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प्रादेशिक

लिपिकीय संवर्ग को एक करने के तुगलकी फरमान से मची खलबली

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कारागार मुख्यालय एवं जेल लिपिकीय संवर्ग, आईजी जेल की तानाशाही, लखनऊ, काली पट्टी बांधकर विरोध

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कारागार मुख्यालय एवं जेल लिपिकीय संवर्ग को एक किये जाने से कर्मचारियों में आक्रोष
तीन दिन काली पट्टी बांधने के बाद अब कामकाज ठप करने की दी चेतावनी

राकेश यादव
लखनऊ। आईजी जेल की तानाशाही से कारागार मुख्यालय के कर्मचारियों में व्यापक आक्रोष व्याप्त है। विभाग के मुखिया कारागार मुख्यालय एवं जेल के लिपिकीय संवर्ग को एक करने के फरमान के विरोध में मुख्यालय के कर्मचारी इन दिनों काली पट्टी बांधकर विरोध कर रहे है। कर्मचारियों ने आईजी जेल को चेतावनी दी है कि यदि तीन दिन के भीतर इस समस्या का निराकरण नही किया गया तो सोमवार से वह कामकाज ठप कर देगें।
बीते सप्ताह में प्रदेश कारागार विभाग के मुखिया एवं अपर महानिदेशक पुलिस डीएस चौहान एवं अपर महानिरीक्षक कारागार प्रशासन रियाज अख्तर ने साठगांठ कर कारागार के लिपिकीय संवर्ग के लिये एक फरमान जारी किया। आईजी एवं एआईजी जेल प्रशासन की ओर से संयुक्त रूप से जारी किये गये फरमान में कहा गया है कि कारागार मुख्यालय एवं जेल पर तैनात बाबुओं को एक संवर्ग में रखा जायेगा। इसके तहत कारागार के मुख्यालय में बाबुओं को जेल पर एवं जेल पर तैनात बाबुओं को मुख्यालय में तैनात किया जा सकता है। इस फरमान की जानकारी होते ही कारागार मुख्यालय के बाबुओं ने इसे आईजी जेल की तानाशाही करार दिया।

मुख्यालय कर्मचारियों ने आईजी जेल को ज्ञापन देकर कहा कि यह फरमान पूरी तरीके से नियमों के विपरीत है। इसमें दो कैडर के कर्मचारियों को एक में समायोजित नही किया जा सकता है। कारगार के मुख्यालय के लिपिकीय संवर्ग कर्मियों के लिये छह स्तरीय सृजित है। मुख्यालय संवर्ग के लिपिकीय कर्मियों को पदोन्नति के पांच अवसर उपलब्ध होते है। कारागार मुख्यालय के लिपिकीय संवर्ग का कैडर अलग होता है। जबकि इसके ठीक विपरीत वर्ष 1982 तक जेलों पर लिपिकीय दायित्वों का निर्वहन सहायक जेलरों द्वारा किया जाता था। वर्ष 1983 में जेलों पर लिपिकीय स्तर के तीन स्तरीय पद सृजित किये गये।

इसके बाद वर्ष 1987 में सहायक जेलरों को उपकारापाल पद में विलीनीकरण किया गया। कारागार संवर्ग के लिपिकीय कर्मियों को पदोन्नति के सिर्फ दो अवसर कराये गये है। उन्होंने बताया कि इस प्रकार मुख्यालय एवं कारागार के लिपिकीय पदों की कोई समानता एवं एकरूपता नही है। इसके साथ ही विभाग में लिपिक संवर्ग की सेवानियमावली में मुख्यालय एवं कारागार संवर्ग की भर्ती एवं पदोन्नति की व्यवस्थाएं अलग-अलग निर्धारित है एवं दोनो संवर्ग में सीधे भर्ती के लिये अलग-अलग विज्ञापन दिये जाते है। इसके साथ ही मुख्यालय और जेल संवर्ग की कार्यप्रणाली विभिन्न है।
मुख्यालय स्तर पर जहां पत्रावालियां नोटिगं के माध्यम से पेश की जाती है। वहीं जेलों पर नोटिगं की व्यवस्था का कोई प्रचलन नही है। केवल पत्र का जवाब दिया जाता है। उन्होंने ज्ञापन में कहा कि इन विभिन्न परिस्थितियों को देखते हुये इन दोनो संवर्ग के कर्मचारियों को एकसंवर्ग में किया जाना पूर्णतया अनुचित है। इसके विरोध में कारागार मुख्यालय के कर्मचारी पिछले तीन दिनों से हाथ में काली पट्टी बांधकर विरोध प्रगट कर रहे है। कर्मचारी ऐसोसिएशन के पदाधिकारियों ने चेतावनी दी है कि सोमवार तक यदि उनकी मांगों पर सहमत नही बनी तो वह काली पट्टी बांधने के साथ कार्य बहिष्‍कार भी करेगें।

IANS News

महाकुंभ में बिछड़ने वालों को अपनों से मिलाएंगे एआई कैमरे, फेसबुक और एक्स भी करेंगे मदद

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प्रयागराज। महाकुंभ की तैयारियों को अंतिम रूप देने में लगी योगी आदित्यनाथ सरकार पहली बार इतने व्यापक स्तर पर महाआयोजन का डिजिटलाइजेशन कर रही है। यहां एआई की मदद से ऐसे कैमरे लगाए जा रहे हैं, जो 45 करोड़ श्रद्धालुओं की हिफाजत में 24 घंटे तैनात रहेंगे। एआई लाइसेंस वाले इन कैमरों के साथ ही फेसबुक और एक्स जैसे सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म भी बिछड़ने वाले परिजनों को खोजने में तत्काल मदद करेंगे।

मदद करेगा डिजिटल खोया पाया केंद्र

इस बार महाकुंभ में देश विदेश से बड़ी संख्या में आने वाले लोगों को अपनों को खोने का डर नहीं सताएगा। मेला प्रशासन ने इसकी व्यापक कार्ययोजना तैयार की है। इसके लिए डिजिटल खोया पाया केंद्र को एक दिसंबर से लाइव किया जाएगा। इसके माध्यम से 328 एआई लाइसेंस वाले कैमरे पूरे मेला क्षेत्र पर नजर रखेंगे। इन सभी कैमरों का परीक्षण कर लिया गया है। पूरे मेला क्षेत्र को इन विशेष कैमरों से लैस किया जा रहा है। योगी सरकार के निर्देश पर बड़े पैमाने पर कैमरे इंस्टॉल करने का काम अपने अंतिम चरण में है। मेला क्षेत्र की चार लोकेशन पर इन विशेष एआई कैमरों का परीक्षण भी किया जा चुका है।
महाकुंभ में अब कोई भी अपना बिछड़ने नहीं पाएगा।

पलक झपकते काम करेगी तकनीक

महाकुंभ 2025 में शामिल होने वाले श्रृद्धालुओं के लिए सरकार ने ऐसे डिजिटल खोया-पाया केंद्रों की स्थापना की है, जो तकनीक के सहारे चलेंगे और पलक झपकते ही अपनों से मिलाएंगे। इसमें हर खोए हुए व्यक्ति का डिजिटल पंजीकरण तुरंत किया जाएगा। पंजीकरण होने के बाद एआई कैमरे गुमशुदा की तलाश में जुट जाएंगे। यही नहीं, गुमशुदा की जानकारी को फेसबुक और एक्स जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी शेयर किया जाएगा। यह व्यवस्था महाकुंभ मेले को न केवल सुरक्षित बनाएगी, बल्कि परिवारों को जल्दी और आसानी से अपने प्रियजनों से जोड़ने का काम करेगी।

फोटो से मिलान करेगा एआई

महाकुंभ में अपनों से बिछड़ने वाले व्यक्तियों की पहचान के लिए फेस रिकग्निशन तकनीक का उपयोग किया जाएगा। यह तत्काल काम करेगा। यहां 45 करोड़ लोगों के आने की संभावना है। ऐसे में एआई कैमरे तत्काल फोटो खींचकर व्यक्ति की पहचान कर लेंगे। इस काम में सोशल मीडिया भी तत्पर रहेगा।

पहचान का देना होगा प्रमाण

जो भी व्यक्ति महाकुंभ मेले में अपनों से बिछड़ेगा, उसका सुरक्षित, व्यवस्थित और जिम्मेदार प्रणाली के तहत ख्याल भी रखा जाएगा। किसी भी वयस्क को बच्चे या महिला को ले जाने से पहले सुनिश्चित करना होगा कि वह उसे पहचानते हैं और उनकी पहचान प्रमाणिक है।

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