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मुख्य समाचार

यूपी कैबिनेट का होगा छठा विस्तार

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लखनऊ। यूपी में 31 अक्टूबर को होने वाले कैबिनेट के विस्तार और फेरबदल में खाफी कुछ चौकाने वाला हो सकता है। इसमें जहाँ कुछ युवाओं को प्रमोशन मिल सकता है तो वहीं कुछ नए चेहरे भी मंत्रिमंडल में शामिल हो सकते हैं जिनमे महिलाओं को भी तरजीह दी जा सकती है। आइये हम आपको बताते हैं की किसको मिल सकता है प्रमोशन और कौन नए चेहरे हो सकते हैं शामिल।

इनको मिल सकता है प्रमोशन

अभिषेक मिश्रा :

व्यावसायिक शिक्षा और कौशल विकास में राज्यमंत्री हैं। अभिषेक मिश्रा सीएम अखिलेश यादव के बेहद करीबी सीएम के साथ हर विदेश दौरे पर होते हैं साथ महत्वपूर्ण मामलों में ली जाती है राय।

नितिन अग्रवाल :

स्वास्थ्य राज्य मंत्री हैं। मुलायम के करीबी पार्टी के महासचिव नरेश अग्रवाल के बेटे।

अरविंद सिंह गोप :

स्वतंत्र प्रभार मंत्री।अखिलेश और मुलायम के करीबी। साफ़ सुथरी छवि के नेता।

यासर शाह :

बिजली विभाग के राज्य मंत्री।  मुलायम के करीबी  वकार अहमद शाह के बेटे। हाल ही में पिता की तबियत खराब होने की वजह से हुई मौत से बड़ी दावेदारी।

हम आपको बताते हैं की किन चेहरों को मिल सकता है मौक़ा। इनमे ऐसे कई चेहरे हैं जो की युवा हैं।

इनको मिल सकता है मौका—–

आशु मालिक —

दादरी कांड में मीडिएटर की भूमिका निभाई और साथ ही सरकार की फजीहत होने से रोका था। लोकसभा चुनावों में पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद, पश्चिमी यूपी में संगठन को मजबूत करने की जिम्मेदारी बखूबी निभाई है।

अशोक बाजपेयी–

सपा से एमएलसी। ईमानदार चेहरों में शामिल हैं। कभी दलबदल नहीं किया है।  लोकसभा चुनावों में लखनऊ सीट से एक साल तैयारी के बावजूद मुलायम के कहने पर अपनी दावेदारी छोड़ी थी।

शादाब फातिमा—

शिवपाल यादव की बेहद करीबी। मुस्लिम महिला विधायकों होने के नाते मंत्रीमंडल में मिल सकता है स्थान।

एसआरएस यादव—

मुलायम सिंह यादव के परिवार के करीबी। संगठन मजबूत करने  में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की है।

फिलहाल सपा के राजनैतिक गलियारों में इनके नामों का बाज़ार गर्म चल रहा है। लेकिन सूत्रों की माने तो कई और भी ऐसे चेहरे हैं जो की पार्टी और यादव परिवार में खासी मजबूत पकड़ रखते हैं। हालांकि क्या होगा और कौन किस कुर्सी पर बैठेगा ये तो आने वाला कल ही तय करेगा।

 

नेशनल

ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप को मनमानी करने पर 103 रुपये के बदले देना पड़ेगा 35,453 रुपये, जानें क्या है पूरा मामला

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हैदराबाद। ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप स्विगी को ग्राहक के साथ मनमानी करना भारी पड़ गया। कंपनी की इस मनमानी पर एक कोर्ट ने स्विगी पर तगड़ा जुर्माना ठोक दिया। हैदराबाद के निवासी एम्माडी सुरेश बाबू की शिकायत पर उपभोक्ता आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है। बाबू ने आरोप लगाया था कि स्विगी ने उनके स्विगी वन मेंबरशिप के लाभों का उल्लंघन किया और डिलीवरी Food Delivery की दूरी को जानबूझकर बढ़ाकर उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूला

क्या है पूरा मामला ?

सुरेश बाबू ने 1 नवंबर, 2023 को स्विगी से खाना ऑर्डर किया था। सुरेश के लोकेशन और रेस्टॉरेंट की दूरी 9.7 किमी थी, जिसे स्विगी ने बढ़ाकर 14 किमी कर दिया था। दूरी में बढ़ोतरी की वजह से सुरेश को स्विगी का मेंबरशिप होने के बावजूद 103 रुपये का डिलीवरी चार्ज देना पड़ा। सुरेश ने आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि स्विगी वन मेंबरशिप के तहत कंपनी 10 किमी तक की रेंज में फ्री डिलीवरी करने का वादा किया था।कोर्ट ने बाबू द्वारा दिए गए गूगल मैप के स्क्रीनशॉट्स और बाकी सबूतों की समीक्षा की और पाया कि दूरी में काफी बढ़ोतरी की गई है।

कोर्ट ने स्विगी को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी पाया और कंपनी को आदेश दिया कि वे सुरेश बाबू को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 350.48 रुपये के खाने का रिफंड, डिलीवरी के 103 रुपये, मानसिक परेशानी और असुविधा के लिए 5000 रुपये, मुकदमे की लागत के लिए 5000 रुपए समेत कुल 35,453 रुपये का भुगतान करे।

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