ऑफ़बीट
ये हैं 9वीं क्लास की पैडगर्ल्स, केले के छिलके से बनाया सैनिटरी पैड
नई दिल्ली। महिलाओं के द्वारा माहवारी में इस्तेमाल किये जाने वाले ‘सैनिटरी पैड’ पर आधारित फिल्म ‘पैडमैन’ इनदिनों काफी चर्चाओं का विषय बनी हुई है। बता दें कि, ये फिल्म पैडमैन अरुणाचलम मुरुगननाथम नाम के एक व्यक्ति पर आधारित है। मुरुगननाथम सस्ते दामों में पैड बनाने वाले एक मात्र व्यक्ति है। लेकिन वहीँ अब दो लडकियां ऐसी भी सामने आई है। जिन्होंने आर्गेनिक तरीके से सैनिटरी पैड बनाए है। जिसकी वजह से अब इन्हें पैडगर्ल्स का नाम दे दिया गया है।
मेहसाणा जिले की रहने वाली ये दोनों लड़कियां राजवी और ध्रुवी पटेल है। इनदोनों ने ही ऐसे पैड बनाये है। जो स्वास्थ और पर्यावरण दोनों के लिए ही हानिकारक नहीं है। राजवी और ध्रुवी ने केले के छिलके से पैड बनाए है। क्यों चौंक गए न आप! लेकिन ये बिलकुल सच है।
राजवी और ध्रुवी नौवीं कक्षा की छात्र है। इन दोनों ने पहले इस बारे में रिसर्च किया। फिर इन्होने केले के छिलके से धागे बनाने वाली एक कंपनी से धागे मंगवाए। उसके बाद उन धागो से एक पेपर बनाकर तैयार किया। उस पेपर में फिर कॉटन रखी जिसके बाद उन्होंने ये सैनिटरी नैपकिन का निर्माण किया. उन्होंने बताया कि उन्होंने ये पैड केले के छिलके से बनाया है। सभी कंपनी सैनिटरी नैपकिन प्लास्टिक से बनाती है। लेकिन प्लास्टिक डिकम्पोस नहीं हो पाता है इसलिए इन्होने केले के छिलके से पैड बनाया है जो पूरी तरह से इको-फ्रेंडली तो है ही साथ ही ये डिकम्पोज़ भी हो जाएगा।
राजवी और ध्रुवी के इस प्रोजेक्ट को सभी ने खूब सराहा और जिसकी बदौलत आज ये दोनों पैडगर्ल्स के नाम से मशहूर हो गई।
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बिहार का ‘उसैन बोल्ट’, 100 किलोमीटर तक लगातार दौड़ने वाला यह लड़का कौन
चंपारण। बिहार का टार्जन आजकल खूब फेमस हो रहा है. बिहार के पश्चिम चंपारण के रहने वाले राजा यादव को लोगों ने बिहार टार्जन कहना शुरू कर दिया है. कारण है उनका लुक और बॉडी. 30 मार्च 2003 को बिहार के बगहा प्रखंड के पाकड़ गांव में जन्मे राज़ा यादव देश को ओलंपिक में गोल्ड मेडल दिलाना चाहते हैं.
लिहाजा दिन-रात एकक़र फिजिकल फिटनेस के साथ-साथ रेसलिंग में जुटे हैं. राज़ा को कुश्ती विरासत में मिली है. दादा जगन्नाथ यादव पहलवान और पिता लालबाबू यादव से प्रेरित होकर राज़ा यादव ने सेना में भर्ती होने की कोशिश की. सफलता नहीं मिली तो अब इलाके के युवाओं के लिए फिटनेस आइकॉन बन गए हैं.
महज 22 साल की उम्र में राजा यादव ‘उसैन बोल्ट’ बन गए. संसाधनों की कमी राजा की राह में रोड़ा बन रहा है. राजा ने एनडीटीवी से कहा कि अगर उन्हें मौका और उचित प्रशिक्षण मिले तो वे पहलवानी में देश का भी प्रतिनिधित्व कर सकते हैं. राजा ओलंपिक में गोल्ड मेडल लाने के लिए दिन रात मैदान में पसीना बहा रहे हैं. साथ ही अन्य युवाओं को भी पहलवानी के लिए प्रेरित कर रहे हैं.
’10 साल से मेहनत कर रहा हूं. सरकार ध्यान दे’
राजा यादव ने कहा, “मेरा जो टारगेट है ओलंपिक में 100 मीटर का और मेरी जो काबिलियत है उसे परखा जाए. इसके लिए मैं 10 सालों से मेहनत करते आ रहा हूं तो सरकार को भी ध्यान देना चाहिए. मेरे जैसे सैकड़ों लड़के गांव में पड़े हुए हैं. उन लोगों के लिए भी मांग रहा हूं कि उन्हें आगे बढ़ाने के लिए सुविधा मिले तो मेरी तरह और युवक उभर कर आएंगे.”
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