Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

मुख्य समाचार

राजनीति में धर्मनिरपेक्षता शब्द का सर्वाधिक दुरुपयोग : राजनाथ

Published

on

Loading

नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को कहा कि ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द का राजनीति में सबसे अधिक गलत इस्तेमाल होता है और अगर इसकी जरूरत होती तो संविधान निर्माता संविधान में ‘समाजवादी व धर्मनिरपेक्ष’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल जरूर करते। लोकसभा में ‘भारतीय संविधान के प्रति कटिबद्धता’ पर बहस की शुरुआत करते हुए सिंह ने अपने भाषण में कांग्रेस पर चुटकी ली और ‘असहिष्णुता’ पर टिप्पणी को लेकर आमिर खान पर निशाना साधा।

उन्होंने कहा कि बी.आर.अंबेडकर को संविधान का निर्माता समझा गया है, जिन्हें सामाजिक विषमताओं को लेकर अन्याय व उपेक्षाओं का समना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखा और मुद्दे को सच्चाई पूर्वक सामने रखा। राजनाथ ने कहा, “उन्होंने (अंबेडकर) कभी नहीं कहा कि उन्हें भारत में कितनी उपेक्षाएं मिली। उन्होंने कहा कि वह भारत को मजबूत करने के लिए भारत में ही रहेंगे। उन्होंने विदेश में बसने की बात कभी नहीं की।”

राजनाथ की टिप्पणी को लेकर विपक्षी दलों में बेचैनी दिखी, लेकिन अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि इसमें कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है। उन्होंने कहा कि अंबेडकर देश को एक सूत्र में पिरोने वाले व्यक्ति थे, जबकि पहले केंद्रीय गृह मंत्री वल्लभभाई पटेल देश को एकीकृत करने वाले व्यक्ति थे। उन्होंने कहा कि अंबेडकर ने महसूस किया कि कमजोर तबकों के लिए आरक्षण ‘सामाजिक-राजनीतिक आवश्यकता’ है और उन्होंने यह स्पष्ट किया था कि नीति को किसी तरह से कमजोर नहीं किया जाएगा। राजनाथ ने कहा कि शब्द ‘समाजवादी व पंथनिरपेक्षता’ को संविधान में 42वें संविधान संशोधन के तहत जोड़ा गया था। यदि संविधान निर्माताओं को इसकी जरूरत होती तो वे संविधान की प्रस्तावना में ही इसे शामिल करते।

कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने राजनाथ का विरोध करते हुए कहा कि अंबेडकर इन शब्दों को प्रस्तावना में ही शामिल करना चाहते थे, लेकिन उस वक्त के माहौल के कारण वे ऐसा नहीं कर सके थे। राजनाथ ने हालांकि कहा कि अंबेडकर को लगा होगा कि समाजवाद भारतीयों के स्वभाव में है और इसीलिए इसे अलग से पारिभाषित करने की जरूरत नहीं है।

राजनाथ ने कहा, “वर्तमान राजनीति में अगर किसी शब्द का सबसे ज्यादा गलत इस्तेमाल हो रहा है, तो वह धर्मनिरपेक्षता है।” मंत्री ने कहा कि प्रारंभ में सेकुलरिज्म का अनुवाद धर्म निरपेक्षता नहीं था, बल्कि पंथ निरपेक्षता था।

मंत्री ने कहा कि कुछ शब्दों का गलत इस्तेमाल देश में नहीं करने दिया जाएगा, जिससे देश में एक अलग तरह का माहौल बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अंबेडकर को केवल एक दलित नेता के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए। जब यह चर्चा चल रही थी, उस वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सदन में मौजूद थे। यह चर्चा अंबेडकर की 125वीं जयंती के मौके पर की गई, जिन्हें संविधान निर्माता माना जाता है। इस दिन को संविधान दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।

प्रादेशिक

IPS अधिकारी संजय वर्मा बने महाराष्ट्र के नए डीजीपी, रश्मि शुक्ला के ट्रांसफर के बाद मिली जिम्मेदारी

Published

on

By

Loading

महाराष्ट्र। महाराष्ट्र के नए डीजीपी का कार्यभार IPS संजय वर्मा को सौंपा गया है। आईपीएस संजय वर्मा को केंद्रीय चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के नए पुलिस महानिदेशक के रूप में नियुक्त किया है। कुछ ही दिनों में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव है। उससे पहले चुनाव आयोग ने राज्य कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले की शिकायत मिलने के बाद डीजीपी रश्मि शुक्ला के तबादले का आदेश दिया था।

कौन हैं IPS संजय वर्मा?

IPS संजय वर्मा 1990 बैच के पुलिस अधिकारी हैं। वह महाराष्ट्र में वर्तमान में कानून और तकनीकी के डीजी के रूप में कार्यरत रहे। वह अप्रैल 2028 में सेवानिवृत्त पुलिस सेवा से रिटायर होंगे। दरअसल, डीजीपी रश्मि शुक्ला को लेकर सियासी दलों के बीच पिछले कुछ समय से माहौल गर्म था। कांग्रेस के बाद उद्धव गुट की शिवसेना ने भी चुनाव आयोग को पत्र लिखकर उन्हें हटाने की मांग की थी।

कांग्रेस ने रश्मि शुक्ला की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग से उन्हें महानिदेशक पद से हटाने की मांग की थी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने उन पर आरोप लगाया था कि वह बीजेपी के आदेश पर सरकार के लिए काम कर रही हैं।

Continue Reading

Trending