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रेलवे : 50 करोड़ से अधिक की परियोजना की मंजूरी के लिए डीपीआर जरूरी
नई दिल्ली, 24 मार्च (आईएएनएस)| भारतीय रेल ने 50 करोड़ रुपये से अधिक लागत वाली किसी भी कार्य को बगैर विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) के मंजूरी नहीं देने का फैसला लिया है। रेलवे को अपनी कुछ परियोजनाओं में बढ़ती लागत प्रक्रियात्मक अड़चनों का सामना करना पड़ रहा है।
रेलवे बोर्ड की ओर से बीते हफ्ते जारी दिशा-निर्देश के मुताबिक, 50 करोड़ से अधिक लागत के सभी कार्यो को अनुमानित लागत विवरण के साथ डीपीआर तैयार करने के बाद ही मंजूरी दी जाएगी। हालांकि इसमें नई लाइनें व अमान परिवर्तन पर यह लागू नहीं होगा।
मंजूरी मिलने में रुकावटों और लागत में बढ़ोतरी के कारण एक लाख करोड़ वाली कई परियोजनाएं पूरे देश में लंबित हैं जिनमें से कुछ वर्षो से अटकी पड़ी हैं, जिससे रेलवे के ऊपर वित्तीय बोझ बढ़ रहा है।
रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, कई परियोजनाएं वर्षो से लंबित हैं और इनकी प्रगति संतोषजनक नहीं है क्योंकि ये परियोजनाएं उचित योजना और विस्तृत अनुमानित लागत के बिना शुरू की गई थीं।
कई परियोजनाएं वन, भूमि अधिग्रहण, तटीय क्षेत्र विनियमन की मंजूरी नहीं मिलने व स्थानीय मुद्दों के कारण अटकी पड़ी हैं।
उन्होंने कहा, इससे न सिर्फ परियोजनाओं की लागत बढ़ रही है बल्कि पिछला कार्य भी बढ़ता जा रहा है और रेलवे पर खर्च का बोझ बढ़ रहा है।
नियमों के मुताबिक, सभी परियोजनाओं के लिए हर साल बजटीय आवंटन करना होता है। अगर कोई परियोजना रुक जाती है तो उसके लिए आवंटित धन को दूसरी लाभाकरी व व्यावहारिक परियोजनाओं में लगा दिया जाता है। लेकिन यह परियोजना रेलवे द्वारा समाप्त नहीं की जा सकती है क्योंकि यह बजट का हिस्सा है और परियोजना संसद में पास हुई। इसे संसद की मंजूरी के बाद ही निरस्त किया जा सकता है।
पिछले सप्ताह हुए फैसले के मुताबिक, ये सभी मुद्दे डीपीआर में शामिल किए जाएंगे और विवरण युक्त अनुमानित लागत के आधार पर परियोजना को मंजूरी प्रदान की जाएगी।
परियोजना के कार्यान्वयन और निगरानी प्रक्रिया को मजबूत बनाने के लिए रेलवे ने वेब के सहारे दूरस्थ निगरानी व्यवस्था शुरू की है। इस व्यवस्था को रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) ने तैयार किया है। रेलव ने आरवीएनएल को इसमें ड्रोन और प्रोजेक्ट मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करने को कहा है।
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वसुधैव कुटुंबकम’ भारत का शाश्वत संदेश : योगी आदित्यनाथ
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के आदर्श वाक्य के महत्व पर जोर देते हुए इसे भारत की वैश्विक मानवता के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया है। उन्होंने इसे भारत का शाश्वत संदेश बताते हुए कहा कि हमने हमेशा से शांति, सौहार्द और सह-अस्तित्व को प्राथमिकता दी है। सीएम योगी ने यह बात शुक्रवार को एलडीए कॉलोनी, कानपुर रोड स्थित सिटी मॉन्टेसरी स्कूल (सीएमएस) के वर्ल्ड यूनिटी कन्वेंशन सेंटर में विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 25वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करने के दौरान अपने संबोधन में कही। कार्यक्रम में 56 देशों के 178 मुख्य न्यायाधीश और डेलिगेट्स ने भाग लिया।
‘अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक’
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक बताया। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद सम्मानजनक अंतरराष्ट्रीय संबंधों को विकसित करने और संघर्षों को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने के लिए नैतिक मार्ग का अनुसरण करने के लिए हम सभी को प्रेरित करता है। उन्होंने समारोह को प्रेरणादायक बताते हुए कहा कि 26 नवंबर 2024 को संविधान अंगीकरण के 75 वर्ष पूरे होंगे। यह संविधान के अंगीकृत होने के अमृत महोत्सव वर्ष की शुरुआत के दौरान आयोजित हो रहा है।
‘युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है’
योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संयुक्त राष्ट्र के ‘समिट ऑफ दि फ्यूचर’ में दिये गये संबोधन की चर्चा करते हुए कहा कि युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है। युद्ध ने दुनिया के ढाई अरब बच्चों के भविष्य को खतरे में डाला है। उन्होंने दुनिया के नेताओं से आग्रह किया कि वे एकजुट होकर आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ, सुरक्षित और भयमुक्त समाज का निर्माण करें। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सम्मेलन को वैश्विक संवाद और सहयोग का मंच बताते हुए विश्वास व्यक्त किया कि अनुच्छेद 51 की भावना के अनुरूप यह आयोजन विश्व कल्याण के मार्ग को प्रशस्त करेगा। उन्होंने दुनिया भर के न्यायाधीशों से इस दिशा में सक्रिय योगदान देने का भी आह्वान किया।
‘भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध’
मुख्यमंत्री ने संविधान के अनुच्छेद 51 की चर्चा करते हुए कहा कि यह वैश्विक शांति और सौहार्द की दिशा में भारत की सोच को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद संघर्षों के शांतिपूर्ण समाधान और सभी देशों के बीच सम्मानजनक संबंधों को बढ़ावा देने का संदेश देता है। मुख्यमंत्री ने भारत की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की सक्रिय भागीदारी से यह स्पष्ट होता है कि भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध है।
सीएमएस के संस्थापक को दी श्रद्धांजलि
सीएमएस के संस्थापक डॉ. जगदीश गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी दूरदृष्टि और प्रयासों से यह सम्मेलन एक महत्वपूर्ण मंच बना है। उन्होंने डॉ. भारती गांधी और गीता गांधी को इस कार्यक्रम को अनवरत जारी रखने के लिए धन्यवाद दिया।
इस अवसर पर हंगरी की पूर्व राष्ट्रपति, हैती रिपब्लिक के पूर्व प्रधानमंत्री सहित दुनिया के 56 देशों से आए हुए न्यायमूर्तिगण, सीएमएस की संस्थापक निदेशक डॉ भारती गांधी, प्रबंधक गीता गांधी किंगडन समेत स्कूली बच्चे और अभिभावकगण मौजूद रहे।
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