Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

प्रादेशिक

योग की स्वीकार्यता से आयुर्वेद जगत में जगी आस

Published

on

Loading

भोपाल। योग को दुनिया में मिली मान्यता के बाद आयुर्वेद से जुड़े लोगों में उम्मीद की आस जाग गई है। उन्हें लगने लगा है कि भले ही देर से ही सही, लेकिन दुनिया के चिकित्सा जगत को आयुर्वेद का लोहा मानना पड़ेगा, क्योंकि यह चिकित्सा की ऐसी पद्धति है जो किसी तरह का नुकसान पहुंचाए बिना जीवन को सुखमय बना देती है।

आयुर्वेद भारत की पुरातन चिकित्सा पद्धति है। भगवान धनवंतरी को इसका जनक माना गया है। वर्तमान में देश में आयुर्वेद के अलावा एलोपैथी, होम्योपैथ और यूनानी चिकित्सा पद्धति के जरिए इलाज किया जाता है। एलोपैथी के बढ़ते प्रभाव के बीच अन्य तीन पद्धतियों का जोर कम हो गया है, लेकिन इन पद्धतियों से इलाज कराने वालों का भरोसा अब भी कायम है। यही कारण है कि दूरस्थ इलाकों में डॉक्टर भले न मिले मगर वैद्यराज के अलावा घरेलू नुस्खों (प्राकृतिक अवयवों) से इलाज होता जरूर नजर आ जाता है।

आयुर्वेदिक दवाओं की निर्माता कंपनी ‘दीनदयाल’ के प्रमुख आनंद मोहन छापरवाल ने आईएएनएस से चर्चा करते हुए कहा कि आयुर्वेद सिर्फ चिकित्सा व्यवस्था नहीं है, बल्कि शास्त्र है, जो इंसान को स्वस्थ और सुखमय जीवन जीने का तरीका बताता है। इस चिकित्सा पद्धति की खूबी यह है कि यह पूरी तरह प्राकृतिक अवयवों पर निर्भर है, जो कृत्रिम नहीं है। साथ ही यह शरीर को किसी तरह का नुकसान भी नहीं पहुंचाता।

उन्होंने आगे कहा कि दुनिया के दूसरे देशों ने हमेशा इस चिकित्सा पद्धति को घटिया करार देकर इस पर कब्जा करने की कोशिश की है, अब भी यह कोशिशें जारी हैं, मगर अब योग को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्यता मिलने पर आयुर्वेद को भी पूरी दुनिया में अपना प्रभाव दिखाने का अवसर मिलने की संभावना बढ़ गई है, क्योंकि योग आयुर्वेद का ही एक हिस्सा है। जब दुनिया ने योग को स्वीकार लिया है तो एक दिन उसे आयुर्वेद को भी स्वीकारना होगा, क्योंकि सुखमय और स्वस्थ्य जीवन का राज इसी में छुपा है।

अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रमुख और ब्रह्मवर्चस शोध संस्थान शांतिकुज हरिद्वार के निदेशक डॉ. प्रणव पंड्या ने कहा है कि ‘स्वास्थ्य को स्थाई सुखमय बनाने में आयुर्वेद का महत्वपूर्ण योगदान है। अन्य चिकित्सा पद्धतियों से जहां अस्थाई लाभ होता है, वहीं आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति स्थायी लाभ देती है, यह ऋषियों की निरापद परंपरा है।’

उन्होंने आगे कहा कि ‘आयुर्वेदिक औषधियां वनौषधियां है, जिनके नियमित सेवन से दीर्घ स्वास्थ्य और चिर यौवन की प्राप्ति होती है, स्थायी स्वास्थ्य आकांक्षाओं को पूरा करने में भी आयुर्वेद ही सहायक है।’

भोपाल के पंडित खुशीलाल शर्मा स्वशासी आयुर्वेदिक महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. उमेश शुक्ला ने आईएएनएस से चर्चा करते हुए कहा कि ‘आयुर्वेद में हर बीमारी का न केवल इलाज है, बल्कि उसके किसी तरह के नकारात्मक प्रभाव (साइड इफैक्ट) भी नहीं है, वहीं एलोपैथी में एक भी दवा ऐसी नहीं है जो किसी भी प्रकार का साइड इफैक्ट न करती हो।’

कई देशों का भ्रमण कर चुके डॉ. शुक्ला का कहना है कि ‘चीनी चिकित्सा पद्धति और आयुर्वेद में ज्यादा अंतर नहीं है, मगर दुनिया के बाजार के बड़े हिस्से पर चीनी पैथी की दवाओं का कब्जा है, वहीं आयुर्वेदिक दवाओं का हिस्सा पांच प्रतिशत से ज्यादा नहीं है। उनका दावा है कि दुनिया के कई देशों में आयुर्वेद की मांग भी है, योग को दुनिया के मंच पर मान्यता मिलने से आयुर्वेद का विकास व विस्तार रुकने वाला नहीं है।’

आयुर्वेद के जनक भगवान धनवंतरी की जयंती पर आयुर्वेद जगत से जुड़े लोग यह मान रहे है कि आने वाला समय आयुर्वेद का है, क्योंकि एक तरफ देश की वर्तमान सरकार इस पैथी को बढ़ावा दे रही है तो दूसरी ओर दुनिया में बढ़ते तनाव और बीमारियों का स्थायी निदान चिकित्सा की इसी पैथी में छुपा है।

 

Continue Reading

उत्तर प्रदेश

यूपी उपचुनाव: समाजवादी पार्टी ने जारी की अपने उम्मीदवारों की लिस्ट

Published

on

Loading

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए समाजवादी पार्टी ने अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी है। समाजवादी पार्टी ने अखिलेश यादव की करहल सीट से उनके भतीजे तेज प्रताप यादव को टिकट दिया है। तेज प्रताप यादव बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव और राबड़ी देवी के दामाद हैं। वहीं अयोध्या के सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को मिल्कीपुर विभानसभा की सीट दी गई है।

देखे इस लिस्ट को

 

 

Continue Reading

Trending