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योग का लक्ष्य आत्म साक्षात्कार : निरंजनानंद सरस्वती (साक्षात्कार)
पटना, 26 जनवरी (आईएएनएस)| विश्व प्रसिद्ध बिहार योग विद्यालय के परमाचार्य और पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित परमहंस स्वामी निरंजनानंद का कहना है कि योग एक विज्ञान है, जीवन जीने की पद्धति है, इसे सिर्फ एक शारीरिक व्यायाम के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि योग का लक्ष्य आत्म साक्षात्कार है।
विश्वस्तर पर योग के प्रचार-प्रसार से जुड़े स्वामी निरंजनानंद ने योग के विभिन्न पहलुओं की व्याख्या करते हुए कहा कि योग एक विज्ञान है। उन्होंने कहा कि आज दुनिया में योग की जो पद्धतियां हैं, उसमें सिर्फ कुछ एक पहलू को लेकर ही विभिन्न योग के संस्थान उसकी शिक्षा दे रहे हैं।
पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित निरंजनानंद ने आईएएनएस के साथ विशेष बातचीत में कहा कि वर्ष 2018 योग विद्या का निर्णायक वर्ष है। इस लिहाज से कई कार्यक्रम तय किए गए हैं, जिससे समाज की चेतना में परिवर्तन आ सके।
उन्होंने कहा, आसन-प्राणायाम योग के छोटे अंग हैं। योगशास्त्र, दर्शन, धर्म, साधु-संत सभी कहते हैं कि योग का लक्ष्य आत्म साक्षात्कार है।
बकौल निरंजनानंद, बिहार की धरती पर भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त किया, लेकिन लोगों को बौद्धित्व की शिक्षा नहीं दी। उन्होंने अहिंसा का संदेश दिया। इसी तरह जैन र्तीथकर ने भी त्यागमय जीवन की अपेक्षा अच्छे आचरण का ही संदेश दिया। इसी तरह योग का लक्ष्य और उसकी पूर्णाहुति सदाचारवृत्ति में है।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2013 में आयोजित विश्व योग सम्मेलन के दौरान ही यह स्पष्ट कर दिया गया था कि योग के प्रचार का समय खत्म हो गया है। उसके बाद शीघ्र ही योग को विश्व स्तर पर मान्यता मिली। उसी समय से भावी कार्यक्रम तय किए गए थे। इस कार्यक्रम के तहत इस साल जनवरी से लेकर जुलाई के बीच देश के 350 जगहों पर योग शिविर संचालित किए जा रहे हैं। इसकी शुरुआत महाराष्ट्र के पुणे से हो गई है।
योग विद्यालय की योजनाओं के विषय में पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि बिहार योग विद्यालय मुंगेर में जल्द ही वृद्धों के लिए ‘ओल्ड एज होम सेंटर’ खोलेगा, जिसमें हृदय रोग के साथ-साथ अन्य रोगों के आधुनिकतम चिकित्सा के साधन भी सुलभ होंगे। इसके लिए योग विद्यालय जमीन की तलाश कर रही है।
उन्होंने बताया कि अक्टूबर महीने में योग शिक्षकों की संगोष्ठी का आयोजन किया जाएगा, जिसमें वर्तमान योग की शिक्षा के विषय में उन्हें जानकारी दी जाएगी। वह कहते हैं कि जल्द ही बच्चों के लिए एक ‘वोकेशनल ट्रेनिंग प्रोग्राम’ करने की भी योजना बनाई गई है।
14 फरवरी, 1960 को मध्य प्रदेश (अब छत्तीसगढ़ राज्य) के राजनंद गांव में जन्मे निरंजनानंद सरस्वती दीक्षा और आध्यात्मिक के विषय में कहते हैं कि आध्यात्मिक जीवन और दीक्षा की मूल शर्त प्रतिबद्घता और संकल्प शक्ति है। इसके बिना इस मार्ग पर चलना मुमकिन नहीं है।
स्वामी निरंजनानंद सरस्वती कहना है कि संकल्प के बिना कोई कार्य पूर्ण नहीं किया जा सकता। उनका कहना है कि लघुकालीन संकल्प कम समय के लिए होते हैं, लेकिन दीर्घकालीन संकल्प लंबे समय के लिए होते हैं और दीर्घकालीन संकल्प के माध्यम से बहुत बड़ी उपलब्धि हासिल की जा सकती है।
विश्व के अधिकांश भाषा के जानकार स्वामी निरंजनानंद ने भारतीय परंपरा के विषय में पूछने पर कहते हैं कि भारतीय परंपरा में श्रद्धा, विश्वास को जिंदा रखना ही जीवन की श्रेष्ठता है। विश्वास और आस्था यदि है तो ईश्वर अश्य होते हुए भी श्य है और ईश्वर सत्य है। निराशा में भगवान की भक्ति नहीं होती।
उन्होंने स्पष्ट कहा, शराब की पार्टी से तो बेहतर है कि हम अध्यात्म का मार्ग अपना कर ईश्वर के शरण में जाएं।
उन्होंने मुंगेर के बिहार स्कूल आफ योगा की चर्चा करते हुए कहा कि यह विद्यालय योग के व्यावहारिक पहलू का प्रचार करता आया है और इसी की शिक्षा देता है।
स्वामी निरंजनानंद सरस्वती योग विद्यालय के संस्थापक स्वामी सत्यानंद सरस्वती के शिष्य और उत्तराधिकारी हैं। स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने सत्यानंद योग का प्रवर्तन किया था। स्वामी सत्यानंद ने वर्ष 1988 में संपूर्ण विश्व के सत्यानंद योग से संबंधित कार्यो के समन्वय का कार्य स्वामी निरंजनानंद को सौंप दिया था। स्वामी निरंजनानंद को उनके शिष्य उन्हें आजन्म योगी मानते हैं।
स्वामी निरंजनानंद सरस्वती कभी किसी स्कूल में जाकर शिक्षा ग्रहण नहीं की। उन्हें चार वर्ष की आयु में सत्यानंद सरस्वती मुंगेर आश्रम ले आए थे और उन्हें योग की दीक्षा दी थी।
नेशनल
पीएम मोदी पर लिखी किताब के प्रचार के लिए स्मृति ईरानी चार देशों की यात्रा पर
नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी एक नवीनतम पुस्तक ‘मोडायलॉग – कन्वर्सेशन्स फॉर ए विकसित भारत’ के प्रचार के लिए चार देशों की यात्रा पर रवाना हो गई हैं। यह दौरा 20 नवंबर को शुरू हुआ और इसका उद्देश्य ईरानी को मध्य पूर्व, ओमान और ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों से जोड़ना है।
स्मृति ईरानी ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि,
एक बार फिर से आगे बढ़ते हुए, 4 देशों की रोमांचक पुस्तक यात्रा पर निकल पड़े हैं! 🇮🇳 जीवंत भारतीय प्रवासियों से जुड़ने, भारत की अपार संभावनाओं का जश्न मनाने और सार्थक बातचीत में शामिल होने के लिए उत्सुक हूँ। यह यात्रा सिर्फ़ एक किताब के बारे में नहीं है; यह कहानी कहने, विरासत और आकांक्षाओं के बारे में है जो हमें एकजुट करती हैं। बने रहिए क्योंकि मैं आप सभी के साथ इस अविश्वसनीय साहसिक यात्रा की झलकियाँ साझा करता हूँ
कुवैत, दुबई, ओमान और ब्रिटेन जाएंगी स्मृति ईरानी
डॉ. अश्विन फर्नांडिस द्वारा लिखित यह पुस्तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासन दर्शन पर प्रकाश डालती है तथा विकसित भारत के लिए उनके दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करती है। कार्यक्रम के अनुसार ईरानी अपनी यात्रा के पहले चरण में कुवैत, दुबई, फिर ओमान और अंत में ब्रिटेन जाएंगी।
On the move again, embarking on an exciting 4 nation book tour! 🇮🇳Looking forward to connecting with the vibrant Indian diaspora, celebrating India’s immense potential, and engaging in meaningful conversations. This journey is not just about a book; it’s about storytelling,… pic.twitter.com/dovNotUtOf
— Smriti Z Irani (@smritiirani) November 20, 2024
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