मुख्य समाचार
रेल नेटवर्क नाकामी की एक और तस्वीर
एक और बड़ा रेल हादसा तीन माह के भीतर तीसरी बड़ी रेल दुर्घटना। लगातार होती इन घटनाओं ने रेल सुगमता के सभी दावों पर पानी फेर दिया है। हालांकि मौजूदा रेल हादसे के पीछे साजिश की बू आ रही है।
जहां घटना हुई, वह नक्सल प्रभावित क्षेत्र है। इस लिहाज से रेलवे ने आशंका व्यक्त की है कि कुनेरू स्टेशन के पास पटरियों से साथ छेड़छाड़ की थी, जिसके कारण आंध्र प्रदेश के विजियानगरम जिले में जगदलपुर-भुवनेश्वर एक्सप्रेस के नौ डिब्बे पटरी से लडख़ड़ाकर उतर गए और भंयकर हादसे में तब्दील हो गया।
यह दावा रेलवे की ओर से किया जा रहा है। सवाल उठता है कि ऐसा तो नहीं कहीं रेलवे अपनी नाकामी को छुपाने की कोशिश कर रहा है। फिलहाल जांच के आदेश जारी किए गए हैं। हादसा है या साजिश यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा। लेकिन हर माह हो रहे रेल हादसों ने रेल मुसाफिरों के भीतर भय पैदा कर दिया है। यात्रा करने से पहले यात्रियों के भीतर तमाम तरह के सवाल कौंधते रहते हैं।
अपनी नाकामी छुपाने के लिए रेल महकमा मौजूदा रेल हादसे को नक्सलियों की साजिश बता रहा है। हीराखंड एक्सप्रेस रेल हादसे की वजह भले ही पटरियों के साथ छेड़छाड़ करना रहा हो, लेकिन मौजूदा रेल सुरक्षा तंत्र में कई खामियां हैं। जब तक रेलवे का आधुनिकीकरण नहीं होगा हादसों को रोकना मुश्किल है।
रेलवे के राजनीतिक इस्तेमाल से हालात बिगड़े हैं। धन की कमी के कारण हाईस्पीड कॉरीडोर, विश्व स्तरीय रेलवे स्टेशन, डेडीकेटेड फ्रंट कॉरिडोर जैसी योजनाएं लटकी पड़ी हैं। इस समय ठंड का प्रकोप है रात के समय कोहरा रहता है, जिसके कारण भी अक्सर दुर्घटनाएं होती हैं। इससे बचने के लिए टक्कररोधी यंत्र की दरकार है, जिसे आज तक नहीं लगाया जा सका है।
हादसे की शिकार हुई जगदलपुर-भुवनेश्वर एक्सप्रेस जब दुर्घटित हुई, उससे आधे घंटे पहले ही उसी पटरी से एक मालगाड़ी रेल सुरक्षित ढंग से निकलकर गई थी। गैंगमैन यानी गश्त करने वाले व्यक्ति ने भी पटरी की जांच की थी। हालांकि ट्रेन चालक को ट्रेन के पटरी से उतरने से ठीक पहले किसी पटाखे जैसी आवाज सुनाई दी थी।
ऐसा लगता है कि पटरी पर बड़ी दरार पड़ी होगी, जिसके कारण ट्रेन पटरी से उतर गई। जब ट्रैक को बीच से काट दिया जाता है तभी उसके अंदर रेल का पहिया फंसकर अनियंत्रित होकर बेपटरी हो जाता है, जो हादसे में तब्दील हो जाता है। हादसे का एक कारण यह भी हो सकता है कि पटरियों पर दबाव बढऩे से भी टूट होने की संभावना बढ़ जाती हैं।
इस वजह से भी रेलगाडय़िां पटरियों से उतर जाती हैं। शायद यही विजियानगरम में भी हुआ होगा, लेकिन दुर्घटना किसी भी रूप में हुई हो, दुर्घटना तो दुर्घटना होती है। इस घटना से एक बार फिर रेलवे की सुरक्षा पर सवाल उठ खड़े हुए हैं, जबतक रेलवे की सुरक्षा से जुड़े मसलों पर ध्यान नहीं दिया जाएगा हालात में सुधार की उम्मीद नहीं की जा सकती।
जहां रेल हादसा हुआ उस इलाके को नक्सलवाद प्रभावित माना जाता है। गणतंत्र दिवस करीब है। शायद नक्सली यह करके कुछ संदेश देना चाह रहे हो। इसलिए उन्होंने पटरी के साथ छेड़छाड़ कर हादसे को जन्म दिया। फिलहाल साजिश के संदेह से इनकार नहीं किया जा सकता। रेलवे सुरक्षा आयुक्त दुर्घटना की वजह का पता लगाने के लिए व्यापक जांच में जुटे हैं।
घटना में दर्जनों यात्रियों के मरने की खबर है। घटना रात के करीब 11 बजे के आसपास हुई। ट्रेन जगदलपुर से भुवनेश्वर जा रही थी। घटना में महिलाओं व बच्चों के ज्यादा हताहत होने की खबर है। रेलतंत्र सुरक्षित कैसे हो, अब यह बड़ा सवाल सबके समक्ष कौंध रहा है। रेल बजट को भी अब खत्म कर दिया है। रेल बजट को आम बजट में जोड़ दिया गया है।
सरकार की ओर से रेलों की दशा सुधारने पर सर्वोपरि बल देने की बात कही जाती है परंतु ये घोषणाएं कागजों तक ही रह जाती हैं और भारतीय रेलों में बुनियादी ढांचे की बदहाली का आलम दिनों दिन बिगड़ता जा रहा है।
रेल विभाग जगदलपुर-भुवनेश्वर एक्सप्रेस हादसे को नक्सलियों की करतूत बता रहा है। रेलवे को जब यह पता है कि यह इलाका नक्सल प्रभावित है तो वहां रेलवे ट्रैक की पेट्रोलिंग नियमित क्यों नहीं की जाती। रात्रिकालीन में चेकिंग की व्यवस्था क्यों नहीं की जाती। वहां से गुजरते वक्त रेल चालकों को वाकी-टॉकी क्यों नहीं दिया जाता, ताकि किसी आशंका पर तत्काल सूचित कर सके।
कई ऐसे सवाल हैं, जिसका जबाव रेल महकमे के पास नहीं है। अगर रेलवे की चूक के चलते यह हादसा हुआ है तो उसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए। नक्सलियों का बहाना बनाकर जिम्मेवारियों से पल्ला नहीं झाडऩा चाहिए। हादसे में इंजन के साथ लगेज वैन, दो सामान्य कोच, दो स्लीपर कोच, एक एसी थ्री कोच और एक सेकेंड एसी कोच बेपटरी हुए हैं। उनकी स्वतंत्र और ईमानदारी से गहनता से जांच करनी चाहिए। ताकि सच सामने आ सके।
वर्ष 2015 की तुलना में वर्ष 2016 में रेलों के पटरी से उतरने की घटनाओं में 33 प्रतिशत वृद्धि हुई है। बड़ी संख्या में दुर्घटनाएं रेलगाडय़िों के बेपटरी होने अथवा कर्मचारी रहित रेलवे फाटकों पर रेलवे स्टाफ की लापरवाही के कारण होती हैं। हालांकि रेलवे खुद के ऊपर कभी कोई जिम्मेवारी नहीं लेता। जांच का भरोसा और मुआवजा देकर मामले को शांत करा दिया जाता है और दूसरे हादसे की प्रतीक्षा करने में लग जाता है।
राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के अनुसार, रेल दुर्घटनाओं का एक कारण समाज विरोधी तत्वों द्वारा पटरियों की फिश प्लेटें उखाडऩा भी है। यदि रेल मंत्रालय रेल यात्रा को सुरक्षित बनाना चाहता है तो इसे अंतर्राष्ट्रीय मापदंडों के अनुसार अपने सुरक्षा प्रबंध करने होंगे। तभी रेल यात्रा सुगम हो सकेगी।
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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत
पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।
AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.
शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव
अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।
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