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वाराणसी में 8 गुना बढ़ी सांस की बीमारियां
वाराणसी | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में जहरीले कणों के वायु में बढ़ने से बच्चों की सांस की बीमारियों में बीते एक दशक में आठ गुना वृद्धि हुई है। एक नई रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी को जापान के शहर क्योतो की तरह बनाने की बात कही थी।
रिपोर्ट ‘वाराणसी चोक्स’ निजी चिकित्सकों की टिप्पणियों की पुष्टि करती है। चिकित्सकों ने कहा है कि इस साल जाड़ों में वायु प्रदूषण कई दिनों तक असामान्य रूप से औसत से पांच गुना ज्यादा रहा। इससे दमा के मामले बढ़ रहे हैं। रिपोर्ट में शहर में बढ़ते हुए पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) के स्तर के साथ-साथ बढ़ती हुई सांस की बीमारियों की प्रवृत्ति को उजागर किया गया है।
गंगा नदी के किनारे सिगरा इलाके के डॉ. प्रदीप जिंदल ने कहा, “अस्थमा के मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिली है जो सिर्फ हमारी क्लीनिक में नहीं ही, बल्कि दूसरी क्लीनिक में भी देखी गई है।” उन्होंने कहा कि बीते दस साल में उन्होंने सांस की बीमारियों में आठ गुना वृद्धि देखी है। इससे बच्चे बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। इससे उनका नैदानिक भार जबरदस्त बढ़ गया है। करीब 80 फीसद मामले सांस की बीमारियों से जुड़े हुए हैं।
जिंदल की बात की पुष्टि पल्मोनोलॉजिस्ट आर.एन. वाजपेयी भी करते हैं। वाजपेयी की क्लीनिक लंका इलाके में है। वाजपेयी ने कहा, “शहर में एक बड़ी समस्या सड़क की धूल की है। गर्मियों में धूल की आंधी से प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है।” उन्होंने कहा कि ब्रॉन्कियल एलर्जी और सीने के संक्रमण में बीते चार-पांच सालों में कई गुना वृद्धि हुई है।
एक स्वतंत्र शोधकर्ता और ‘वाराणसी चोक्स’ की लेखक ऐश्वर्या मदिनेनी ने आईएएनएस से कहा कि शहर में रिस्पेरेटरी सस्पेंडेड पर्टिकुलेट मैटर (आरएसपीएम) या पीएम-10 गर्मी और सर्दियों दोनों समय बढ़ता जा रहा है। वाराणसी चोक्स की रिपोर्ट यहां इसी सप्ताह जारी की गई है।
पार्टिकुलेट मैटर बड़े स्तर पर वाहनों, बड़े पैमाने पर निर्माण, सड़क की धूल और दूसरी औद्योगिक प्रक्रियाओं से उत्पन्न होते हैं। इस साल गर्मियों में परिवेशी वायु में प्रदूषण 200 से 230 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर (एयूजी/एम3)रहा। यह साल 2010 के बाद से सबसे ज्यादा है।
वैश्विक मानकों के अनुसार, 24 घंटे के औसत में पीएम की मात्रा 60 माइक्रोग्राम प्रति धनमीटर से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। इंडिया स्पेंड व केयर4एयर और पर्यावरण एवं ऊर्जा विकास केंद्र की रिपोर्ट से पता चलता है कि आरएसपीएम की मात्रा बीते साल सर्दियों में 140 से 150 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर रही। साल 2010 से पीएम वार्षिक औसतन लगातार बढ़ रहे हैं। इस साल सर्दियों में इनका स्तर लगातार कई दिनों तक 300 यूजी/एम3 रहा।
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दिल्ली में डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी
नई दिल्ली। दिल्ली में डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी का क्रम लगातार जारी है. अस्पतालों और नर्सिंग होम्स में अकेले डेंगू के मरीजों में भारी संख्या में इजाफे की सूचना है. दिल्ली नगर निगम के आंकड़ों के मुताबिक साल 2024 में डेंगू के अब तक 4533 मरीज सामने आए हैं. इनमें 472 मरीज नवंबर माह के भी शामिल हैं.
एमसीडी की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में इस साल अब तक मलेरिया के 728 और चिकनगुनिया के 172 केस दर्ज हुए हैं.
डेंगू एक गंभीर वायरल संक्रमण है, जो एडीज़ मच्छर के काटने से फैलता है। इसके होने से मरीज को शरीर में कमजोरी लगने लगती है और प्लेटलेट्स डाउन होने लगते हैं। एक आम इंसान के शरीर में 3 से 4 लाख प्लेटलेट्स होते हैं। डेंगू से ये प्लेटलेट्स गिरते हैं। डॉक्टरों का मानना है कि 10 हजार प्लेटलेट्स बचने पर मरीज बेचैन होने लगता है। ऐसे में लगातार मॉनीटरिंग जरूरी है।
डॉक्टरों के अनुसार, डेंगू के मरीज को विटामिन सी से भरपूर फल खिलाना सबसे लाभकारी माना जाता है। इस दौरान कीवी, नाशपाती और अन्य विटामिन सी से भरपूर फ्रूट्स खिलाने चाहिए। इसके अलावा मरीज को ज्यादा से ज्यादा लिक्विड डाइट देना चाहिए। इस दौरान मरीज को नारियल पानी भी पिलाना चाहिए। मरीज को ताजा घर का बना सूप और जूस दे सकते हैं।
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