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हेल्थ

रोगमुक्त जीवन के लिए टीकाकरण जरूरी

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नई दिल्ली | हम जो बोते हैं, वही काटते हैं। यह एक पुरानी कहावत है, यह हमारी सेहत पर भी उतना ही लागू होती है। जब हम युवा होते हैं तो अपनी सेहत का ध्यान न रखने से होने वाले नुकसानों को नजरअंदाज कर देते हैं। जब हम बूढ़े हो जाते हैं तो हमें बहुत सारी सेहत समस्याओं का सामना करना पड़ता है। उस वक्त हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है। कई बार हम यह भी सोचते हैं कि एक बार वैक्सीन लेना काफी है। लेकिन जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है इस वैक्सीनेशन का असर कम होने लगता है।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के महासचिव डा. के.के. अग्रवाल कहते हैं कि उम्र बढ़ने के साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती जाती है। इस वजह से युवाओं के मुकाबले बड़ी उम्र वालों में बीमारियों का खतरा अधिक होता है। हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, मधुमेह या ऑब्स्ट्रक्टिव प्लमनरी डिसीज कुछ ऐसी बीमारियां हैं, जो आम तौर पर लोगों की जीवनशैली से जुड़ी होती हैं। उम्र बढ़ने के साथ ये अधिक खतरनाक और जानलेवा भी हो सकती हैं।

वैसे आमतौर पर होने वाली बीमारियां फ्लू, हैपेटाइटिस ए, हैपेटाइटिस बी होती हैं। इन हालतों को देखते हुए कुछ वैक्सीन 65 साल की उम्र के बाद देना जरूरी हो जाती हैं। बच्चों को चाहिए कि वे सुनिश्चित करें कि उनके अभिभावक यह वैक्सीन लें, ताकि वे लंबी और सेहतमंद जिंदगी जी सकें।
वैक्सीनेशन करवाते वक्त इन बातों का ध्यान रखें :
* फ्लू वैक्सीन छह महीने या उससे बड़े सभी व्यक्तियों को दी जाती है।

* निमूनिया वैक्सीन 65 साल या उससे ज्यादा उम्र के लोगों को दी जानी चाहिए।

* टेटनस टॉक्साइड हर 10 साल बाद देते रहना चाहिए।

* चाहे किसी को पहले हरप्ज जोस्टर हुआ हो या नहीं, 60 साल की उम्र में इसे जरूर लगवा लेना चाहिए। याद रखें इस वैक्सीनेशन की शुरुआत 60 साल की उम्र से होती है।

* अगर पहले न लगी हो तो सभी को हैपेटाइटस बी वैक्सीन देनी चाहिए।

* 60 साल या उससे ज्यादा उम्र वाले जितने भी लोगों को डायबिटीज है, उन्हें हैपेटाइटिस बी देना चाहिए। आगे चल कर ब्लड ग्लूकोज की मॉनीटरिंग की अधिक आवश्यकता के लिए यह वैक्सीन लगवाने की सलाह दी जाती है।

* जिन लोगों को क्रॉनिक लीवर डिसीज है, उन्हें भी हैपेटाइटिस बी वैक्सीन देना चाहिए।

बदकिस्मती से आज भी वरिष्ठ नागरिक की 50 प्रतिशत आबादी को इस वैक्सीनेशन और इसे न लगवाने पर होने वाले नुकसानों के बारे में जानकारी नहीं है। यह वैक्सीन हर साल होने वाली जानलेवा बीमारियों से बचाने में बेहद मदद करती है। उचित जानकारी और थोड़ी सी जिम्मेदारी से बड़ी उम्र के लोगों की सेहत को होने वाले नुकसान और अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत कम हो सकती है।

 

हेल्थ

दिल्ली में डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी

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नई दिल्ली। दिल्ली में डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी का क्रम लगातार जारी है. अस्पतालों और नर्सिंग होम्स में अकेले डेंगू के मरीजों में भारी संख्या में इजाफे की सूचना है. दिल्ली नगर निगम के आंकड़ों के मुताबिक साल 2024 में डेंगू के अब तक 4533 मरीज सामने आए हैं. इनमें 472 मरीज नवंबर माह के भी शामिल हैं.

एमसीडी की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में इस साल अब तक मलेरिया के 728 और चिकनगुनिया के 172 केस दर्ज हुए हैं.

डेंगू एक गंभीर वायरल संक्रमण है, जो एडीज़ मच्छर के काटने से फैलता है। इसके होने से मरीज को शरीर में कमजोरी लगने लगती है और प्लेटलेट्स डाउन होने लगते हैं। एक आम इंसान के शरीर में 3 से 4 लाख प्लेटलेट्स होते हैं। डेंगू से ये प्लेटलेट्स गिरते हैं। डॉक्टरों का मानना है कि 10 हजार प्लेटलेट्स बचने पर मरीज बेचैन होने लगता है। ऐसे में लगातार मॉनीटरिंग जरूरी है।

डॉक्टरों के अनुसार, डेंगू के मरीज को विटामिन सी से भरपूर फल खिलाना सबसे लाभकारी माना जाता है। इस दौरान कीवी, नाशपाती और अन्य विटामिन सी से भरपूर फ्रूट्स खिलाने चाहिए। इसके अलावा मरीज को ज्यादा से ज्यादा लिक्विड डाइट देना चाहिए। इस दौरान मरीज को नारियल पानी भी पिलाना चाहिए। मरीज को ताजा घर का बना सूप और जूस दे सकते हैं।

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