Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

मुख्य समाचार

म्यांमार में रॉयटर्स के 2 संवाददाताओं को 7 साल की जेल (

Published

on

Loading

यंगून, 3 सितम्बर (आईएएनएस)| रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ हिंसा की जांच के दौरान ‘स्टेट सीक्रेट्स एक्ट’ का उल्लंघन करने के आरोप में सोमवार को रॉयटर्स के दो संवाददाताओं को सात साल जेल की सजा सुनाई गई है। समाचार एजेंसी एफे के मुताबिक, दोनों संवाददाताओं -वा लोन और कायो सो ऊ- को 12 दिसंबर की रात पुलिस अधिकारियों से मुलाकात के बाद गिरफ्तार किया गया था। प्रतिवादियों के मुताबिक, दोनों ने उन्हें गोपनीय दस्तावेज दिए थे।

इस मामले को म्यांमार में प्रेस की स्वतंत्रता की परीक्षा के रूप में देखा जा रहा है।

पत्रकारों ने खुद को निर्दोष बताया है और कहा है कि वे पुलिस द्वारा फंसाए गए हैं।

32 वर्षीय लोन ने फैसले के बाद कहा, मुझे कोई डर नहीं है। मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है। मैं न्याय, लोकतंत्र और आजादी में विश्वास करता हूं।

दोनों पत्रकारों के परिवारों में बच्चे हैं और दोनों दिसंबर 2017 में गिरफ्तारी के बाद से जेल में हैं।

रॉयटर्स के मुख्य संपादक स्टीफन एडलर ने कहा, आज म्यांमार, रॉयटर्स पत्रकारों वा लोन तथा क्यॉ सो ऊ और प्रेस की स्वतंत्रता के लिए एक दुखद दिन है।

उन्होंने कहा कि संस्थान आने वाले दिनों में देखेगा कि इस मामले में कैसे आगे बढ़ा जाए, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय मंच से राहत मांगना भी शामिल है।

न्यायाधीश ये लविन ने यंगून में अदालत में कहा कि दोनों का इरादा राज्य के हितों को नुकसान पहुंचाने का था और इसलिए वे स्टेट सीक्रेट्स एक्ट के तहत दोषी पाए गए हैं।

लोन और सो उत्तरी रखाइन राज्य में इन दीन गांव में सेना द्वारा की गई 10 पुरुषों की हत्या मामले में सबूत एकत्र कर रहे थे।

उनकी जांच के दौरान, उन्हें दो पुलिस अधिकारियों द्वारा दस्तावेजों की पेशकश की गई, लेकिन उन दस्तावेजों को लेने के फौरन बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

बाद में अधिकारियों ने इन हत्याओं के मामले में अपनी जांच शुरू की, नरसंहार की पुष्टि की और इसमें शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का वादा किया।

बीबीसी ने कहा है कि कई लोग इस फैसले को म्यांमार में प्रेस की आजादी को कुचलने के तौर पर देखेंगे, जो स्वतंत्र चुनाव में आंग सान सू की की पार्टी के विजय प्राप्त करने के तीन साल बाद लोकतंत्र के लिए एक और झटका है।

राजनयिकों और मानवाधिकार समूहों ने बड़े पैमाने पर दोनों पत्रकारों को मिली सजा की निंदा की है।

म्यांमार में संयुक्त राष्ट्र के रेजीडेंट व मानवतावादी समन्वयक कन्यूट ओट्सबी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने लगातार पत्रकारों को रिहा करने का आग्रह किया था और कहा कि शांति, न्याय और सबके मानवाधिकारों के लिए एक स्वतंत्र प्रेस आवश्यक है। हम अदालत के आज के फैसले से निराश हैं।

म्यांमार में ब्रिटिश राजदूत डैन चग ने कहा कि वह फैसले से ‘बेहद निराश’ हैं।

उन्होंने पत्रकारों से कहा, न्यायाधीश ने सबूतों की अनदेखी की है।

एमनेस्टी इंटरनेशनल, ह्यूमन राइट्स वॉच (एचआरडब्लू) और इंटरनेशनल फेडरेशन फॉर ह्यूमन राइट्स (एफआईडीएच) ने भी फैसले की निंदा की और पत्रकारों के खिलाफ आरोपों को वापस लेने के साथ ही उनकी तत्काल रिहाई की भी मांग की।

एमनेस्टी की ‘क्राइसिस रेस्पॉन्स’ की निदेशक तिराना हसन ने इस फैसले को राजनीति से प्रेरित बताते हुए चेतावनी दी कि इससे देश में प्रेस की स्वतंत्रता के लिए प्रतिकूल परिणाम होंगे।

Continue Reading

मुख्य समाचार

पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

Published

on

Loading

पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

Continue Reading

Trending