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वाटर टैंकर घोटाला मामले में एसीबी ने महालेखाकार से मदद मांगी

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नई दिल्ली, 25 मई (आईएएनएस)| दिल्ली की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) ने वाटर टैंकर घोटाला मामले में केंद्रीय राजस्व के महालेखाकार से मदद मांगी है। एसीबी ने महालेखाकार से पूछा है कि क्या पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के दौरान 350 से अधिक टैंकरों के ठेके देने के संबंध में किसी नियम का उल्लंघन किया गया? एसीबी इस मामले की भी जांच कर रही है कि क्या दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 358 स्टेनलेस स्टील वाटर टैंकर के ठेके देने के मामले की जांच में देरी की।

एसीबी प्रमुख मुकेश कुमार मीणा ने आईएएनएस को बताया, एसीबी ने केंद्रीय राजस्व के महालेखाकार से सुझाव मांगा है और यह पूछा कि क्या इस संबंध में नियमों की अनदेखी की गई?

क्या निविदा प्रक्रिया की देखरेख के लिए सलाहकार की नियुक्ति की गई, जिससे राजस्व को 36.5 करोड़ रुपये का घाटा हुआ? यह पूछने पर मीणा ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, एसीबी को पता चला है कि एक सलाहकार की नियुक्ति मनमाने ढंग से की गई, जिससे राजस्व को 36.5 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

इस आधार पर एक कंपनी की निविदा खारिज कर दी गई थी कि वह आवेदन देने वाली एकमात्र कंपनी है। हालांकि इसी आधार पर एक अन्य कंपनी को ठेका दे दिया गया।

सूत्रों का कहना है कि दूसरी कंपनी को अपेक्षाकृत अधिक दरों पर 323.9 करोड़ रुपये का ठेका दिया गया।

गौरतलब है कि 400 करोड़ रुपये के टैंकर घोटाले के तहत दिल्ली जल बोर्ड के दायरे से बाहर के क्षेत्रों में पानी पहुंचाने वाले निजी वाटर टैंकर संचालकों को पक्षपातपूर्ण तरीके से लाभ पहुंचाने का आरोप है।

इससे पहले एसीबी ने 17 मई को केजरीवाल के राजनीतिक सलाहकार विभव पटेल से पूछताछ की थी और आम आदमी पार्टी (आप) से निलंबित नेता कपिल मिश्रा को भी जांच से जुड़ने के लिए कहा था।

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नेशनल

ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप को मनमानी करने पर 103 के बदले देने पड़ेंगे 35,453 रु, जानें क्या है पूरा मामला

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हैदराबाद। ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप स्विगी को ग्राहक के साथ मनमानी करना भारी पड़ गया। कंपनी की इस मनमानी पर एक कोर्ट ने स्विगी पर तगड़ा जुर्माना ठोक दिया। हैदराबाद के निवासी एम्माडी सुरेश बाबू की शिकायत पर उपभोक्ता आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है। बाबू ने आरोप लगाया था कि स्विगी ने उनके स्विगी वन मेंबरशिप के लाभों का उल्लंघन किया और डिलीवरी Food Delivery की दूरी को जानबूझकर बढ़ाकर उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूला

क्या है पूरा मामला ?

सुरेश बाबू ने 1 नवंबर, 2023 को स्विगी से खाना ऑर्डर किया था। सुरेश के लोकेशन और रेस्टॉरेंट की दूरी 9.7 किमी थी, जिसे स्विगी ने बढ़ाकर 14 किमी कर दिया था। दूरी में बढ़ोतरी की वजह से सुरेश को स्विगी का मेंबरशिप होने के बावजूद 103 रुपये का डिलीवरी चार्ज देना पड़ा। सुरेश ने आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि स्विगी वन मेंबरशिप के तहत कंपनी 10 किमी तक की रेंज में फ्री डिलीवरी करने का वादा किया था।कोर्ट ने बाबू द्वारा दिए गए गूगल मैप के स्क्रीनशॉट्स और बाकी सबूतों की समीक्षा की और पाया कि दूरी में काफी बढ़ोतरी की गई है।

कोर्ट ने स्विगी को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी पाया और कंपनी को आदेश दिया कि वे सुरेश बाबू को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 350.48 रुपये के खाने का रिफंड, डिलीवरी के 103 रुपये, मानसिक परेशानी और असुविधा के लिए 5000 रुपये, मुकदमे की लागत के लिए 5000 रुपए समेत कुल 35,453 रुपये का भुगतान करे।

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