आध्यात्म
यह सब कार्य सगुण साकार भगवान् ही कर सकते हैं
सृष्टि पूर्व हरि देखत, सोचत मृदु मुसकात ।
सगुण रूप साकार नित, वेद विदित विख्यात ।। 55 ।।
भावार्थ- कुछ भोले अद्वैती कहते हैं कि ब्रह्म निर्गुण निर्विशेष निराकार ही है। सृष्टि के पश्चात् कुछ स्वार्थी लोगों ने सगुण साकार कल्पना की है। किंतु सृष्टि के पूर्व ही भगवान् ने देखा, सोचा तथा मुसकाराये। अतः सिद्ध हुआ कि सृष्टि के पूर्व ही वे सदा साकार रहे हैं।
व्याख्या- जो अद्वैती ऐसा कहते हैं कि सृष्टि के पश्चात् पंडितों ने ब्रह्म को सगुण साकार निरूपित किया है। उन से पूछो कि सृष्टि हुई कैसे? वेद स्वयं कह रहे हैं। यथा-
‘सो ऽकामयत्‘। (तैत्तिरीयो. 2-6)
स ईक्षत। (ऐतरेयो. 1-1-1, 1- 3-11)
’तदैक्षत’।(छान्दो. 6-2-3)
’स ईक्षांचक्रे’ आदि (प्रश्नो. 6-3)
’वीक्षितमस्य पंच भूतानि, (वेद)
‘स्मितमेतस्य चराचरम् आदि। (वेद)
अर्थात् सृष्टि के पूर्व भगवान् ने संकल्प किया। देख। मुसकराये। यह सब कार्य सगुण साकार भगवान् ही कर सकते हैं। निर्गुण ब्रह्म, बिना मन के कैसे सोचेगा? बिना आँख के कैसे देखेगा? बिना मुख कैसे मुसकरायेगा। जिस वेद वाणी से अद्वैती लोग ज्ञान प्राप्त करते हैं, वह भी साकार विग्रह के श्वास से ही प्रकट हुआ। यथा-
‘’निःश् वसितमस्य वेदाः‘। (वेद)
केनोपनिषत् में यक्ष कथा को तो शंकर ने भी माना है। और लिखा है कि –
‘ईश् वरेच्छया तृणमपि बज्रीभवति’।
सा नित्यमेव सर्वज्ञेश् वरेण सह सर्तते।
(शांकर भाष्य)
पुनः
‘द्वादुशाहवदुभयविधं बादरायणोऽतः। (ब्र. सू. 4-4-12)
व्रत एवं त्यौहार
CHHATH POOJA 2024 : जानें कब से शुरू होगी छठी मैया की पूजा, जानिए इसे क्यों मनाते हैं
मुंबई। त्रेतायुग में माता सीता और द्वापर युग में द्रौपदी ने भी रखा था छठ का व्रत रामायण की कहानी के अनुसार जब रावण का वध करके राम जी देवी सीता और लक्ष्मण जी के साथ अयोध्या वापस लौटे थे, तो माता सीता ने कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को व्रत रखकर कुल की सुख-शांति के लिए षष्ठी देवी और सूर्यदेव की आराधना की थी।
छठ पूजा क्यों मनाते है ?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्यदेव और छठी मैया की पूजा अर्चना और अर्घ्य देने से सुख-शांति, समृद्धि, संतान सुख और आरोग्य की प्राप्ति होती है। छठ पूजा को डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है। यह चार दिनों तक चलने वाला त्योहार है, जो मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। छठ पर्व के दौरान प्रकृति के विभिन्न तत्वों जैसे जल, सूर्य, चंद्रमा आदि की पूजा की जाती है. यह प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का एक तरीका है और हमें प्रकृति के संरक्षण का महत्व सिखाता है. छठ का व्रत बहुत कठिन होता है. व्रतधारी 36 घंटे तक बिना पानी पिए रहते हैं. साथ ही छठ पर्व सभी वर्गों और समुदायों के लोगों को एक साथ लाता है. इस पर्व के दौरान लोग मिलकर पूजा करते हैं, भोजन करते हैं और एक-दूसरे के साथ समय बिताते हैं. इससे सामाजिक एकता और भाईचारा बढ़ता है.
छठ पर्व के 4 दिन
छठ पूजा का पहला दिन, 5 नवंबर 2024- नहाय खाय.
छठ पूजा का दूसरा दिन, 6 नवंबर 2024- खरना.
छठ पूजा का तीसरा दिन, 7 नवंबर 2024-डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य.
छठ पूजा का चौथा दिन, 8 नवंबर 2024- उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण
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