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वाहन में बम होने पर बज उठेगा सेंसर अलार्म

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नई दिल्ली। आईआईटी (दिल्ली) में चल रहे पहले भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (आईआईएसएफ) में तेलंगाना की एक किशोरी एम. शिल्पा एक ऐसा मॉडल लेकर आई है, जो यह दिखाता है कि व्यस्त चौराहों के सामने शहरी सड़कों के नीचे सुरक्षित रूप से लगाए गए सेंसर किस प्रकार बम ले जाने वाले वाहनों के गुजरने पर त्वरित अलर्ट ध्वनि कर सकते हैं। विज्ञान मेले में इंस्पायर की 5वीं राष्ट्रीय स्तर की प्रदर्शनी एवं परियोजना प्रतियोगिता में देशभर से कम से कम 750 नवोदित वैज्ञानिकों ने अपने अभिनव परियोजना मॉडलों का प्रदर्शन किया है।

श्रीनगर स्कूल की जुल्फा इकबाल ने ऐसी मशीन का प्रदर्शन किया है जो कश्मीर घाटी के प्रसिद्ध नमदा आसनों को बनाने के समय में भारी कटौती करती है। यह मशीन इन आसनों को सिर्फ सात मिनट में बना देगी जबकि इन आसनों को बनाने में एक पूरे दिन का शारीरिक श्रम लग जाता है। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह से दो लड़कों ने एक जासूसी कार विकसित की है जो दुर्गम जंगल में जाकर वीडियो और स्टिल विजुअल लेकर वापस आ सकता है।

गुजरात के बनासकांठा जिले के पालनपुर के एक छोटे वैज्ञानिक की मशीन भी आकर्षण का केंद्र है जो मानव मूत्र को एक प्रभावी जैविक खाद में परिवर्तित कर सकती है। इसके विपरीत, पूर्व से बंगाल क्षेत्र के मालदा के निकट के सिमा पाल ने ‘कॉमन बैलेंस फॉर द ब्लाइंड ग्रोसर’ उत्पाद प्रस्तुत किया है। पूर्वोत्तर से, विष्णुपुर से एक मणिपुरी छात्र द्वारा आविष्कार किए गए स्वनिर्धारित पावरलूम को सिक्किम और नागालैंड क्षेत्र के बच्चों के द्वारा प्रदर्शित उपकरणों के साथ प्रदर्शित किया गया है।

जल संरक्षण के नए तरीके राजस्थान के रेगिस्तानी राज्य की वस्तुओं के विशयों में से एक हैं जबकि पहाड़ी हिमाचल प्रदेश के छात्रों ने ऐसा उपकरण तैयार किया है जो आपदा प्रबंधन को बेहतर ढंग से संभाल सकते हैं। चंडीगढ़ के एक छात्र ने सिर की गति से नियंत्रित होने वाले व्हीलचेयर का प्रदर्शन किया है, तो ओडिशा के अंगुल जिले से एक लड़का एक चोरी प्रूफ मोटरसाइकिल के साथ आया है।

पूर्व-मध्य भारत के झारखंड राज्य से 10वीं कक्षा का छात्र प्रणव कुमार एक ट्रेन के मॉडल के साथ आया है जिसमें ट्रेन के स्टेशनों पर रुके बगैर ही यात्री इसमें सवार हो सकते हैं और नीचे उतर सकते हैं। इस तरह इंजन के दोबारा चालू होने में खर्च होने वाली ऊर्जा की बचत होती है। दक्षिण से, केरल के मट्टान्नूर के देवांग एम. ने एक ऐसा नाव बनाया हैं जो डूबने का सामना कर सकता है।

आईआईएसएफ 2015 देश का सबसे बड़ा विज्ञान आंदोलन चलाने वाले विज्ञान भारती के सहयोग से विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्रालयों की ओर से आईआईटी दिल्ली में चार से आठ दिसंबर तक आयोजित की जा रही है। प्रौद्योगिकी सूचना, पूवार्नुमान और आकलन परिषद (टीआईएफएसी) इस आयोजन के लिए नोडल एजेंसी है।

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फेमस न्यूक्लियर फिजिस्ट होमी जहांगीर भाभा का आज जन्मदिन, जानें कुछ उनके बारे में

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नई दिल्ली। इंडियन न्यूक्लियर प्रोग्राम के जनक और फेमस न्यूक्लियर फिजिस्ट होमी जहांगीर भाभा का आज जन्मदिन है। जे. भाभा, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) के फाउंडिंग डायरेक्टर और फिजिक्स के प्रोफेसर भी थे। होमी जहांगीर भाभा का जन्म 30 अक्टूबर 1909 में एक अमीर पारसी परिवार में हुआ था। होमी जहांगीर भाभा के पिता का नाम जहांगीर होर्मुस्जी भाभा और माता का नाम मेहरबाई भाभा था, इनके पिता एक जाने-माने वकील थे जबकि माँ एक गृहिणी थीं।

होमी भाभा ने 16 साल की आयु में ही सीनियर कैम्ब्रिज परीक्षा पास कर ली थी। फिर वे गोनविले और कैयस कॉलेज में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के लिए कैम्ब्रिज गए। इसके बाद उन्होंने कैम्ब्रिज में कैवेंडिश लैब में रिसर्च करना शुरू किया और उनका पहला रिसर्च पेपर 1933 में प्रकाशित हुआ। दो साल बाद, उन्होंने अपनी पीएचडी हासिल की और 1939 तक कैम्ब्रिज में रहे।होमी भाभा ने छात्र के रूप में कोपेनहेगन में नोबेल पुरस्कार विजेता नील्स बोहर के साथ काम किया और क्वांटम सिद्धांत के विकास में प्रमुख भूमिका निभाई।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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