नेशनल
मोदी सरकार देश में कई भोपाल त्रासदी की तैयारी में : गैस पीड़ित
भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 31 वर्ष पूर्व घटी गैस त्रासदी के पीड़ितों की लड़ाई लड़ रहे पांच संगठनों का कहना है कि एक तरफ मोदी सरकार भोपाल हादसे के लंबित मसले सुलझाने में विफल है तो दूसरी ओर पर्यावरण और श्रम कानूनों में बदलाव कर देश में कई भोपाल त्रासदी की तैयारी कर रही है। इन संगठनों ने सोमवार को आयोजित एक संयुक्त पत्रकार वार्ता में केंद्र सरकार के प्रति अपने गुस्से का इजहार किया।
भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की अध्यक्षा रशीदा बी ने कहा, “भारतीय अदालतों की अवहेलना करने वाली अमरीकी कम्पनियों के खिलाफ कार्रवाई में केंद्र सरकार पूरी तरह विफल रही है। भोपाल के मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी ने डाओ केमिकल को हाजिर होने के लिए पिछले एक साल में तीन बार नोटिस भेजे हैं, पर भारत सरकार इस कम्पनी को अदालत में हाजिर नहीं करा पाई है।”
भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा के नवाब खान ने भोपाल के वीरान पड़े यूनियन कार्बाइड कारखाने के आसपास जमा जहरीले रसायनों से बढ़ते प्रदूषण के वैज्ञानिक आंकलन करने की संयुक्त राष्ट्रसंघ की पर्यावरण संस्था के प्रस्ताव का लाभ उठाने में मोदी सरकार की विफलता पर नाराजगी जाहिर की।
डाओ कार्बाइड के खिलाफ बच्चे संगठन की साफरीन खान ने कहा कि प्रधानमंत्री पूरे देश को साफ सुथरा बनाने की बात करते हैं, परन्तु भोपाल के कारखाने के अंदर और आसपास जमीन के नीचे दबे हजारों टन जहरीले कचरे को उनके स्वच्छता अभियान में कोई जगह नहीं है। भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन के सतीनाथ षड़ंगी ने वर्तमान केंद्र सरकार की कॉरपोरेट परस्त नीति पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा, “मोदी सरकार पर्यावरण व श्रम कानूनों में बदलाव करने की तैयारी में है। इससे आशंका है कि देश में भोपाल जैसे हादसे और घटेंगे।”
उन्होंने आगे कहा, “वर्तमान सरकार के प्रस्ताव के मुताबिक पर्यावरण और श्रम के मामलों मंो कंपनियों को यह अधिकार होगा कि वे अपने को सही बताने वाला प्रमाण पत्र खुद ही जारी कर सकेंगी। इससे तो उद्योगपतियों को देश भर में भोपाल जैसे हादसे करने के लिए प्रोत्साहन ही मिलेगा।”
पीड़ित निराश्रित पेंशनभोगी संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष बालकृष्ण नामदेव ने मोदी सरकार पर उद्योगपतियों के लिए काम करने का आरोप लगाया। राजधानी भोपाल में दो-तीन दिसंबर, 1984 को यूनियन कार्बाइड संयंत्र से रिसी जहरीली गैस ने तीन हजार लोगों को तत्काल मौत की नींद सुला दिया था। उसके बाद अबतक कई हजार लोग काल के गाल में समा चुके हैं। हजारों लोग अब भी बीमारी हैं। इन प्रभावितों को उनका हक दिलाने के लिए ये पांचों संगठन मिलकर संघर्ष कर रहे हैं।
नेशनल
गैस चेंबर बनी दिल्ली, AQI 500 तक पहुंचा
नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर में इन दिनों सांस लेना भी मुश्किल हो गया है। दरअसल दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का स्तर बदतर स्थिति में है। अगर श्रेणी के आधार पर बात करें तो दिल्ली में प्रदूषण गंभीर स्थिति में बना हुआ है। कल जहां एक्यूआई 470 था तो वहीं आज एक्यूआई 494 पहुंच चुका है। दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में एक्यूआई के आंकड़ें आ चुके हैं। अलीपुर में 500, आनंद विहार में 500, बवाना में 500 के स्तर पर एक्यूआई बना हुआ है।
कहां-कितना है एक्यूआई
अगर वायु गुणवत्ता की बात करें तो अलीपुर में 500, बवाना में 500, आनंद विहार में 500, डीटीयू में 496, द्वारका सेक्टर 8 में 496, दिलशाद गार्डन में 500, आईटीओ में 386, जहांगीरपुरी में 500, जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में 500, लोधी रोड में 493, मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम 499, मंदिर मार्ग में 500, मुंडका में 500 और नजफगढ़ में 491 एक्यूआई पहुंच चुका है। दिल्ली की वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में बनी हुई है। ऐसे में दिल्ली में ग्रेप 4 को लागू कर दिया गया है। इस कारण दिल्ली के अलावा नोएडा, गाजियाबाद, हापुड़, मेरठ में स्कूलों को बंद कर दिया गया है और ऑनलाइन माध्यम से अब क्लासेस चलाए जाएंगे।
-
अन्तर्राष्ट्रीय3 days ago
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इतालवी समकक्ष जियोर्जिया मेलोनी से की मुलाकात
-
मनोरंजन3 days ago
असित मोदी के साथ झगड़े पर आया दिलीप जोशी का बयान, कही ये बात
-
छत्तीसगढ़3 days ago
CRPF 241 बस्तियां बटालियन पहुंचे सीएम विष्णु देव साय, जवानों को भोजन परोसा, बढ़ाया हौसला
-
प्रादेशिक3 days ago
कक्षा 12 के छात्रों ने शिक्षिका की कुर्सी के नीचे लगाया बम, कर दिया विस्फोट
-
वीडियो3 days ago
video: भगवान ऐसा दोस्त किसी को ना दे
-
उत्तराखंड2 days ago
उत्तराखंड सरकार ने भू-कानून के उल्लंघन पर अपनाया सख्त रुख
-
प्रादेशिक3 days ago
बहु-बेटियों की इज्जत के लिए करें मतदान – केंद्रीय मंंत्री गिरिराज सिंह
-
उत्तराखंड2 days ago
जगद्गुरु रामभद्राचार्य अस्पताल में भर्ती, सांस लेने में तकलीफ