मुख्य समाचार
यूपी सरकार ने लोकायुक्त मामले में खत्म की मुख्य न्यायाधीश की भूमिका
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार और राज्यपाल के बीच नए लोकायुक्त की नियुक्ति को लेकर टकराव बढ़ने के आसार और बढ़ गए हैं। अब इस मामले में नया मोड़ आ गया है। राज्य सरकार ने फैसला लिया है कि अब लोकायुक्त के चयन में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की कोई भूमिका ही नहीं होगी। लोकायुक्त के चयन के लिए मनमाफिक नियुक्ति का रास्ता साफ करने के लिए राज्य सरकार ने लोकायुक्त के चयन में उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की भूमिका पूरी तरह से समाप्त करने का फैसला किया है। विधानसभा में गुरुवार को लोकायुक्त चयन संशोधन विधेयक पारित कर दिया गया।
बदले हुए नियमों में लोकायुक्त का चयन अब मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में गठित चार सदस्यीय समिति करेगी। इसमें विधानसभा अध्यक्ष, विधानसभा में नेता विपक्ष तथा समिति के अध्यक्ष द्वारा विधानसभा के परामर्श से नामित सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश बतौर सदस्य शामिल होंगे। चयन समिति में शामिल सदस्यों में से कोई पद रिक्त होने पर भी लोकायुक्त की नियुक्ति को अवैध नहीं माना जाएगा। विपक्ष के जबरदस्त विरोध के बीच सरकार ने इन प्रावधानों के साथ गुरुवार को विधानमंडल के दोनों सदनों में उप्र लोकायुक्त तथा उप लोकायुक्त (संशोधन) विधेयक-2015 पारित करा लिया।
अब यह विधेयक मंजूरी के लिए राज्यपाल के पास भेजा जाएगा। सरकार के इस कदम से लोकायुक्त का मामला एक बार फिर राजभवन के पाले में पहुंच गया है। नए लोकायुक्त की नियुक्ति को लेकर सरकार और राजभवन के बीच जिस तरह टकराव की स्थिति पैदा हुई, उसे देखते हुए फिलहाल इस विधेयक को आसानी से मंजूरी मिलने के आसार नहीं हैं। उल्लेखनीय है कि इससे पहले राज्यपाल ने उप्र सरकार द्वारा चौथी बार भेजे गए लोकायुक्त का नाम खारिज करते हुए सरकार से नया नाम सुझाने को कहा था।
राज्यपाल ने पूर्व न्यायमूर्ति रवींद्र सिंह को लोकायुक्त बनाने के विचार को खारिज करते हुए सरकार से नया नाम मांगा था। अपने लिखित जवाब में राज्यपाल ने यह भी स्पष्ट किया है कि किन वजहों से रवींद्र सिंह की नियुक्ति लोकायुक्त पद पर नहीं हो सकती। राज्यपाल ने अपनी आपत्तियों में कहा है कि चयन समिति के सदस्यों के बीच विचार-विमर्श कर लोकायुक्त का नाम आम सहमति से तय करने की कानूनी औपचारिकता पूरी नहीं की गई। नियमत: मुख्यमंत्री, हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और नेता प्रतिपक्ष को बैठक कर नाम तय करना चाहिए। इसके बाद ही नियुक्ति के लिए सिफारिश भेजी जानी चाहिए।
नेशनल
बाबा सिद्दीकी हत्याकांड: मुख्य आरोपी शिव कुमार गौतम उर्फ शिवा बहराइच से गिरफ्तार, नेपाल भागने की फिराक में था
लखनऊ। एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी को गोली मारने वाला मुख्य आरोपी शिव कुमार गौतम उर्फ शिवा पुलिस की गिरफ्त में हैं। उसे मुंबई क्राइम ब्रांच ने यूपी एसटीएफ की मदद से बहराइच जिले के नानपारा से गिरफ्तार किया है जहां आरोपी अपना नाम बदलकर छिपा हुआ था।
पुलिस के मुताबिक, शिव कुमार नेपाल भागने की फिराक में था, लेकिन मुंबई और यूपी पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में उसे पकड़ लिया गया। इस हत्या को अंजाम देने वाले अन्य दो आरोपियों, गुरनैल सिंह और धर्मराज कश्यप को पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया था।
पुलिस के मुताबिक, शिवा कुमार ने पूछताछ में बताया कि इस हत्या का ऑर्डर उसे लॉरेंस बिश्नोई के भाई अनमोल बिश्नोई ने दिया था। शिवा कुमार ने बाबा सिद्दीकी का मर्डर करने से पहले मध्य प्रदेश में बिश्नोई गैंग के कुछ गुर्गों से भी मुलाकात की थी। इसके लिए खास तौर पर वह मध्यप्रदेश के ओंकारेश्वर गया था। शिवा मोबाइल फोन का भी बेहद कम इस्तेमाल कर रहा था।
गतिविधियों को ट्रैक किया गया। इन लोगों में शिव कुमार के परिवार के सदस्य और करीबी सहयोगी शामिल थे। इसके बाद चार प्रमुख संदिग्धों की पहचान की गई। इनकी मदद से शिव कुमार का ठिकाना पता चला। रविवार को पुलिस ने जाल बिछाकर शिव कुमार को गिरफ्तार कर लिया।
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