नेशनल
राहुल गांधी ने मोदी से पूछा पांचवा सवाल, कहा- गुजरात में महिलाओं को क्यों नहीं मिलता न्याय
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने गुजरात विधानसभा चुनाव के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से रविवार को अपना पांचवां सवाल पूछते हुए राज्य में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध, उनकी सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं शिक्षा की स्थिति पर चिंता जताई। उन्होंने मोदी पर गुजरात की महिलाओं से झूठे वादे करने का आरोप लगाया। गुजरात में 22 सालों से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सत्ता में है और यहां महिलाओं के खिलाफ अपराधों में सजा की दर सिर्फ तीन फीसदी है।
राहुल ने विभिन्न केंद्रीय एजेंसियों और संस्थानों के रिकॉर्ड का हवाला देते हुए कहा कि गुजरात मानव तस्करी में तीसरे, महिलाओं पर एसिड हमलों में पांचवें और नाबालिग बच्चियों सें बलात्कार के मामले में 10वें स्थान पर है।
उन्होंने मोदी से पूछा कि राज्य में महिलाओं की साक्षरता दर 2001 में 70 प्रतिशत से घटकर 2011 में 57 प्रतिशत क्यों रह गई। मोदी अक्टूबर 2001 से मई 2014 तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे।
राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा, “महिलाओं को न्याय क्यों नहीं मिलता। महिलाओं के खिलाफ आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने वाले अभियुक्तों में से केवल 3 प्रतिशत को ही दोषी ठहराया जाता हैं।”
राहुल गांधी ने कहा, “गुजरात के अहमदाबाद और सूरत जैसे दो सबसे महत्वपूर्ण शहर देश में महिलाओं के खिलाफ हाने वाले अपराध के मामले में शीर्ष 10 शहरों में शुमार हैं।”
उन्होंने कहा, “गुजरात बालिका शिक्षा में 20वें स्थान पर क्यों हैं।”
राहुल गांधी ने नौ दिसंबर तक राज्य में विधानसभा होने तक हर रोज मोदी से एक सवाल पूछने के वादे के तहत सवाल पूछा।
उन्होंने प्रधानमंत्री से राज्य में महिलाओं के स्वास्थ्य के मुद्दों के बारे में भी पूछा। उन्होंने कहा कि राज्य में मातृ मृत्यु दर बढ़कर 85 हो गई है, जिससे गुजरात एमएमआर में कमी वाले 15 राज्यों में 11 स्थान पर पहुंच गया है।
राहुल गांधी ने ट्वीट किया, “राज्य में नवजात बच्चों की 67 फीसदी माताएं सरकारी एम्बुलेंस से निशुल्क परिवहन की सुविधा से वंचित क्यों हैं?”
राहुल गांधी ने पूछा, “राज्य की 55 प्रतिशत महिलाओं में एनीमिया से ग्रसित क्यों हैं?”
नेशनल
ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप को मनमानी करने पर 103 के बदले देने पड़ेंगे 35,453 रु, जानें क्या है पूरा मामला
हैदराबाद। ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप स्विगी को ग्राहक के साथ मनमानी करना भारी पड़ गया। कंपनी की इस मनमानी पर एक कोर्ट ने स्विगी पर तगड़ा जुर्माना ठोक दिया। हैदराबाद के निवासी एम्माडी सुरेश बाबू की शिकायत पर उपभोक्ता आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है। बाबू ने आरोप लगाया था कि स्विगी ने उनके स्विगी वन मेंबरशिप के लाभों का उल्लंघन किया और डिलीवरी Food Delivery की दूरी को जानबूझकर बढ़ाकर उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूला
क्या है पूरा मामला ?
सुरेश बाबू ने 1 नवंबर, 2023 को स्विगी से खाना ऑर्डर किया था। सुरेश के लोकेशन और रेस्टॉरेंट की दूरी 9.7 किमी थी, जिसे स्विगी ने बढ़ाकर 14 किमी कर दिया था। दूरी में बढ़ोतरी की वजह से सुरेश को स्विगी का मेंबरशिप होने के बावजूद 103 रुपये का डिलीवरी चार्ज देना पड़ा। सुरेश ने आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि स्विगी वन मेंबरशिप के तहत कंपनी 10 किमी तक की रेंज में फ्री डिलीवरी करने का वादा किया था।कोर्ट ने बाबू द्वारा दिए गए गूगल मैप के स्क्रीनशॉट्स और बाकी सबूतों की समीक्षा की और पाया कि दूरी में काफी बढ़ोतरी की गई है।
कोर्ट ने स्विगी को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी पाया और कंपनी को आदेश दिया कि वे सुरेश बाबू को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 350.48 रुपये के खाने का रिफंड, डिलीवरी के 103 रुपये, मानसिक परेशानी और असुविधा के लिए 5000 रुपये, मुकदमे की लागत के लिए 5000 रुपए समेत कुल 35,453 रुपये का भुगतान करे।
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