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रेलवे खाली बर्थों पर किराए में देगा छूट, डिजिटल भुगतान भी किए जाएंगे स्वीकार
नई दिल्ली। राजधानी/दुरंतो/शताब्दी गाडिय़ों में प्रथम चार्ट तैयार होने के बाद खाली बर्थों/सीटों पर बेसिक किराये में 10 प्रतिशत छूट प्रदान करने की अपनी घोषणा को जारी रखते हुए, भारतीय रेल ने अन्य सभी रेलों के आरक्षित वर्ग में भी इस छूट के विस्तार का फैसला किया है।
यह सुविधा प्रायोगिक आधार पर अगले साल एक जनवरी से छह महीने के लिए प्रभावी होगी। प्रावधान के मुताबिक प्रथम चार्ट तैयार होने से पहले एक विशेष श्रेणी और रेल के लिए बिक्री किए गए अंतिम टिकट के मूल किराये पर 10 प्रतिशत की छूट लागू होगी।
आरक्षण शुल्क और सुपरफास्ट प्रभार पूरी तरह से लगाया जाएगा और प्रयोज्य सेवा कर इत्यादि भी लागू होगा। टीटीई के द्वारा रेल में (यात्रियों के न आने के कारण) खाली हुई बर्थो के आवंटन पर भी 10 प्रतिशत छूट लागू होगी।
डिजिटल भुगतान को दिया जाएगा बढ़ावा
डिजिटल एवं कैशलेस अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा की गई घोषणा के मद्देनजर रेल मंत्रालय ने विभिन्न प्रोत्साहनों एवं उपायों का अतिरिक्त निम्नलिखित पैकेज पेश किया है। यह अगले साल एक जनवरी से प्रभावी होगा। रेल मंत्रालय ने आरक्षित एवं अनारक्षित दोनों ही टिकटें जारी करने के लिए यात्री टिकट सुविधा केंद्रों (वाईटीएसके) को पीओएस मशीनें लगाने और सभी बैंकों के डेबिट/क्रेडिट कार्डो के जरिए भुगतान स्वीकार करने का निर्देश देने का फैसला किया है। इन केंद्रों को अन्य मोड जैसे कि यूपीआई, यूएसएसडी, ई-वॉलेट आधार से संबंद्ध भुगतान प्रणाली के जरिए भी भुगतान स्वीकार करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
मंत्रालय ने अनारक्षित टिकट जारी करने के लिए जन साधारण टिकट बुकिंग सेवा (जेटीबी) को भी अन्य मोड जैसे कि यूपीआई, यूएसएसडी, ई-वॉलेट, आधार से संबद्ध भुगतान प्रणाली के जरिए भुगतान स्वीकार करने का निर्देश देने का फैसला किया है।
डिजिटल तरीकों जैसे कि डेबिट/क्रेडिट कार्डो के उपयोग के जरिए विश्राम-कक्ष की बुकिंग पर पांच फीसदी डिस्काउंट की अनुमति देने का भी निर्णय लिया गया है।
रेल मंत्रालय ने यह निर्णय लिया है कि डिजिटल तरीकों जैसे कि डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड इत्यादि के जरिए भुगतान करने की स्थिति में उपनगरीय मार्गो के सीजन टिकटों (मासिक, त्रैमासिक, अर्धवार्षिक, वार्षिक) के मूल किराए में 0.5 फीसदी डिस्काउंट दिया जाएगा। 0.5 फीसदी रियायत देने के बाद जो मूल किराया होगा, उस पर अन्य प्रभार जैसे कि एमयूटीपी सरचार्ज, मेला सरचार्ज, सेवा कर इत्यादि, यदि लागू हो तो अलग से लगाए जाएंगे।
प्रादेशिक
IPS अधिकारी संजय वर्मा बने महाराष्ट्र के नए डीजीपी, रश्मि शुक्ला के ट्रांसफर के बाद मिली जिम्मेदारी
महाराष्ट्र। महाराष्ट्र के नए डीजीपी का कार्यभार IPS संजय वर्मा को सौंपा गया है। आईपीएस संजय वर्मा को केंद्रीय चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के नए पुलिस महानिदेशक के रूप में नियुक्त किया है। कुछ ही दिनों में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव है। उससे पहले चुनाव आयोग ने राज्य कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले की शिकायत मिलने के बाद डीजीपी रश्मि शुक्ला के तबादले का आदेश दिया था।
कौन हैं IPS संजय वर्मा?
IPS संजय वर्मा 1990 बैच के पुलिस अधिकारी हैं। वह महाराष्ट्र में वर्तमान में कानून और तकनीकी के डीजी के रूप में कार्यरत रहे। वह अप्रैल 2028 में सेवानिवृत्त पुलिस सेवा से रिटायर होंगे। दरअसल, डीजीपी रश्मि शुक्ला को लेकर सियासी दलों के बीच पिछले कुछ समय से माहौल गर्म था। कांग्रेस के बाद उद्धव गुट की शिवसेना ने भी चुनाव आयोग को पत्र लिखकर उन्हें हटाने की मांग की थी।
कांग्रेस ने रश्मि शुक्ला की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग से उन्हें महानिदेशक पद से हटाने की मांग की थी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने उन पर आरोप लगाया था कि वह बीजेपी के आदेश पर सरकार के लिए काम कर रही हैं।
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