Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

मुख्य समाचार

राम जेठमलानी बोले- केजरीवाल ‘गरीब’, मुफ्त में लड़ूंगा केस

Published

on

Loading

नई दिल्ली। वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी ने मंगलवार को कहा कि केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली द्वारा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ दायर मानहानि का मुकदमा लडऩे के लिए अगर केजरीवाल उन्हें फीस नहीं दे सकते, तो वह बिना फीस के ही उनका मुकदमा लड़ेंगे। जेठमलानी ने यह बात तब कही, जब भारतीय जनता पार्टी ने सरकारी खजाने से वकील को (जेठमलानी को) 3.4 करोड़ रुपये देने के दिल्ली सरकार के फैसले की निंदा की।

देर शाम केजरीवाल ने पूर्वी दिल्ली के सीमापुरी में एक चुनाव रैली में इस मुद्दे पर कहा कि उन्होंने जेटली पर दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) में हुए भ्रष्टाचार को लेकर निशाना साधा था, तब जेटली इसके अध्यक्ष थे। उन्होंने कहा, “यह भ्रष्टाचार का मामला है..क्या जेठमलानी को मुझे अपनी जेब से फीस देनी चाहिए? लोग बताएं, फीस सरकार भरे या केजरीवाल?” जवाब में लोगों ने अपने हाथ उठाए और ‘सरकार’ कहा।

जेठमलानी ने हालांकि घोषणा की है कि वह केजरीवाल से फीस नहीं लेंगे, लेकिन मुख्यमंत्री के सहयोगियों तथा आम आदमी पार्टी (आप) ने वकील का फीस भरने के लिए सरकारी कोष के इस्तेमाल के फैसले को न्यायोचित ठहराया है। जेठमलानी ने कहा, “मैं केवल अमीरों से फीस लेता हूं, लेकिन गरीबों के लिए मुफ्त में काम करता हूं। अगर सरकार (दिल्ली) फीस अदा नहीं करती है या वह (केजरीवाल) पैसे नहीं दे सकते हैं, तो मैं मुफ्त में मुकदमा लड़ूंगा। मैं उन्हें अपना एक गरीब मुवक्किल मानूंगा।”

उन्होंने जेटली पर आरोप लगाया कि उन्हीं ने इन सब बातों को भडक़ाया है, क्योंकि वह उनकी जिरह से भयभीत हैं। जेठमलानी ने कहा कि वह जेटली से दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ में उनके कार्यकाल के दौरान हुए कथित घोटालों की जिरह को लेकर उत्सुक हैं। इससे पहले भाजपा ने यह सवाल किया था कि केजरीवाल के मुकदमे के लिए सरकारी निधि का इस्तेमाल क्यों होना चाहिए।

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने यहां कहा, “मानहानि का मुकदमा केजरीवाल का व्यक्तिगत मामला है, न कि दिल्ली के मुख्यमंत्री के खिलाफ। इसलिए, केजरीवाल को यह मामला अपने पैसों से लडऩा चाहिए न कि सरकारी धन से।” केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने साल 2015 में केजरीवाल के खिलाफ मानहानि का एक मुकदमा दर्ज कराया था। केजरीवाल ने जेटली पर आरोप लगाया था कि दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) का अध्यक्ष रहने के दौरान उन्होंने अनियमितताएं की थीं। इसके बाद जेटली ने यह मामला दर्ज कराया था।

जावड़ेकर ने कहा, “लोगों की मानहानि करना केजरीवाल की आदत है। यह उनका ‘कर्म’ है। उनके ‘कर्मो’ के लिए लोगों का धन क्यों खर्च हो?” उन्होंने कहा, “आज वह सरकारी खजाने से वकील की फीस अदा कर रहे हैं। कल अगर अदालत उन्हें दोषी ठहरा देगा, तो क्या वह सरकारी खजाने से खर्च हुई सारी धनराशि चुका देंगे?”

भाजपा नेता ने कहा, “जहां तक मेरी जानकारी है, उनके खिलाफ सात मामले दर्ज हैं। इस हिसाब से इन मुकदमों पर 100 करोड़ रुपये खर्च होंगे। क्या वह दिल्ली के लोगों के 100 करोड़ रुपये खर्च करेंगे?” इसे सरकारी धन की ‘डकैती’ करार देते हुए जावड़ेकर ने कहा कि केजरीवाल की यह करनी ‘अवैध तथा अनैतिक’ है और इसे स्वीकार नहीं किया जाएगा।

भाजपा का यह हमला एक टेलीविजन चैनल की उस रिपोर्ट के बाद आया है, जिसमें कहा गया है कि जेटली द्वारा दायर मानहानि का मुकदमा लडऩे के लिए केजरीवाल के वकील राम जेठमलानी ने उनसे 3.4 करोड़ रुपये की मांग की है। वहीं उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि केजरीवाल के खिलाफ जेटली का मामला सार्वजनिक है न कि निजी। उन्होंने कहा, “डीडीसीए में भ्रष्टाचार के आरोप हैं। हमारी सरकार ने इस मामले की जांच तथा क्रिकेट को भ्रष्टाचार से मुक्त कराने के लिए एक कमेटी का गठन किया।”

सिसोदिया ने कहा, “मानहानि का मुकदमा वे दायर करते हैं, जिन्हें जांच में पकड़े जाने का डर होता है। यह सार्वजनिक मसला है न कि केजरीवाल के निजी संपत्ति से जुड़ा मामला।” उन्होंने कहा, “इस खर्च को सरकार द्वारा उठाना सही है।” सिसोदिया ने यह भी आरोप लगाया कि गड़बड़ी वाली इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए यह मुद्दा उठाया गया। आप नेता आशीष खेतान ने भी दिल्ली सरकार के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि केजरीवाल, जेटली की तरह ‘धनवान’ नहीं, बल्कि ‘गरीब’ हैं। उन्होंने जेटली पर बड़े घोटालों में शामिल लोगों को बचाकर पैसे बनाने का आरोप लगाया।

मुख्य समाचार

बदल गई उपचुनावों की तारीख! यूपी, केरल और पंजाब में बदलाव पर ये बोला चुनाव आयोग

Published

on

Loading

नई दिल्ली। विभिन्न उत्सवों के कारण केरल, पंजाब और उत्तर प्रदेश में विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव 13 नवंबर की जगह 20 नवंबर को होंगे। कांग्रेस, भाजपा, बसपा, रालोद और अन्य राष्ट्रीय और राज्य दलों के अनुरोध पर चुनाव आयोग ने ये फैसला लिया है।

विभिन्न उत्सवों की वजह से कम मतदान की किसी भी संभावना को खारिज करने के लिए, चुनाव आयोग ने ये फैसला लिया है। ऐसे में ये साफ है कि अब यूपी, पंजाब और केरल में उपचुनाव 13 नवंबर की जगह 20 नवंबर को होंगे।

चुनाव आयोग के मुताबिक राष्ट्रीय और राज्य स्तर की पार्टियों की ओर से उनसे मांग की गई थी कि 13 नवंबर को होने वाले विधानसभा उपचुनाव की तारीख में बदलाव किया जाए, क्योंकि उस दिन धार्मिक, सामाजिक कार्यक्रम हैं। जिसके चलते चुनाव संपन्न करवाने में दिक्कत आएगी और उसका असर मतदान प्रतिशत पर भी पड़ेगा।

Continue Reading

Trending