कार्ड/निर्वाचन कार्ड जैसे पहचान पत्र से सत्यापन कर उसकी छायाप्रति सुरक्षित रखी जाये।
3- महिला जिम/योगा सेन्टर में डी.वी.आर. सहित सी.सी.टी.वी. सक्रिय दशा में होना अनिवार्य है।
4. विद्यालय के बस में महिला सुरक्षाकर्मी अथवा महिला टीचर का होना अनिवार्य है।
5. नाट्य कला केन्द्रों में महिला डांस टीचर एवं डी.वी.आर सहित सक्रिय दशा में सी.सी.टी.वी. का होना अनिवार्य है।
6. बुटीक सेन्टरों पर कपड़ों की नाप लेने हेतु महिला टेलर एवं सक्रिय सी.सी.टी.वी. का होना अनिवार्य है।
7. जनपद की सभी शिक्षण संस्थाओं का सत्यापन होना चाहिये।
8. कोचिंग सेन्टरों पर सक्रिय सी.सी.टी.वी. एवं वाशरूम आदि की व्यवस्था अनिवार्य है।
9. महिलाओं से सम्बन्धित वस्त्र आदि की ब्रिकी की दुकानों पर महिला कर्मचारी का होना अनिवार्य है।
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