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वाराणसी में गंगा पुनरुद्धार : काम कम, वादे ज्यादा

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वाराणसी| गंगा के पुनरुद्धार और प्राचीन शहर वाराणसी को स्वच्छ बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा एक विस्तृत योजना शुरू करने के नौ माह बाद भी उनकी परिकल्पना और वास्तविकता के बीच विशाल अंतर बना हुआ है। यहां तक की पर्यावरणविदों ने भी इस पूरी योजना को अति-महत्वाकांक्षी करार दिया है।

इलाके में स्वच्छता अभियान चलाने वाले इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंट (आईसीए) के छात्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में स्थानीय प्राधिकारी मोदी की दूरदृष्टि (गंगा और घाटों का सौंदर्यीकरण) को लेकर अभी तक जागे नही हैं, यही कारण है कि समस्याएं अभी भी जस की तस हैं।

अस्सी घाट के पास स्वच्छ भारत अभियान के तहत वारणसी को स्वच्छ रखने को लेकर चलाए जा रहे जागरूकता अभियान से जुड़े 21 वर्षीय शुभ जिंदल ने कहा, “स्थानीय प्रशासन स्वच्छ भारत अभियान को लेकर सजग नहीं हैं। शहर में कुछ ही कूड़ादन हैं। हमने जो कूड़ा इकट्ठा किया है उसे कहा फेकें? न ही शहर में कोई कूड़ा इकट्ठा करने वाली वैन है।”

एक अन्य छात्र ने कहा, “मोदी जो कहते हैं उसमें और जमीनी हकीकत में बहुत बड़ा अंतर है। हम अन्य लोगों को भी प्रेरित करने का प्रयास कर रहे हैं।”

मोदी पर अपने वादों को पूरा करने को लेकर एक ओर जहां स्थानीय लोग उनसे उम्मीद लगाए हुए हैं और उत्साहित नजर आते हैं, वहीं दूसरी ओर विशेषज्ञ उन प्रयासों से ज्यादा प्रभावित नजर नहीं आते, जिनका वादा किया गया था।

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में पर्यावरण इंजीनियरिंग विभाग के प्राचार्य ब्रह्मा दत्त त्रिपाठी ने कहा, “सरकार द्वारा यह झूठी योजना विकसित की गई है.. मैं अभी तक प्रदूषण को रोकने के लिए किए गए उपायों से संतुष्ट नहीं हूं, क्योंकि सरकार गंगा की सफाई के अविरलता वाले पहलू की अनदेखी कर रही है।”

पर्यावरण की समस्या पर जोर देना महत्वपूर्ण है, लेकिन हमारा ध्यान इससे परे भी जाना चाहिए, क्योंकि सड़े फूलों, शवों और औद्योगिक अपशिष्टों के कारण गंगा का पुनरुत्थान प्रदूषण से अधिक संजीदा है।

ब्रह्मा दत्त त्रिपाठी राष्ट्रीय गंगा नदी घाटी प्राधिकरण (एनजीआरबीए) के सदस्य भी हैं। उन्होंने कहा कि निर्मलता और अविरलता मुख्य मुद्दा है।

एनजीआरबीए जल एवं संसाधन मंत्रालय के अधीन काम करता है। एनजीआरबीए गंगा के लिए वित्तपोषण, योजना, कार्यान्वयन, निगरानी और समन्वय प्राधिकरण है।

गंगा पर 1970 से शोध कर रहे त्रिपाठी ने कहा, “हरिश्चंद्र और मणिकर्णिका घाट पर प्रतिवर्ष 33,000 शवों का दाह संस्कार किया जाता है। वाराणसी में इसके अलावा हर साल 3000 मानव शव और 6000 पशुओं के शवों को गंगा में ऐसे ही प्रवाह कर दिया जाता है।”

मामले पर बराबर रूप से संजीदा शीर्ष अदालत ने पिछले माह केंद्र सरकार से एक समय सीमा तय करने के लिए कहा था।

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

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पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

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