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वाट्सएप पर भेजे संदेश को रद्द या संपादित कर सकेंगे

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न्यूयॉर्क | अगली बार जब आपका महिला-मित्र के लिए संदेश किसी दूसरे को चला जाए तो परेशान होने की जरूरत नहीं है। जल्द ही वाट्सएप पर आपको भेजे गए संदेश वापस लेने और इन्हें संपादित करने की सुविधा मिलेगी। इससे आप गलती से भेजे गए संदेश को सुधार या रद्द कर सकेंगे।

ट्विटर पर वाबेटाइंफो खाते के अनुसार, तत्काल संदेश एप वाट्सएप की सुविधाओं में संदेश को वापस लेने या संपादित करने की सुविधा बीटा संस्करण के परीक्षण में जोड़ी गई है।

वाबेटाइंफो की ट्वीट में कहा गया है, “वाट्सएप के बीटा में ऐसे संदेश जो आप भेज चुके हैं उन्हें संपादित करने की सुविधा जोड़ी गई है। यह विकास की प्रक्रिया में है।”

इससे उपभोक्ताओं को हालिया संदेशों में ही सुधार करने की मदद मिलेगी, किसी पुराने संदेश को नहीं।

वाबेटाइंफो के अनुसार, यह विशेषता मौजूदा रूप में वाट्सएप बीटा के आईओएस 2.17.1.869 पर ही मिलेगी।

बीते महीने वाट्सएप ने भारत से दुनिया भर के देशों के लिए एक वीडियो कॉलिंग की सुविधा की शुरुआत की।

यह सुविधा सभी मंचों–एंड्राएड, आईओएस और विंडोज पर मौजूद है।

भारत में वाट्सएप के 16 करोड़ उपोभक्ता हैं। वाट्स एप दुनिया भर के 50 विभिन्न भाषाओं और दस भारतीय भाषाओं में अपनी सुविधा दे रहा है। इस मंच से दुनिया भर में रोजाना 10 करोड़ कॉल की जाती है।

 

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फेमस न्यूक्लियर फिजिस्ट होमी जहांगीर भाभा का आज जन्मदिन, जानें कुछ उनके बारे में

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नई दिल्ली। इंडियन न्यूक्लियर प्रोग्राम के जनक और फेमस न्यूक्लियर फिजिस्ट होमी जहांगीर भाभा का आज जन्मदिन है। जे. भाभा, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) के फाउंडिंग डायरेक्टर और फिजिक्स के प्रोफेसर भी थे। होमी जहांगीर भाभा का जन्म 30 अक्टूबर 1909 में एक अमीर पारसी परिवार में हुआ था। होमी जहांगीर भाभा के पिता का नाम जहांगीर होर्मुस्जी भाभा और माता का नाम मेहरबाई भाभा था, इनके पिता एक जाने-माने वकील थे जबकि माँ एक गृहिणी थीं।

होमी भाभा ने 16 साल की आयु में ही सीनियर कैम्ब्रिज परीक्षा पास कर ली थी। फिर वे गोनविले और कैयस कॉलेज में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के लिए कैम्ब्रिज गए। इसके बाद उन्होंने कैम्ब्रिज में कैवेंडिश लैब में रिसर्च करना शुरू किया और उनका पहला रिसर्च पेपर 1933 में प्रकाशित हुआ। दो साल बाद, उन्होंने अपनी पीएचडी हासिल की और 1939 तक कैम्ब्रिज में रहे।होमी भाभा ने छात्र के रूप में कोपेनहेगन में नोबेल पुरस्कार विजेता नील्स बोहर के साथ काम किया और क्वांटम सिद्धांत के विकास में प्रमुख भूमिका निभाई।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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